दो दिन के लिए इंटरनेट सेवा क्या बंद हुई, लाखों लोगों के दिन का चैन और रातों की नींद छिन गई. हजारों फैमिली ऐसे भी हैं, जिनके लिए दो दिन की इंटरनेट बंदी ने अपनों के लिए अपनेपन का एहसास बढ़ा दिया है. अपनों के बीच बढ़ रही दूरियों को कम करने का मौका दे दिया. एक ही घर में रहने के बाद भी बिल्कुल अलग-थलग से पड़ते जा रहे लोगों को एक-दूसरे के करीब लाने का माध्यम बना.
अपनो के लिए निकालना चाहिए वक्त
सरदार पटेल मार्ग पर स्थित एक अपार्टमेंट के फ्लैट में रहने वाले रिटायर्ड ऑफिसर एमपी अग्रवाल की फैमिली ने दो दिन की इंटरनेट बंदी में ये महसूस किया कि इंटरनेट और मोबाइल ने उन्हें बहुत कुछ देने के बाद भी क्या-क्या छीना. एमपी अग्रवाल के दो बेटों विभू अग्रवाल और विनय अग्रवाल की फैमिली एक साथ रहती है. फैमिली में आठ से दस मेम्बर हैं, लेकिन सभी अपनी लाइफ में बिजी रहते हैं, जो समय मिलता है, उसमें इंटरनेट की दुनिया में खोए रहते हैं. फैमिली के लोगों ने इस बात को शिद्दत से महसूस किया कि अपने सारे कामों को करने के बाद भी दो दिनों में सबने एक-दूसरे के साथ पहले से ज्यादा समय बिताया. साथ में बैठ कर टीवी देखी.
साथ में बैठ कर तमाम मुद्दों पर बातचीत की और हंसी-ठिठोली की. एमपी अग्रवाल के बेटे विभु अग्रवाल ने कहा कि जो टाइम फैमिली मेम्बर फेसबुक, इंस्टाग्राम, वाट्सअप के साथ ही अदर इंटरनेट एक्टिविटी, एजुकेशन वर्ल्ड में देते थे, उसी समय को फैमिली के साथ स्पेंट किया तो थोड़ा खुशी का अहसास हुआ. एमपी अग्रवाल की पत्नी रमा देवी ने भी कहा कि वाकई इन दो दिनों में काफी अच्छा लगा. अब सबको एहसास हुआ कि इंटरनेट की दुनिया से दूरी बढ़ा कर अपनों के लिए समय निकालना पड़ेगा.