छत्तीसगढ़ के जशपुर जिले को पर्यटन के क्षेत्र में विकसित करने के लिए यहां बालाछापर गांव में लकड़ी के आवास बना कर ट्रायबल टूरिस्ट विलेज का निर्माण कराया जा रहा है। इस केंद्र में जिले में निवासरत पहाड़ी कोरवा, बिरहोर जनजातियों के रहन-सहन, उनकी संस्कृति व कला से पर्यटकों को रुबरु कराया जाएगा।
कलेक्टर निलेश कुमार महादेव क्षीरसागर ने आज ‘यूनीवार्ता ‘ को बताया कि बालाछापर गांव में देश विदेश के पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए लगभग चार एकड़ भूमि में ठहरने के लिए पूर्णत: लकड़ी से निर्मित हट्स का निर्माण कराया जा रहा है।
उन्होंने बताया कि यह कार्य अब पूर्णता की ओर है। इस ट्रायबल टूरिस्ट विलेज में स्थानीय कलाकारों द्वारा निर्मित विविध प्रकार की कलाकृतियों के प्रदर्शन एवं विक्रय की भी व्यवस्था रहेगी।
उन्होंने बताया कि यहां जशपुर जिले में निवासरत पहाड़ी कोरवा, बिरहोर जैसी जनजाजातियों के जीवन शैली पर आधारित चीजें जुटाईं गई हैं। ताकि बाहर से आने वाले पर्यटकों को यहां रहकर लगे कि वे खुद भी जनजाति परिवार के साथ हैं।
यहां लैण्डस्केप तथा ओपन एमपी थिएटर सहित ईको लग्जरी हट्स का भी निर्माण कराया जा रहा है। इसके पूरा होते ही इस ट्रायबल टूरिस्ट विलेज में स्थानीय प्रजातियों के पेड़ पौधे लगाए जाएगें। इसके अलावा जिले के पुरातात्विक स्थल पर विद्यमान मूर्तियों को ध्यान में रखते हुए उसी शैली में पत्थर की मूर्तियां बनाई जा रही है।
वर्तमान में यहां ट्रायबल रहन सहन आर्टिशियन सेंटर और लग्जरी हट्स, को काफी आकर्षक ढंग से तैयार किया गया है। यहां पड़ोसी झारखंड, बिहार और ओडिशा राज्य से पर्यटकों कोएयरपोर्ट से जशपुर पहुंचने के लिए अच्छी सड़क सुविधा भी उपलब्ध होगी।
बालाछापर के सबसे नजदीक रानीदाह जलप्रपात तक पहुंचने के लिए वन विभाग की कच्ची सड़क को भी विकसित किया जा रहा है। समीप ही सोगड़ा और सारूडीह का चाय बागान तक पहुंचने के लिए भी पक्की सड़क का निर्माण हुआ है। सन्ना व पंडरापाठ जैसी उंची पहाड़ियों तक पहुंचने के लिए भी पक्की सड़कें बन चुकी है। पर्यटन विभाग ने ट्रायबल टूरिस्ट विलेज के पास चाय बागान विकसित करने की भी प्लानिंग पर काम शुरू कर दिया है।
वन मंडल अधिकारी जाधव श्रीकृष्ण ने बताया कि टूरिस्ट विलेज के पास की लगभग 100 एकड़ जमीन पर चाय बागान बनाने की योजना पर तेजी से काम चल रहा है। आसपास के किसानों को चाय की खेती से जुड़ने के लिए प्रेरित किऐ जाने के अच्छे परिणाम सामने आए हैं। कलेक्टर श्री क्षीरसागर ने बताया कि ट्रायबल विलेज में जनजाति पकवानों को भी महत्व दिया जा रहा है।
यहां जनजातियों द्वारा उपयोग किए जाने वाले कंद मूल, कोदो, कुटकी, रामतिल आदि से बने व्यंजन बनाए जाएंगे। यही नहीं व्यंजनों को परोसने के लिए देसी जनजाति पद्धति दोना पत्तल आदि का उपयोग किया जाएगा। पर्यटकों को यहां पहुंचकर बिल्कुल नया अनुभव होगा जो यहां की खासियत होगी।