भारतीय रेलवे (Indian Railway) ने 24 रूट्स ऐसे रूट्स की पहचान की है जिसपर प्राइवेट कंपनियों (Private Company) को ट्रेनों (Trains) का संचालन दिया जाएगा. इसके अलावा 4 शहरों के सबअर्बन नेटवर्क पर भी प्राइवेट ऑपरेटर (Private Operator) ट्रेन चला पाएंगे. इस मुद्दे पर चर्चा के लिए रेलवे बोर्ड ने 27 सितंबर को एक अहम बैठक बुलाई है.
रेलवे ने नई सरकार बनते ही अपने 100 दिन के एजेंडे में कुछ ट्रेनों को निजी ऑपरेटरों को सौंपने की इच्छा जताई थी. इससे पहले ट्रायल के तौर पर रेलवे ने अपनी ही एक सब्सिडियरी इंडियन रेलवे कैटरिंग एंड टूरिज्म कॉरपोरेशन (IRCTC) को दो ट्रेनों का संचालन सौंपा है.
दिल्ली-लखनऊ और मुंबई-अहमदाबाद रूट पर दो तेजस ट्रेनें (Tejas Train) IRCTC को सौंपने के बाद भारतीय रेल ने अपना इरादा साफ कर दिया है. रेलवे चाहता है कि ज़्यादा से ज़्यादा निजी कंपनियां ट्रेनों के संचालन के लिए आगे आएं. इसलिए उसने उन रूट्स की भी पहचान कर ली है जिनपर निजी ऑपरेटरों को ट्रेनों का संचालन सौंपा जाएगा.
इनमें 10 लंबी दूरी के रूट्स भी शामिल हैं.
>> दिल्ली- मुंबई >> दिल्ली-हावड़ा
>> दिल्ली चेन्नई
>> दिल्ली-हैदराबाद
>> हावड़ा-चेन्नई
>> चेन्नई-मुंबई
>> दिल्ली-कटरा
>> दिल्ली-लखनऊ जैसे रूट्स भी शामिल हैं.
इसके अलावा 14 ऐसे इंटरसिटी रूट्स की पहचान की गई है जिनपर ट्रेन चलाने के लिए निजी कंपनियों को आकर्षित किया जा रहा है. इनमें मुंबई-अहमदाबाद, मुंबई-पुणे, दिल्ली-जयपुर/अजमेर, हावड़ा-पटना और हावड़ा-टाटा जैसे व्यस्त रूट शामिल हैं.
इसके साथ ही मुंबई, कोलकाता, चेन्नई और सिकंदराबाद में कुछ सबअर्बन ट्रेनों के लिए भी निजी ऑपरेटरों की तलाश की जा रही है. हालांकि अभी ये तय नहीं किया गया है कि निजी कंपनियों को चलाने के लिए नई ट्रेनें दी जाएंगी या मौजूदा ट्रेनों में से ही कुछ ट्रेनें निजी ऑपरेटर चलाएंगे.
रेलवे को उठाना पड़ सकता है आर्थिक नुकसान
रेलवे के सामने इस मुद्दे एक समस्या है कि लंबे रूट्स पर ख़ास ट्रेनों को प्राइवेट हाथों में सौंपने पर उसे बड़ा आर्थिक नुकसान उठाना पड़ सकता है. मसलन दिल्ली-मुंबई रूट पर चलने वाली राजधानी एक्सप्रेस की एक यात्रा से उसे क़रीब 50 लाख रुपये की आमदनी होती है. ऐसे में व्यस्त रूट पर ख़ास ट्रेनों को प्राइवेट हाथों में सौंपना उसके लिए बड़े नुकसान का सौदा हो सकता है. लेकिन सूत्रों के मुताबिक प्राइवेट ऑपरेटरों को रेलवे में लाने का फैसला हो चुका है और रेलवे अपनी उस योजना पर आगे बढ़ने के रास्ते को अंतिम रूप देने जा रहा है.