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Chhattisgarh: फर्जी जाति मामले में पूर्व CM के खिलाफ FIR, जा सकती है विधायकी




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 छत्तीसगढ़ में पूर्व मुख्यमंत्री अजीत के जाति से जुड़े दस्तावेजों को फर्जी पाया गया है। उच्च स्तरीय छानबीन समिति की जांच के बाद जोगी के जाति प्रमाण पत्र को निरस्त कर दिया गया है। सरकार की ओर से जोगी के खिलाफ कूट रचित दस्तावेजों के आधार पर चुनाव लड़ने का मामला बन रहा है।

अब जोगी की विधायकी पर भी खतरा मंडराने लगा है। चर्चा चल रही है कि एफआईआर के बाद अब उनकी विधानसभा सदस्यता रद्द की जा सकती है। अजीत जोगी वर्तमान में जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ पार्टी के सुप्रिमो और मरवाही क्षेत्र से विधायक हैं।

अजीत जोगी के खिलाफ लंबे समय से जाति को लेकर मामला चल रहा था। पिछले दिनों राज्य सरकार द्वारा गठित उच्च स्तरीय छानबीन समिति ने जोगी की जाति की जांच की और इसके बाद उन्हें आदिवासी जाति समुदाय का नहीं होना पाया। इस जांच के बाद अजीत जोगी के खिलाफ सरकार की ओर से एफआईआर भी दर्ज कराई गई है।

जोगी ने साल 1986 में आईएएस अफसर की नौकरी छोड़कर राजनीति में प्रवेश किया था। सर्वप्रथम साल 1987 में इंदौर हाई कोर्ट में मनोहर दलाल ने उनकी जाति को लेकर सवाल उठाए थे। पिछले 43 वर्षों के दौरान अब तक छह बार जोगी की जाति को चुनौती दी गई है।

एफआईआर को चुनौती देंगे जोगी 
फर्जी जाति मामले में एफआईआर दर्ज होने के बाद अजीत जोगी ने कहा कि दुर्भावना पूर्वक सरकार उनके खिलाफ कार्रवाई कर रही है। उन्होंने कहा कि सरकारी सेवा में रहते हुए उनकी जाति को लेकर कभी भी सवाल नहीं उठे थे, लेकिन राजनीति में आने के बाद लगातार लोग उनकी छवि खराब करने के लिए यह कर रहे हैं। उनका कहना है कि साल 2013 में फर्जी जाति प्रमाण पत्रों को लेकर कानून बना था, लेकिन उनका प्रमाण पत्र इससे पूर्व का है। इस लिए उनके खिलाफ एफआईआर नहीं होनी चाहिए। संविधान के अनुच्छेद 20 का हवाला देते हुए उन्होंने अपना बचाव किया और इस एफआईआर को अदालत में चुनौती देने की बात कही।