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AIIMS Raipur : कैंसर जांच कक्ष में समुंदर का नजारा, ताकि मरीजों को मिले सूकुन




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कैंसर जैसी बीमारी से जूझ रहे मरीज के लिए अस्पताल एक ऐसी जगह होती है, जहां उसे नया जीवन मिलता है, लेकिन आमतौर पर अस्पताल का माहौल ऐसा होता है, जहां पहुंचने के बाद मरीज के दिल की घड़कनें और ज्यादा बढ़ जाती हैं। कारण होता है अस्पताल का भयावह वातावरण। दर्द और तकलीफ से जूझ रहे मरीजों को अगर अस्पताल में बेहतर माहौल मिले तो बीमारी से उबरने में यह काफी कारगर साबित हो सकता है।

रायपुर स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के न्यूक्लियर मेडिसिन विभाग (कैंसर जांच केंद्र) में कुछ इसी तरह का अनोखा प्रयोग किया गया है, जहां आने पर मरीज को भयावह माहौल की जगह सुकून का अहसास होता है। यह जगह नीले समंदर के तरह नजर आती है, जिसकी अतल गहराइयों में रंग-बिरंगी मछलियां और समुद्री जीव गोते लगाते दिखते हैं। सीटी स्कैन और पैट स्कैन मशीन के लिए बनाए गए केंद्र के कक्ष को प्रबंधन ने पूरी तरह से मछलियों के एक्यूविरियम की तरह सजा दिया है, ताकि जांच के दौरान मरीज उक्त आकृतियों को देख एक खुशनुमा माहौल की ओर अग्रसर हों।

साइको थैरेपी का किया गया प्रयोग

एम्स के अस्पताल अधीक्षक और कैंसर विभाग के प्रमुख डॉ. करन पीपरे ने बताया कि कैंसर जांच केन्द्र में साइको थैरेपी का प्रयोग किया गया है। इसे हिंदी में मन: चिकित्सा कहा जाता है। इसमें कोई भी व्यक्ति समुद्र के नीले अंनत छोर वाले पानी और मछलियों को देख सुकून महसूस करता है। वह अपने सभी तरह के कष्ट को भूल पूरी तरह से सिथिल हो जाता है। इससे मरीज में एक सकारात्मक पहल आती है और उसके अंदर जीवन जीने के विचार में तीव्र शक्ति उत्पन्न् होती है। इन्हीं बातों को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है।

लंबे समय के लिए भी कारगर

डॉ. त्रिपुरेश मिश्रा ने बताया कि सीटी स्कैन और पैट स्कैन मशीन में जांच कै दौरान लंबा समय लगता है। ऐसे में कैंसर वाले मरीजों को स्थिर रख पाना एक चुनौती होती है। इन्हीं कारणों से जांच केन्द्र को इस तरह से डिजाइन किया गया है कि मरीज को वहां मछलियों एक्यूरियम और नीजे समुंद्र की डिजाइन वाले पोस्टर लगा कर तैयार किया गया है ताकि वो उन्हें देख सूकुन महसूस करें। इससे जांच में भी सहयोग हो जाता है।

डॉक्टरों ने स्वयं किया है डिजाइन

कक्ष को पूरी तरह से न्यूक्लियर मेडिसिन विभाग के प्रमुख डॉ. करन पीपरे के निदेश में डॉक्टरों ने स्वंय डिजाइन किया है। साथ ही मशीन को लगाने और मरीज को मशीन पर लेटाने की स्थिति को भी तय किया गया है। ताकि मरीज जब भी दांए और बांए ओर देख तो उसे तैरती हुई मछलियां दिखाई ले और वहीं सीर के ऊपर देखे तो उसे समुद्र का नीला-नीला पानी दिखाई दे।

ये हो रहा है लाभ

– कैंसर से पीड़ित मरीजों में जीवन जीने की इच्छा-शक्ति में हुआ विकास

– कैंसर के प्रति लड़ने की क्षमता में हुई वृद्धि

– नियमित दवाई का सेवन और डॉक्टर से परामर्श के लिए हुए जागरूक