भारत के सबसे पुराने वैज्ञानिक विभाग सर्वे ऑफ़ इंडिया (SoI) ने पहली बार मैपिंग के लिए ड्रोन का इस्तेमाल करने का फैसला लिया है. एक रिपोर्ट के अनुसार सर्वेक्षण से जुड़े अधिकारियों ने कहा कि इसके इस्तेमाल से कई तरह के लाभ हैं. इस मैपिंग के लिए लगभग 300 ड्रोन कैमरों का इस्तेमाल करेगा. उनका कहना है कि इससे जमीन के हाई रिज़ॉल्यूशन मानचित्र तैयार किये जा सकते हैं.
वर्तमान में सर्वश्रेष्ठ मानचित्रों का रिज़ॉल्यूशन 1: 250000 है. सर्वे ऑफ़ इंडिया के महानिदेशक गिरीश कुमार ने कहा “हम अच्छे उच्च-रिज़ॉल्यूशन वाले फाउंडेशन मैप्स प्रदान करने का लक्ष्य लेकर चल रहे हैं.” उन्होंने कहा “हमने मैपिंग के उद्देश्य (विमानों से चित्र लेना) से पहले एरियल फ़ोटोग्राफ़ी का उपयोग किया है, लेकिन यह महंगी है और इसकी सीमाएँ हैं.
यह ड्रोन तैनात करने का सही समय है.” इसका उद्देश्य अगले दो वर्षों के भीतर भारत के भूगोल का 75% भू-भाग 3.2 मिलियन वर्ग किमी के 2.4 मिलियन वर्ग किमी का नक्शा बनाना है. संगठन का लक्ष्य लगभग 300 ड्रोनों की खरीद करना है. एसओआई ने इस तरह के ड्रोन-आधारित मानचित्रण अभ्यास करने के लिए हरियाणा में 6 जिलों, कर्नाटक में 2 और महाराष्ट्र में 2 के साथ समझौते किए हैं. ड्रोन द्वारा मैप किए गए प्रत्येक वर्ग किलोमीटर को 2500 चित्रों में समझाया जाएगा.हैं।
SI (कार्टोग्राफी) के साथ-साथ ASI (पुरातत्व), BSI (वनस्पति विज्ञान), FSI (वन), FiSI (मत्स्य पालन), GSI (भूविज्ञान), IIEE (पारिस्थितिकी), NIO (समुद्र विज्ञान), RGCCI (भारत की जनगणना) और ZSI (जूलॉजी) भारत के प्रमुख राष्ट्रीय सर्वेक्षण संगठन हैं.