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आखिर 1 जनवरी से ही क्यों होती है नए साल की शुरुआत, जानिए ये चौंकाने वाली वजह…




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 आज 1 जनवरी है यानी नए साल 2020 की शुरुआत हो चुकी है। 1 जनवरी को भारत समेत दुनिया के कई देशों में नया साल मनाया जाता है। लेकिन बहुत से लोगों को यह पता नहीं है कि सदियों पहले 1 जनवरी को नया साल नहीं होता था। क्योंकि इससे पहले कभी 25 मार्च तो कभी 25 दिसंबर से भी साल की शुरुआत होती थी। लेकिन हम आपको बता रहे हैं कि आखिर में कैसे 1 जनवरी से ही नया साल मनाने की शुरुआत हुई।

715 ईसा पूर्व से लेकर 673 ईसा पूर्व तक नूमा पोंपिलस नाम व्यक्ति रोम का राजा रहा। उसने रोमन कैलेंडर में कुछ बदलावा किया था जिसके अनुसार कैलेंडर में मार्च की जगह जनवरी को पहला महीना बनाया गया। आपको बता दें कि जनवरी का नाम जानूस (Janus) पर पड़ा है जिसे रोम में किसी चीज की शुरुआत करने का देवता माना जाता है। जबकि मार्च नाम मार्स (mars) से लिया गया था जिसे युद्ध का देवता माना जाता है। इसी वजह से नूमा ने जनवरी को पहला महीना माना क्योंकि इसका अर्थ ही शुरुआत होता है। नूमा के समय में कैलेंडर में 10 महीने होते थे और एक साल में 310 दिन। उस समय सप्ताह में भी 8 दिन होते थे। इसके बाद 153 ईसा पूर्व तक 1 जनवरी को रोमन वर्ष की शुरुआत घोषित नहीं माना गया था।

इसके बाद रोम के राजा जूलियन सीजर ने रोमन कैलेंडर में बदलाव करते हुए जनवरी को साल का पहला महीना बनाया। इसके बाद से ही 1 जनवरी से नए साल की शुरुआत की। जूलियन कैलेंडर में नई गणनाओं के आधार पर साल में 12 महीने माने गए। जूलियस सीजर ने खगोलविदों से संपर्क करते हुए गणना करवाई। इसमें सामने आया कि पृथ्वी 365 दिन और छह घंटे में सूर्य का चक्कर लगाती है। इसलिए जूलियन कैलेंडर में साल में 310 की जगह 365 दिन माने और 6 घंटे जो अतिरिक्त बचते थे उसके लिए लीप ईयर बनाया गया। इसी वजह से प्रत्येक 4 साल बाद 6 घंटा मिलकर 24 घंटा यानी एक दिन हो जाता है तो हर चौथे साल फरवरी को 29 दिन का माना गया।

इसके बाद रोमन साम्राज्य का पतन हो गया और 5वीं सदी में कई ईसाई देशों ने जूलियन कैलेंडर में बदलाव किया। कुछ ने अपनी धार्मिक मान्यताओं के अनुसार 25 मार्च तो कुछ ने 25 दिसंबर को नया साल मनाना शुरू कर दिया। ईसाई मान्यता के अनुसार 25 मार्च को ही ईश्वर के विशेष दूत गैबरियल ने आकर मैरी को संदेश दिया था कि वह ईश्वर के अवतार ईसा मसीह को जन्म देंगी। वहीं, 25 दिसंबर को ईसा मसीह का जन्म हुआ था।

इसके बाद यह पाया गया कि जूलियन कैलेंडर में लीप इयर को लेकर त्रुटि है। सेंट बीड नाम के एक धर्म गुरु ने ये बताया कि एक साल में 365 दिन और 6 घंटे न होकर 365 दिन 5 घंटे और 46 सेकंड होते हैं। इसमें संशोधन करके पोप ग्रेगरी ने 1582 में नया कैलेंडर पेश किया तब से 1 जनवरी को नए साल की शुरुआत माना गया। ग्रेगोरियन कैलेंडर को अक्टूबर 1582 से अपनाया गया।

इसके बाद कैथोलिक देशों ने तुरंत ग्रेगोरियन कैलेंडर को अपना लिया। उनमें स्पेन, पुर्तगाल और इटली के अधिकांश इलाके शामिल थे। ब्रिटिश साम्राज्य ने 1752 में और स्वीडन ने 1753 में इसको अपना लिया। रूसी क्रांति के बाद वहां ग्रेगोरियन कैलेंडर अपनाया लिया गया। बाद में फ्रांस ने भी इसे अपना लिया। भारत में भी 1752 में ही ग्रेगोरियन कैलेंडर को अपना लिया गया। हालांकि भारत का आधिकारिक कैलेंडर शक कैलेंडर है जिसे 22 मार्च, 1957 को अपनाया गया। इसका पहला महीना चैत्र होता है और साल में 365 दिन होते हैं।