रतनपुर वन परिक्षेत्र अंतर्गत ग्राम लखराम में एक बंदर के बच्चे के सिर में स्टील का लोटा फंस गया। गुरुवार को सूचना मिलने पर कानन पेंडारी की रेस्क्यू टीम मौके पर पहुंची। लेकिन मादा बंदर के अलावा झुंड में शामिल अन्य वनकर्मियों को नजदीक नहीं आने दे रहे थे। करीब तीन घंटे तक मशक्कत के बाद टीम बिना रेस्क्यू लौट गई। यह गांव जंगल से लगा हुआ है। इसलिए अक्सर बंदर झूंड में पहुंचते हैं। यह घटना बुधवार की बताई जा रही है। बंदरों के झुंड में आठ से 10 महीने के बच्चे को प्यास लगी थी। वह एक घर के आंगन में रखे लोटे पर प्यास बुझाने के लिए सिर को डाला। इसी बीच उसका सिर फंस गया। इसके बाद वह इधर- उधर भागने लगा। जिसे कुछ ग्रामीणों ने देख लिया। पहले तो उन्हें लगा कि लोटे को वह निकाल लेंगे। लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
इसकी जानकारी वन विभाग को भी दी। लेकिन जब वन अमला पहुंचा तो अंधेरा हो चुका था। गुरुवार की सुबह बंदर एक ही स्थान पर बैठे हुए थे। इस पर रतनपुर वन परिक्षेत्र से कानन पेंडारी जू को सूचना देकर घटना के बारे में बताया। साथ ही रेस्क्यू टीम भेजने के लिए कहा गया।
इस पर तीन से चार कर्मचारी विभागीय वाहन से लखराम पहुंचे। टीम के सदस्यों बिस्किट व अन्य खाने- पीने की चीजों का लालच देकर झुंड को बच्चे से अलग करने का प्रयास किया। लेकिन मां ने उसे नहीं छोड़ा और सीने से लगाए बैठी रही। कुछ वनकर्मी नजदीक जाने की कोशिश भी करने लगे। लेकिन खतरा समझकर बंदर उन्हें करीब आने नहीं दी। आखिर अफसरों को स्थिति से अवगत कराने के बाद टीम लौट गई।
बेहोश कर निकाला जा सकता था, एक्सपर्ट नहीं
बंदर के सिर में फंसे लोटे को ट्रैंक्यूलाइज कर निकाला जा सकता था। लेकिन टीम के पास ट्रैंक्यूलाइजर ही नहीं था। इसे चलाने के लिए प्रदेश में केवल डॉ.पीके चंदन और डॉ. जयप्रकाश जडिया ही एक्सपर्ट हैं। उन्हें लाइसेंस भी दिया गया है। तबादले के कारण डॉ. जडिया कानन पेंडारी और डॉ. चंदन रायपुर चले गए हैं। डॉ. जडिया अभी छुट्टी पर चल रहे हैं। डॉ. चंदन के रायपुर में होने के कारण उपलब्ध नहीं हो पाए।