विपणन वर्ष 2019-20 के लिए धान खरीदी की तैयारी शुरू हो गई है। इस बीच धान के औसत उत्पादन का आंकलन भी जमीनी स्तर पर प्रारंभ हो गया है। जिला प्रशासन ने सख्त चेतावनी दी है कि इस गिरदावरी की प्रक्रिया में गड़बड़ी हुई तो पटवारियों की खैर नहीं । गिरदावरी को लेकर जिला प्रशासन ने जबदरस्त सख्ती दिखाई है। गड़बड़ी पाए जाने पर जेल तक भेजने की चेतावनी दी गई है।
गिरदावरी की प्रक्रिया के तहत किसानों की बुआई की गई जमीन का सत्यापन और अनुमानित उत्पादन का अंदाजा लगाया जाता है। खेतों में जाकर इसका रिकॉर्ड तैयार किया जाता है। इस रिकॉर्ड के आधार पर ही किसानों से धान की खरीदी करने की तैयारी है। एक एकड़ में 15 क्विंटल धान किसानों से 25 सौ रुपये प्रति क्विंटल के दर से सरकार ने बीते वर्ष खरीदी की थी।
पड़ोसी राज्य झारखण्ड और ओडिसा से आने वाली धान के खेप को रोकने के लिए इस बार प्रशासन ने खरीदी प्रक्रिया के शुरूआत से ही सख्त रूख दिखाना शुरू कर दिया है। इस वक्त जिले में चालू सीजन की धान खरीदी के लिए किसानों का पंजीयन और गिरदावरी की प्रक्रिया की जा रही है। यह प्रक्रिया 31 अक्टूबर तक पूरा किया जाना है।
धान खरीदी के लिए गिरदावरी की प्रक्रिया सबसे अहम मानी जा रही है। प्रक्रिया से जुड़े अधिकारियों का मानना है कि खरीदी प्रक्रिया में गड़बड़ियों की शुरूआत भी यहीं से होती है। अगर प्रशासन के पास किसानों की कुल जमीन और धान बोआई के रकबे की सही-सही जानकारी उपलब्ध हो तो आवक होने के बावजूद अन्य प्रांत से आने वाले धान को बेच पाना संभव नहीं होगा। लेकिन काली कमाई के चक्कर में कोचिया राजस्व विभाग के अधिकारी व कर्मचारियों के साथ मिलीभगत करके किसानों के पर्चा के माध्यम से यह गोरखधंधा करते हैं।
इसके बाद लाख प्रयास के बावजूद धान खरीदी में गड़बड़ी को रोक पाना शासन-प्रशासन के लिए संभव नहीं हो पाता है। यही वजह है कि जिला प्रशासन ने गिरदावरी प्रक्रिया से जमीनी राजस्वकर्मियों पटवारियों, अधिकारियों को इस बार चेतावनी जारी किया है कि इस प्रक्रिया में किसी भी प्रकार की गड़बड़ी पाए जाने पर संबंधितों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।