ओडिशा के कंधमाल जिले में हाल हीमें छह लोगों की सांप के डंसने की वजह से मौत हुई है। इसमें आंगनवाड़ी कर्मचारी और उसका आठ वर्षीय बच्चा भी शामिल है। राज्य में सर्पदंशसे मरने वालों की संख्या में इजाफा हो रहा है। यहां तक कि चक्रवात से ज्यादा लोग सांप के डंसने की वजह से जान गंवा रहे हैं।
ओडिशा सरकार के 2016 से 2019 तक के आंकड़े बताते हैं कि इस दौरान 6228 लोगों की जानें विभिन्न आपदाओं में जा चुकी हैं। इसमें केवल सांप के डंसने से मरने वालों की संख्या 2217 है। यह संख्या चक्रवात, बाढ़, आगजनी की घटनाओं आदि से ज्यादा हैं। वर्तमान साल 2019-20 में अब तक 325 लोगों की जान सांप के डंसने की वजह से हुई है।
विशेषज्ञों का कहना है कि इसके पीछे मुख्य तौर पर कुछ वजहें सामने आ रही हैं। इस मामले के जानकार ओडिशा सरकार के अधिकारियों का कहना है कि 2015 से पहले, जब ओडिशा ने सर्पदंश से होने वाली मौतों को राज्य के विशेष आपदाओं के रूप में घोषित किया था और इसमें परिजनों के लिए 4 लाख रुपये के मुआवजे का प्रावधान किया गया था तब सर्पदंश से होने वाली मौतों के बहुत कम रिकॉर्ड थे।
संयुक्त राहत आयुक्त प्रभात महापात्रा ने कहा कि 2015 से पहले लोगों की जान सर्पदंश से हुई होगी लेकिन चूंकि तब लोग सरकारी अस्पताल में शव को नहीं ले जाते थे। लेकिन जब से मुआवजा दिया जाने लगा तो लोग शव को अस्पताल पोस्टमार्टम के लिए ले जाने लगे हैं। इस वजह से यह भी एक कारण हो सकता है संख्या में इजाफा होने का।
एक अन्य कारण पीड़ितों की यह समझने में असमर्थता है कि उन्हें ओडिशा में पाए जाने वाले जहरीले सांपों की तीन सबसे आम किस्में क्रैट्स, रसेल वाइपर और कोबरा जैसे जहरीले सांपों ने काटा है। सुशील दत्ता ने कहा कि कुछ सांपों के इंसान को डंसने से बहुत दर्द नहीं होता है और जब तक पीड़ित को पता चलता है कि उसे सांप ने डंसा है तब तक बहुत देर हो चुकी होती है। दत्ता ने कहा, ‘ज्यादातर मौतें तब होती हैं जब पीड़ित या तो सो रहे होते हैं या नहीं देख पाते हैं कि उन्हें किसने काटा है।’
तीसरा कारण, पीडि़त को अस्पताल में ले जाने के लिए होने वाली देर है। वहीं, इसके लिए दवा की कमी भी एक कारण है। डॉ लंबोदर पांडा कहते हैं कि सर्पदंश पीड़ितों के इलाज में जो सबसे महत्वपूर्ण है, वह समय है। यहां तक कि किसी भी जहरीले सांप के ज़हर को एंटी-वेनम द्वारा बेअसर किया जा सकता है बर्शते समय का ध्यान रखा गया हो। कई ग्रामीण क्षेत्रों में, पीड़ितों के परिवार उपचार के लिए अस्पतालों में शिफ्ट करने से पहले उन्हें ओझाओं के पास ले जाने में बहुत समय बर्बाद करते हैं।
सरकारी प्रोटोकॉल के अनुसार, एंटी वेनिम प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में उपलब्ध होना चाहिए, जो त्रि-स्तरीय स्वास्थ्य सेवा प्रणाली का पहला पायदान है। लेकिन, सैकड़ों पीएचसी में एंटीवेनिम नहीं है। विशेषज्ञों ने यह भी कहा कि तेजी से शहरीकरण के कारण सांप शहरी इलाकों में आ रहे हैं। दत्ता ने कहा कि तेजी से हो रहे शहरीकरण के साथ, अधिकांश सांप अपनी रहने वाली जगहों को खोते जा रहे हैं और अब मानव बस्तियों के करीब रह रहे हैं। भारत में हर साल 28 लाख लोग सर्पदंश का शिकार होते हैं जिससे 46,900 लोग अपनी जान गंवा बैठते हैं।