भारत-बांग्लादेश टी20 सीरीज के आखिरी और निर्णायक मुकाबले में हैट्रिक लेकर स्टार बने भारतीय तेज़ गेंदबाज़ दीपक चाहर ने इतिहास रच दिया. दीपक चाहर के हैट्रिक और बेहतरीन प्रदर्शन के बारे में आपने कल के मैच के बाद काफी कुछ पढ़ होगा, लेकिन दीपक चाहर के क्रिकेटर बनने की कहानी बड़ी दिलचस्प है.
7 अगस्त 1992 को उत्तर प्रदेश के आगरा में जन्मे दीपक चाहर ने 12 साल की उम्र से क्रिकेट खेलना शुरू कर दिया था. हालांकि यूपी में जन्मे दीपक ने अपने क्रिकेट करियर की शुरुआत राजस्थान में की थी. क्रिकेटर बनने का सबसे बड़ा श्रेय दीपक अपने पिता को देते हैं और उन्हें अपना रीयल कोच मानते हैं.
हालांकि दीपक चाहर को क्रिकेटर बनाने में उनके पिता का बहुत बड़ा योगदान है. लेकिन कहते हैं न कि तारीफों से ज़्यादा आलोचनाएं आपको जो सबक सिखाती है वो ज़िंदगी भर आपके जेहन में रहता है. कुछ ऐसी ही कहानी दीपक चाहर की भी है.
ग्रेग चैपल ने किया था रिजेक्ट
बात 2008 की है जब भारतीय टीम के पूर्व कोच ग्रेग चैपल राजस्थान क्रिकेट एसोसिएशन एकेडमी के डायरेक्टर थे. वहीं ऑस्ट्रेलिया से अंडर-19 क्रिकेट टूर्नामेंट खेलकर लौटे दीपक चाहर की अगली परीक्षा राजस्थान क्रिकेट बोर्ड की ओर से ट्रेनिंग देने के लिए बुलाए गए ग्रेग चैपल के सामने थी. राजस्थान क्रिकेट बोर्ड ने ग्रैग चैपल को कई खिलाड़ियों को ट्रेनिंग देनी की जिम्मेदारी दी. इन खिलाड़ियों में दीपक चाहर भी शामिल थे.
लेकिन इस दौरान जो हुआ उसने दीपक चाहर की जिंदगी बदल थी. ग्रेग चैपल ने दीपक चाहर को रिजेक्ट कर दिया था. चैपल ने दीपक को क्रिकेट छोड़ने की नसीहत देते हुए कहा था कि वो क्रिकेट छोड़ दें क्योंकि वो कभी भी क्रिकेटर नहीं बन पाएंगे. बस फिर क्या चैपल की इस बात को दीपक ने दिल से लगा लिया और उसके बाद जो हुआ वो आज सबके सामने है.
वो दिन जब चाहर को रोने का मन हुआ
अपने उस पल को याद करते हुए दीपक चाहर ने Cricbuzz को बताया था, “उन्होंने (ग्रेग चैपल) मुझे राजस्थान के अंतिम 50 में भी नहीं चुना. इसलिए मैंने उनसे जाकर इसकी वजह पूछी. उन्होंने फिटनेस पर बहुत जोर दिया था और कई अनफिट लोगों को घर भेज दिया गया था. लेकिन, मैं बिल्कुल फिट था. ऐसे में मैं जानना चाहता था कि मुझे क्यों नहीं चुना गया? फिर उन्होंने मुझे बताया कि उन्हें नहीं लगता कि मैं उच्च स्तर पर क्रिकेट खेल सकता हूं. मुझे ये बात बहुत बुरी लगी. मेरे पूरे करियर में वो एक ऐसा दिन था जब मुझे रोने का मन हुआ.”
दीपक चाहर ने कहा, “हालांकि अच्छा ही हुआ की मुझे घर भेज दिया गया क्योंकि इसके बाद मैंने जमकर मेहनत की और दो साल के भीतर मैं राजस्थान के लिए रणजी ट्रॉफी खेल रहा था. आप कह सकते हैं कि ग्रेग चैपल की बातों ने मुझे बदल दिया. मैंने अपने फिटनेस से ज़्यादा अपनी गेंदबाजी एक्शन पर काम किया. अपनी गति बढ़ाई और अब मेरी सबसे तेज गेंद 140 kph के आसपास है.”
पहले फर्स्ट क्लास मैच में ही दिखाया रंग
दीपक ने 2010 में राजस्थान के लिए अपना पहला फर्स्ट क्लास मैच खेला. यह मैच राजस्थान बनाम हैदराबाद था. अपने पहले ही मैच में दीपक चाहर ने 7.3 ओवर में सिर्फ 10 रन देकर एक पारी में 8 विकेट चटकाए. दीपक की स्विंग गेंदबाजी की बदौलत हैदराबाद अपनी पहली पारी में सिर्फ 21 रनों पर ही सिमट गई. दूसरी पारी में भी चाहर ने 4 विकेट लिए. दीपक के शानदार प्रदर्शन से राजस्थान की टीम पहली बार रणजी चैंपियन बनी. ने दीपक चाहर को अपनी टीम में शामिल किया।
आईपीएल में भी की शानदारी गेंदबाज़ी
दीपक ने 2012 में राजस्थान रॉयल्स की तरफ़ से आईपीएल में डेब्यू किया. 2012 से 2015 तक चाहर राजस्थान रॉयल्स के लिए खेले. इसके बाद 2016-17 में वो राइजिंग पुणे सुपरजाएंट्स की तरफ से खेले. लेकिन दीपक चमके 2018 आईपीएल में चेन्नई सुपर किंग्स की ओर से खेलते हुए. इस दौरान दीपक ने 12 मैचों में 10 विकेट चटकाए थे. फिर 2019 आईपीएल में भी दीपक चाहर चेन्नई सुपर किंग्स के काफी सफल गेंदबाज़ रहे. उन्होंने 17 मैचों में 22 विकेट चटकाए. आईपीएल के पावरप्ले में दीपक चाहर ने कमाल का खेल दिखाया था. उनकी स्विंग गेंदबाजी का एमएस धोनी ने बहुत अच्छा इस्तेमाल किया था.
आईपीएल में अपनी शानदार गेंदबाजी के दम पर दीपक चाहर ने इंडिया ए टीम में जगह बनाई. इसके बाद दीपक चाहर को जुलाई 2018 में टीम इंडिया के लिए पहला टी20 अंतरराष्ट्रीय खेलने का मौका मिला. भारत और इंग्लैंड के बीच होने वाली टी20 सीरीज के लिए जसप्रीत बुमराह के चोटिल होने के बाद टीम में शामिल किया गया. अपने पहले ही टी20 अंतरराष्ट्रीय में चाहर ने जेसन रॉय का अहम विकेट चटकाया था.