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कुछ ही सेंकेंड में कर लेते हैं सीटें बुक, टिकट एजेंट यूं कर रहे हैं तत्काल टिकटों में सेंधमारी




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टिकट एजेंट प्रतिबंधित सॉफ्टवेयरों के जरिये तत्काल टिकटों की सेंधमारी कर रहे हैं। महज कुछ सेकेंड में ही सीटें बुक कर लेते हैं और आरक्षण केंद्रों पर खड़े पैसेंजरों के हाथ सिर्फ मायूसी लगती है। ऐसे दलालों का रैकेट त्योहारों पर सक्रिय हो जाता हैै। आरपीएफ के एक अधिकारी बताते हैं कि अक्तूबर, 2017 में पहली बार लखनऊ में सॉफ्टवेयर से टिकट बनाने वाला एजेंट गिरफ्तार हुआ था, जबकि उससे पहले इनका रैकेट गोंडा तक ही सीमित था। इतना ही नहीं मुंबई व पुणे में बुक हुए तत्काल टिकटों को दलाल हवाई जहाज व ट्रेन से लखनऊ भेजते हैं। ऐसे टिकट लाने वाले कई लोग गिरफ्तार हो चुके हैं, जिसमें पुष्पक एक्सप्रेस का एक कोच अटेंडेंट भी शामिल था।

केस-1
‘रेड मिर्ची’ से 40 सेकंड में बनाता था 20 तत्काल टिकट
 
आलमबाग बाराबिरवा स्थित किंग-विंग टूर एंड ट्रेवेल कंपनी में इंदिरा पार्क निवासी सुनील श्रीवास्तव रेड मिर्ची सॉफ्टवेयर से 40 सेकंड में 20 तत्काल टिकट बुक करता था। महीने में सात हजार टिकट बुक करता था और सॉफ्टवेयर के लिए महीने का 5,400 रुपये भुगतान करता था। सुनील की गिरफ्तारी पिछले साल हुई थी। उसके पास से दिल्ली-मुम्बई के 30 कन्फर्म टिकट बरामद किया गया था।
केस-2 
ढाई हजार का सॉफ्टवेयर, 80 हजार कमाई 
पूर्वोत्तर रेलवे की सीआईबी टीम ने चारबाग आहूजा भवन स्थित आरके ट्रेवेल्स से तीन रेल टिकट दलालों को दबोचा था। सॉफ्टवेयर मुम्बई से ढाई से तीन हजार रुपये में खरीदा गया था। उससे करीब 80 हजार रुपये की कमाई कर चुका था। कार्रवाई में 77 टिकट, 1.21 लाख रुपये, सौ से अधिक फेक आईडी हाथ लगी।
केस-3
सॉफ्टवेयर से हैक कर लेते थे लग्जरी ट्रेनों के टिकट 
आशियाना के ट्रैवेल जोन व चौक में एसके ट्रेवल की दुकानों से प्रतिबंधित सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल कर ई-रेलवे टिकट बनाए जाते थे। यहां से 12.88 लाख रुपये के 713 रेलवे टिकट बरामद किए गए। दलाल सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल कर पुष्पक, शताब्दी, बेगमपुरा, एसी एक्सप्रेस, लखनऊ मेल जैसी लग्जरी ट्रेनों के तत्काल टिकट हैक कर लेते थे।

तीन साल की सजा व दस हजार जुर्माना

कमाई लाखों में, जुर्माना दस हजार 
आरपीएफ सीआईबी इंचार्ज अमित राय ने बताया कि टिकट दलाल पकड़े जा रहे हैं, लेकिन इस धंधे में इतना मुनाफा है कि दलाल जमानत पर छूटकर आते हैं और नई आईडी से दोबारा कारोबार खोल देते हैं। पकड़े जाने पर तीन साल की सजा व दस हजार रुपये जुर्माना है।

जमकर होती है वसूली 
दलाल दिल्ली व जम्मू की ट्रेनों में स्लीपर सीट कन्फर्म करवाने के एवज में 300 से 500 रुपये तक लेते हैं, जबकि एसी बोगियों के लिए हजार से 12 सौ रुपये वसूलते हैं। पुष्पक एक्सप्रेस, लखनऊ मेल या एसी एक्सप्रेस में टिकट कन्फर्म करवाने के एवज में मनमाने रेट लिए जाते हैं।

स्लीपर टिकट की बुकिंग पर 20 रुपये प्रति टिकट मिलता है कमीशन

इसलिए करते हैं सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल 
टिकट एजेंटों को स्लीपर टिकट की बुकिंग पर 20 रुपये प्रति टिकट और एसी में 40 रुपये कमीशन मिलता है। जबकि सॉफ्टवेयर से बनवाए गए टिकट पर वे मनमाने रेट वसूलते हैं। दूसरे, आरक्षण केंद्रों पर आम यात्रियों के लिए तत्काल बुकिंग जहां सुबह दस बजे एसी सीटों के लिए व 11 बजे स्लीपर के लिए शुरू होती है, वहीं एजेंटों को सवा दस व सवा 11 बजे बुकिंग की सुविधा मिलती है।

ऐसे में तत्काल का सॉफ्टवेयर प्रयोग कर एजेंट सेंधमारी करते हैं।

देखें ऐसे काम करता है सॉफ्टवेयर

ऐसे काम करता है सॉफ्टवेयर 
विशेषज्ञों की मानें तो यह सॉफ्टवेयर इतना तेज काम करता है कि आईआरसीटीसी वेबसाइट को पछाड़ देता है। इन सॉफ्टवेयरों पर तत्काल टिकटों की फीडिंग एडवांस में हो जाती है और जैसे ही सुबह दस बजे तत्काल कोटा खुलता है, इन सीटों की बुकिंग हो जाती है।

इन सॉफ्टवेयरों का हो रहा इस्तेमाल 
– रेड मिर्ची
– बीकॉस्यू
– टी सिस्टम
– आई स्मार्ट
– चाइना
– क्लाउड