Home मनोरंजन एक एक्सीडेंट ने बदल दी थी अमजद खान की जिंदगी

एक एक्सीडेंट ने बदल दी थी अमजद खान की जिंदगी




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अनेक बरसों से हिन्दी सिनेमा में डाकू का एक परम्परागत चेहरा चला आ रहा था। धोती-कुरता। सिप पर लाल गमछा। आँखें हमेशा गुस्से से लाल। मस्तक पर लम्बा-सा तिलक। कमर में कारतूस की पेटी। कंधे पर लटकी बंदूक। हाथों में घोड़े की लगाम। और मुँह से आग उगलती गालियाँ। फिल्म शोले के गब्बरसिंह उर्फ अमजद खान ने डाकू की इस इमेज को एकदम काऊ बॉय शैली में बदल दिया। उसने ड्रेस पहनना पसंद किया। कारतूस की पेटी को कंधे पर लटकाया। गंदे दाँतों के बीच दबाकर तम्बाखू खाने का निराला अंदाज। अपने आदमियों से सवाल-जवाब करने के पहले खतरनाक ढंग से हँसना। फिर गंदी गाली थूक की तरह बाहर फेंकते पूछना – कितने आदमी थे? अमजद ने अपने हावभाव, वेषभूषा और कुटिल चरित्र के जरिए हिन्दी सिनेमा के डाकू को कुछ इस तरह पेश किया कि वर्षों तक डाकू गब्बर के अंदाज में पेश होते रहे। शोले फिल्म के गब्बरसिंह को दर्शक चाहते हुए भी कभी नहीं भूल सकते।

कलाकार के तौर पर अमजद खान के पास सब कुछ था। रुपया-पैसा, रुतबा, प्यार और बच्चे। कॅरियर में भी वे लगातार सफलता की सीढ़ियां चढ़ रहे थे। लेकिन 1976 की एक घटना ने उनका सबकुछ बदल दिया। वह फिल्म ‘द ग्रेट गैम्बलर’ की शूटिंग के लिए जा रहे थे। अमजद खान जैसे ही मुंबई-गोवा हाईवे पर पहुंचे तो उनका दर्दनाक ऐक्सिडेंट हो गया।
इस एक्सीडेंट में उनके एक फेफड़े में छेद हो गया और पसलियां टूट गईं। गंभीर चोटों की वजह से अमजद खान लगभग कोमा में ही पहुंच गए थे लेकिन धीरे वह ठीक हो गए। हालांकि इलाज के दौरान अमजद खान को जो दवाईयां दी गईं उनकी वजह से उनका वजन बढ़ता चला गया। इसकी वजह से उन्हें और भी कई परेशानियों ने घेर लिया। इस कारण अमजद काफी परेशान रहने लगे और 1992 में 27 जुलाई को हार्ट फेल होने के कारण 51 साल उम्र में उनका निधन हो गया।
पेशावर में हुआ जन्म
अमजद खान का जन्म 12 नवंबर 1940 को पेशावर (अब पाकिस्तान) में हुआ था। कला उन्हें विरासत में मिली थी। अमजद के पिता जयंत बॉलीवुड इंडस्ट्री के काफी चर्चित खलनायक रहे। अपने अभिनय कॅरियर की शुरूआत करने के लिए बतौर बाल कलाकार 1957 में फिल्म ‘अब दिल्ली दूर नहीं’ से की। वहीं ‘पत्थर के सनम’ के जरिए अमजद ने पहली फिल्म बतौर अभिनेता की।
गब्बर सिंह ने बदल दी अमजद की जिंदगी
अमजद खान का जन्म 12 नवंबर 1940 को पेशावर (अब पाकिस्तान) में हुआ था। कला उन्हें विरासत में मिली थी। अमजद के पिता जयंत बॉलीवुड इंडस्ट्री के काफी चर्चित खलनायक रहे। अपने अभिनय कॅरियर की शुरूआत करने के लिए बतौर बाल कलाकार 1957 में फिल्म ‘अब दिल्ली दूर नहीं’ से की। वहीं ‘पत्थर के सनम’ के जरिए अमजद ने पहली फिल्म बतौर अभिनेता की।
गब्बर सिंह ने बदल दी अमजद की जिंदगी
अमिताभ बच्चन और अमजद खान में काफी गहरी दोस्ती थी। अमजद खान, अमिताभ को SHORTY कहकर बुलाते तो वहीं अमिताभ उन्हें BROAD कहकर पुकारते थे। वहीं खान के बारे में यह भी कहा जाता है कि वो चाय के काफी शौकीन थे। शूटिंग के दौरान वो सेट पर कितने ही चाय के कप खाली कर देते थे।