वाहन उद्योग में जारी संकट के बीच क्षेत्र की अग्रणी कंपनी अशोक लेलैंड ने कार्यकारी स्तर के कर्मचारियों के लिए कंपनी से अलग होने की योजना की घोषणा की है. कंपनी की ओर से यह योजना ऐसे समय में पेश की गयी है, जब पहले से ही उसके कर्मचारी बोनस बढ़ाने को लेकर शुक्रवार से हड़ताल पर हैं.
अशोक लेलैंड एम्पलाइज यूनियन के सूत्रों ने शनिवार को बताया कि हम अपना हड़ताल जारी रख रहे हैं. प्रबंधन ने सोमवार तक कारखाने में काम बंद किया हुआ है. हम तब तक हड़ताल जारी रखेंगे, जब तक प्रबंधन उपयुक्त समाधान लेकर नहीं आता है. यूनियन ने बोनस में 10 फीसदी की वृद्धि की मांग की है, जबकि प्रबंधन पांच फीसदी इजाफे के लिए तैयार है.
हिंदुजा समूह की कंपनी ने इस बीच कर्मचारियों के लिए एक नोटिस जारी की है. नोटिस में कंपनी ने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजना (वीआरएस) तथा कर्मचारी अलगाव योजना (ईएसएस) की पेशकश की है. सूत्रों ने कहा कि जो कर्मचारी वीआरएस की पात्रता नहीं रखते हैं, उनके लिए ईएसएस की पेशकश की गयी है.
दरअसल, 2016 के आंकड़ों के अनुसार, भारी और हल्के वाहन बनाने वाली कंपनी अशोक लेलैंड में करीब 11,906 कर्मचारी काम करते हैं. इस ऑटोमोबाइल कंपनी की स्थापना वर्ष 1948 में रघुनंदन सरन द्वारा की गयी थी. भारत में व्यावसायिक वाहन बनाने वाली यह दूसरी सबसे बड़ी, बसों के निर्माण में दुनिया की चौथी और ट्रकों के निर्माण में यह दुनिया के टॉप 16वीं कंपनी में शामिल है.