गेहूं मध्य पूर्व के लेवांत क्षेत्र से आई एक घास है जिसकी खेती दुनिया भर में की जाती है। विश्व भर में, भोजन के लिए उगाई जाने वाली धान्य फसलों मे मक्का के बाद गेहूं दूसरी सबसे ज्यादा उगाई जाने वाले फसल है, धान का स्थान गेहूं के ठीक बाद तीसरे स्थान पर आता है। गेहूं के दाने और दानों को पीस कर प्राप्त हुआ आटा रोटी, डबलरोटी (ब्रेड), कुकीज, केक, दलिया, पास्ता, रस, सिवईं, नूडल्स आदि बनाने के लिए प्रयोग किया जाता है।
अंकुरित गेहूँ के सेवन से लाभ –जी हां दोस्तों अंकुरित गेहूँ पौष्टिकता से भरपूर होता है। हम जानते हैं कि गेहूँ प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट और विटामिन का एक बहुत ही अच्छा स्रोत है। अध्ययनों के अनुसार यदि हम गेहूँ को अंकुरित करके खाते हैं तो इससे हमें उसके आटे के मुकाबले करीब चार गुना अधिक प्रोटीन, दस गुना से भी अधिक विटामिन बी, सात गुना से भी अधिक विटामिन सी और चार गुना से भी अधिक विटामिन ई प्राप्त होता है। इसके अलावा अंकुरित गेहूँ का कार्बोहाइड्रेट भी नेचुरल शुगर में परिवर्तित हो जाता है, जो हमारे शरीर के लिए नुकसानदेह नहीं होता, बल्कि इससे हमारे शरीर को पर्याप्त मात्रा में एनर्जी मिलती है।
मांसाहार का विकल्प –इससे आप अंदाजा लगा सकते हैं कि अंकुरित गेहूँ, मांसाहार के मुकाबले भी कितना अधिक पौष्टिक और ताकतवान होता है। इसलिए यदि शरीर में प्रोटीन की पूर्ति के लिए आप केवल मांसाहार पर निर्भर नहीं रहना चाहते हैं तो अंकुरित गेहूँ का सेवन आपके लिए एक बहुत ही अच्छा विकल्प एवं डाइटरी सप्लीमेंट हो सकता है। अब आपको यह जरूर जानना चाहिए कि गेहूँ को अंकुरित करके खाने का सही तरीका क्या है।
अंकुरित करने की सही विधि –इसके लिए पहले आप 1 अथवा 2 कप गेहूँ ले लें। अब इसको एक दो बार धोकर अच्छी तरह से साफ करने के बाद एक कटोरी में रख लें। अब कटोरे में आधा से थोड़ा अधिक पानी लें। यहां पर इस बात का ध्यान रखें कि गेहूँ के दाने उसमें पूरी तरह से ना डूबने पाए। अब इसको रात भर भीगने के लिए छोड़ दें। करीब 6 से 8 घंटे के बाद इसको फिर से एक बार धो दें और फिर अंकुरित होने के लिए छोड़ दें। जब इसमें से अंकुर फूट जाए तब आप चना और मूंग के जैसे हीं इसका भी सेवन कर सकते हैं।
इसका सेवन बच्चे और बडे़ सभी के लिए फायदेमंद होता है। खास करके अंकुरित गेहूं का सेवन यंग और कसरती लोगों के लिए और भी अच्छा होता है। इससे उन्हें व्यायाम के लिए पर्याप्त ऊर्जा मिलती है और प्रोटीन की आवश्यकता भी पूरी हो जाती है।