कंपनियों को कॉरपोरेट टैक्स के बाद अब केंद्र सरकार मध्यम वर्द को भी आयकर में राहत दे सकती है।कार्यबल ने कर स्लैब में बदलाव कर मध्यम वर्ग को भी राहत देने का सुझाव दिया है। पांच से 10 लाख की आय पर टैक्स दर 20 से 10 फीसदी की जा सकती है। वहीं 10 से 20 लाख रुपये सालाना कमाने वालों को 20 फीसदी कर देना होगा। कार्यबल ने सुझाव दिया है कि 20 लाख रुपये से दो करोड़ रुपये तक की आय पर 30 फीसदी और इससे अधिक आय पर 35 फीसदी आयकर लगाया जाना चाहिए। आयकर पर लगाए गए अधिभारों और उपकरों को हटाने का भी सुझाव है।
कॉरपोरेट टैक्स के बाद कंपनियों को एक और राहत देने की तैयारी, जानें क्या है केंद्र की योजना
केंद्र सरकार कॉरपोरेट टैक्स के बाद कंपनियों को एक और राहत दे सकती है। दरअसल, निवेश को प्रोत्साहन के लिए प्रत्यक्ष कर संहिता पर बने कार्यबल ने लाभांश वितरण कर (डीडीटी) खत्म करने की सिफारिश की है। सूत्रों के मुताबिक, कार्यबल ने कहा है कि डीडीटी टैक्स पर टैक्स है और यह विदेशी निवेश के प्रवाह में रुकावट पैदा करता है।
किसी घरेलू कंपनी को सकल लाभांश पर 15 फीसदी लाभांश वितरण कर देना पड़ता है। सरचार्ज और सेस मिलाकर यह टैक्स 20.35 फीसदी हो जाता है। कुल टैक्स पर 12 फीसदी अधिभार और तीन फीसदी शिक्षा उपकर लगता है। सूत्रों के मुताबिक, इस कर को हटाए जाने से सरकार को राजस्व का नुकसान बेहद मामूली होगा, क्योंकि शेयरधारकों द्वारा चुकाए गए कर से इसकी भरपाई हो जाएगी। नई प्रत्यक्ष कर संहिता मौजूदा आयकर कानून की जगह लेगी। इससे जुड़े कार्यबल ने पिछले महीने वित्त मंत्रालय को रिपोर्ट सौंप दी है, जिस पर मंथन चल रहा है।
कार्यबल ने राजस्व संग्रह बढ़ाने के लिए नियमों के अनुपालन का भी कड़ाई से पालन करने का सुझाव दिया है। सरकार ने पिछले माह रिपोर्ट की एक सिफारिश को मानकर सभी घरेलू कंपनियों पर टैक्स 35 से घटाकर 25 फीसदी कर दिया है। अगर उपकर और अधिभार को हटा दें तो कंपनियों को 22 फीसदी कर देना होगा। इसे 28 सालों में सबसे बड़ा आर्थिक सुधार माना जा रहा है। नई विनिर्माण इकाइयों को महज 17 फीसदी टैक्स देना होगा, जो सेस को हटाकर महज 15 फीसदी होगा।