Home छत्तीसगढ़ सावधान : इजराइल के हैकर ने छत्तीसगढ़ के चार लोगों का व्‍हाट्सएप...

सावधान : इजराइल के हैकर ने छत्तीसगढ़ के चार लोगों का व्‍हाट्सएप वीडियो काॅल किया हैक




IMG-20240704-WA0019
IMG-20220701-WA0004
WhatsApp-Image-2022-08-01-at-12.15.40-PM
1658178730682
WhatsApp-Image-2024-08-18-at-1.51.50-PM
WhatsApp-Image-2024-08-18-at-1.51.48-PM

 इजराइल के हैकर ने छत्तीसगढ़ के चार लोगों का व्हाट्सएप वीडियो कॉल हैक किया है। पेगासस नामक खतरनाक स्पाईवेयर ने विश्व के 1400 लोगों का व्हाट्सएप हैक किया है। इसमें देश के 100 से ज्यादा लोग शामिल हैं, जिसमें 19 की पुष्टि हुई है। छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन (सीबीए) के संयोजक आलोक शुक्ला, सामाजिक कार्यकर्ता डिग्री प्रसाद चौहान, शालिनी गेरा और शुभ्रांशु चौधरी के व्हाट्सएप वीडियो काल हैक करने की पुष्टि हुई है।

व्हाट्सएप ने पेगासस नामक एक खतरनाक स्पाईवेयर को इस हमले के लिए जम्मेदार ठहराया हैं, जो इजरायल स्थित एनएसओ समूह तथा उसकी मूल कंपनी ऊ साइबर टेक्नोलॉजी द्वारा उत्पादित हैं। यह स्पाईवेयर बाजार में उपलब्ध सबसे परिष्कृत स्पाईवेयर में से एक है। एक बार इंस्टॉल हो जाने पर यह उपयोगकर्ता की जानकारी के बिना उसके यंत्र में संचयित समस्त सामग्री को एक सुदूर संचालक को उपलब्ध करा देता हैं। इसमें उनके पासवर्ड, संपर्क सूची, कॉल लॉग, लिखित संदेश, ध्वनित कॉल शामिल हैं।

सीबीए के आलोक शुक्ला ने बताया कि कुछ माह पूर्व अंतराष्टीय नंबर से व्हाट्सएप पर वीडियो कॉल के मिस कॉल आ रहे थे। कुछ 44 नंबर से शुरुआत थी। 29 अक्टूबर को जब व्हाट्सएप ने संदेश भेजकर जानकारी दी कि व्हाट्सएप के जरिए मेरे फोन को हैक कर सर्विलांस में लिया गया हैं। मीडिया के माध्यम से ज्ञात हुआ कि इजराइल की एजेंसी ने यह किया है।

एजेंसी का कहना है कि वह जानकारी सिर्फ सरकारी एजेंसी को मुहैया कराती हैं। शुक्ला ने सवाल किया कि क्या बिना भारत सरकार की अनुमति से ये संभव हैं, कदापि नही? अनुमति के बिना इस देश के बुद्धिजीवियों, पत्रकार, सामाजिक एवं मानवाधिकार कार्यकर्ता और वकीलों को निशाने पर लिया गया हैं। इस तरीके बिना अनुमति से फोन को सर्विलांस में लेना हमारे निजता का हनन है। यह संविधानिक अधिकारों का उल्लंघन हैं।

केंद्र जानकारी करे सार्वजनिक

इस हमले से प्रभावित तथा जम्मेदार नागरिकों ने केंद्र सरकार से अपील की कि इस साइबर हमले से जुड़ी जो भी जानकारी उसके पास हैं। इसी प्रकार के अन्य व्यापक निगरानी तंत्रों के विषय में जो सूचना उपलब्ध हैं, उसे सार्वजनिक करें। साथ ही इन तंत्रों से जुड़े सभी लोगों की जानकारी साझा करें। यह सार्वजनिक चिंता का विषय है कि क्या भारतीय करदाताओं के पैसे को इस प्रकार की साइबर निगरानी पर खर्च किया जा रहा हैं, जिसमें करोड़ों स्र्पये तथा सूचना तकनीक के विस्तृत ढांचे की आवश्यकता पड़ती है।