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PM मोदी की देखादेखी अंतरराष्ट्रीय ख्याति बढ़ाने चले इमरान खान, Pok को लेकर कर बैठे सबसे बड़ा कबूलनामा…




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इमरान खान ने ट्वीट कर पीओके के लोगों को संबोधित करते हुए लिखा है, ‘आजाद जम्मू-कश्मीर में कश्मीरियों के गुस्से को मैं समझता हूं. उन्हें सीमा पार के अपने साथियों की चिंता है, लेकिन किसी भी व्यक्ति का मानवीय सहायता के लिए LoC पार करना भारत के नैरेटिव को मजबूत करेगा.’

इस्लामाबाद: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) की अंतरराष्ट्रीय ख्याति को देखते हुए पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान (Imran khan) भी छवि सुधारने की कोशिश की, लेकिन वह अब तक का सबसे बड़ा कबूलनामा कर गए. इमरान ने अप्रत्यक्ष रूप से स्वीकर कर लिया है कि Pok से लोग LoC क्रॉस कर कश्मीर में दाखिल होते हैं. भारत में सीमा पार घुसपैठ के आरोपों को नकारने वाले पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान (Imran khan) ने अब खुद ही इसे अप्रत्यक्ष तौर पर स्वीकार किया है. इमरान खान (Imran khan) ने ट्वीट कर पीओके के लोगों को संबोधित करते हुए लिखा है, ‘आजाद जम्मू-कश्मीर में कश्मीरियों के गुस्से को मैं समझता हूं. उन्हें सीमा पार के अपने साथियों की चिंता है, लेकिन किसी भी व्यक्ति का मानवीय सहायता के लिए LoC पार करना भारत के नैरेटिव को मजबूत करेगा.’

अपने ट्वीट में इमरान खान (Imran khan) ने भले ही मानवीय सहायता के प्रोपेगेंडा की बात कही है, लेकिन इतिहास इस बात की तस्दीक करता है कि सीमा पार से मानवीय सहायता नहीं, बल्कि आतंकवादी घुसपैठ करते रहे हैं. साफ है कि इमरान ने माना है कि पाकिस्तान और पीओके से भारत में घुसपैठ होती रही है, लेकिन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर छवि बचाने के लिए फिलहाल वह सतर्क हैं.

इमरान ने ट्विटर पर यह चेतावनी तब दी है जब एक दिन पहले आजादी समर्थक जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (जेकेएलएफ) के कश्मीरियों के साथ एकजुटता दिखाने के आवाह्न पर पूरे पीओके क्षेत्र के हजारों निवासियों ने कारों और मोटरसाइकिलों से मुजफ्फराबाद तक रैली निकाली थी. जेकेएलएफ के एक प्रवक्ता ने डॉन न्यूज को बताया कि जुलूस में शामिल लोग शनिवार सुबह अपनी रैली चकोठी की ओर बढ़ाएंगे. उन्होंने कहा, ‘चकोठी से हम नियंत्रण रेखा पार कर श्रीनगर के लिए बढ़ेंगे.’ उन्होंने इच्छा जाहिर की कि प्रशासन और पुलिस उनके लिए अवरोध ना पैदा करे.

इमरान जिन्हें साथ लेकर चले, वही बन रहे राह के कांटे

क्रिकेटर से राजनेता बने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान (Imran khan) ने पाकिस्तान की प्रमुख विपक्षी पार्टियों पीपीपी और पीएमएल-नवाज को टक्कर देने के लिए जिस पाकिस्तानी सेना और चरमपंथी गुटों को साथ किया था, अब वही उनकी राह के कांटे बनने लगे हैं. सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा ने जहां उद्योगपतियों के साथ बैठक कर एक संकेत दिया, वहीं जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम के प्रमुख फजलुर रहमान ने आजादी मार्च का एलान कर उनकी मुसीबतें बढ़ा दी हैं. संयुक्त राष्ट्र महासभा में कश्मीर मुद्दे को जोर-शोर से उठा कर स्वदेश लौटे इमरान का जिस तरह देश में भव्य स्वागत हुआ था, वह 24 घंटे भी नहीं टिका और सब काफूर हो गया. देश की खस्ता अर्थव्यवस्था पर चारों तरफ से घिरे इमरान को अब कुछ सूझ नहीं रहा तो संयुक्त राष्ट्र से लौटने के बाद भी कश्मीर राग ही अलाप रहे हैं. वहीं सेना प्रमुख और चरमपंथी मौलाना फजलुर रहमान ने जमीनी हालात को समझते हुए अपनी योजनाओं को खुलासा कर दिया है.

इमरान खान (Imran khan) ने 25 अप्रैल, 1996 को औपचारिक रूप से अपनी राजनीतिक पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) की स्थापना की थी. उनकी पार्टी ने विशेष रूप से पाकिस्तान के युवाओं के बीच लोकप्रियता हासिल की और पार्टी 2013 के चुनाव में खैबर पख्तूनख्वा में एक प्रांतीय सरकार बनाने में सफल रही. पीटीआई जुलाई 2018 में केंद्रीय सत्ता में आई और 17 अगस्त, 2018 को इमरान पाकिस्तान के 22वें प्रधानमंत्री चुने गए.

इमरान ने देश की सत्ता तो हासिल कर ली, मगर वह युवाओं व देशवासियों की उम्मीदों पर खरा नहीं उतर सके. उनके प्रधानमंत्री बनने के एक साल के अंदर ही पाकिस्तान में गरीबी व बेरोजगारी अपने चरम स्तर पर पहुंच गई. यही वजह है कि अब आम आदमी उनसे जमीनी हकीकत से जुड़े मुद्दों पर सवाल पूछने लगा है. इमरान हालांकि भारत विरोधी बयानों और कश्मीर राग अलापते हुए जनता का ध्यान बंटाने में लगे हुए हैं.

जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम (जेयूआई-एफ) के प्रमुख फजलुर रहमान ने शनिवार को अपने ‘आजादी’ मार्च को सरकार के खिलाफ ‘जंग’ करार दिया. उन्होंने कहा कि यह तबतक समाप्त नहीं होगा, जबतक इस सरकार का पतन नहीं हो जाता.