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कुष्ठ उन्मूलन : करने थे 200 आॅपरेशन सिर्फ 1 सर्जरी कर डॉक्टरों ने कर दी खानापूर्ति…




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रीकंसट्रक्टिव सर्जरी से कुष्ठ रोगियों की विकलांगता दूर करने के लिए दुर्ग में संभाग स्तर पर 6 से 8 अगस्त के बीच होने वाले शिविर का अफसरों की लापरवाही से बंटाधार हो गया। इस शिविर में संभाग के करीब 200 से ज्यादा मरीजों का इलाज होता। जिसके लिए निजी अस्पतालों में लाखों खर्च करने पड़ते हैं। संभाग के पांचों जिलों में कुष्ठ रोग के मरीजों की इससे अधिक संख्या होने के बावजूद अधिकारी मात्र 1 मरीज का आपरेशन करा शिविर को पूरा का लिए। ऐसा तब भी जब दो बार शिविर की तारीख बदली गई।

अगस्त में होने वाले शिविर को सितंबर तक खींचा, दावा-9 मरीज आए, सर्जरी लायक एक ही मिला

  1. कैंप के लिए भारत सरकार से नियुक्त सर्जन डॉ. केएम कांबले ने कलेक्टर और सीएमएचओ को 24 अगस्त को दूसरी बार भी मेल किया। फिर भी जिम्मेदारों के कानों में जूं नहीं रेंगा। सबने अगस्त में होने वाले शिविर को सितंबर तक खींचा। सर्जरी की दूसरी तारीख नजदीक आने पर सीएमएचओ डॉ. गंभीर सिंह ने नियुक्त डॉक्टर की जगह निजी डॉ. मनोतोष अल्काना को बुलाया और एक सर्जरी कराकर कैंप की खानापूर्ति की। दावा किया उस दिन 9 मरीज आए, पर सर्जरी के लायक उनमें एक ही मरीज था। 
  2. जानिए, मरीजों के लिए कितना उपयोगी था यह कैंप संभाग के पांचों जिलों में सर्जरी लायक कुष्ठ रोगियों की संख्या 200 के ऊपर बताई जाती है। मामूली सी सर्जरी से इनकी आंशिक विकलांगता दूर हो सकती है। उसी सर्जरी को मुफ्त मेें करने लिए भारत सरकार ने दुर्ग में कैंप का शेड्यूल तय किया था। जिम्मेदारों को ऐसे मरीज ढूंढ कर नियुक्त डॉक्टर को दिखाने की जिम्मेदारी दी गई थी। जिसे किए होते तो कम से कम 50 की सर्जरी हो जाती। बावजूद इसके राष्ट्रीय कार्यक्रम में जिले के स्वास्थ्य अधिकारियों ने बड़ी लापरवाही कर दी। 
  3. रीकंसट्रक्टिव सर्जरी महंगी लेकिन मुफ्त में हो जाती कुष्ठ रोग का बैक्टीरिया चूंकि नसों को डैमेज करता है, इसलिए उससे जुड़े अंग काम करना बंद कर देता है। आरसीएस के जरिए डॉक्टर डैमेज नसों को ठीक कर देता है। चूंकि यह सर्जरी काफी महंगी होती है, इसलिए सभी इसे नहीं करा पाते हैं। दुर्ग में होने वाले संभाग स्तरीय कैंप में ऐसी सर्जरी पूर्णत: मुफ्त में किए जाने की प्लानिंग की गई थी, लेकिन जिला कुष्ठ अधिकारी दुर्ग डॉ. अनिल शुक्ला, डिस्ट्रिक प्रोग्राम मैनेजर दुर्ग पियूली मजूमदार और सीएमएचओ दुर्ग डॉ. गंभीर सिंह ठाकुर की लापरवाही की भेंट चढ़ गई। 
  4. लापरवाह रहा जिला प्रशासन, कार्रवाई होनी चाहिए… सर्जरी की तारीख नियत होने के बाद भी स्थानीय जिम्मेदारों ने मरीज नहीं ढूंढे। मैने कलेक्टर और सीएमएचओ को पत्र लिखा। उसका भी स्थानीय जिम्मेदारों पर कोई असर नहीं हुआ।डॉ. केएम कांबले, सर्जरी डॉक्टर। 
  5. नियत तारीख पर डॉक्टर नहीं पहुंचे, मरीज हमने बुलाए थे.. सर्जरी के लिए नियत हुई तारीख पर केंद्र सरकार डॉ. कांबले नहीं पहुंचे। इसलिए हमने निजी अस्पताल के डॉक्टर को बुलाया और सर्जरी कराई। कुल 9 मरीज आपरेशन एक का ही हो पाया।डॉ. गंभीर सिंह, सीएमएचओ 
  6. 6 से 8 के आपरेशन के लिए ओटी में पूरी तैयारी थी। ओटी के स्टॉफ समय पर ऑपरेशन थिएटर पहुंच गए थे। लेकिन मरीज ही नहीं ढूंढा गया। बाद बताया गया कि सर्जरी की तारीख पोस्ट फोन की गई है।