निर्भया के दोषियों की फांसी पर 31 जनवरी को पटियाला हाउस कोर्ट द्वारा रोक लगाने के बाद एक बार फिर दोषियों की फांसी टल गई। अब इस मुद्दे को आम आदमी पार्टी ने राज्यसभा के बजट सत्र में उठाया है। आम आदमी पार्टी ने निर्भया मामले के दोषियों को फांसी दिए जाने में हो रही देरी का मुद्दा उठाते हुए राज्यसभा में मंगलवार को कहा कि सजा की तामील के लिए राष्ट्रपति या भारत के प्रधान न्यायाधीश को हस्तक्षेप करना चाहिए। शून्यकाल में यह मुद्दा उठाते हुए आम आदमी पार्टी के संजय सिंह ने कहा कि चारों दोषियों को मौत की सजा सुनाई जा चुकी है, लेकिन सजा की तामील में विलंब होता जा रहा है। उन्होंने कहा कि इस मामले को लेकर राजनीतिक बयानबाजी भी हो रही है जो दुर्भाग्यपूर्ण है।
सिंह ने कहा 2012 में हुई इस घटना के बाद पूरा देश आंदोलित हो कर सड़कों पर आ गया था, लेकिन दोषियों की फांसी बार-बार टलती जा रही है। उन्होंने कहा कि तारीख पर तारीख… यह हो रहा है। इस पर सभापति एम वेंकैया नायडू ने कहा कि यह अत्यंत संवेदनशील एवं गंभीर मुद्दा है और अदालत के आदेश का यथाशीघ्र कार्यान्वयन किया जाना चाहिए।
इस दौरान संशोधित नागरिकता कानून और राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर के मुद्दे पर चर्चा की मांग को लेकर सभापति के आसन के समक्ष नारेबाजी कर रहे कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस के सदस्य मौन रहे। संजय सिंह ने कहा कि पीड़ितों को न्याय समय पर मिल जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि अदालत के आदेश के कार्यान्वयन में विलंब को लेकर लोग चिंतित और व्यथित हैं। उन्होंने कहा कि जो लोग व्यवस्था में हैं, उन्हें अपने दायित्व पूरे करने चाहिए। सभापति ने कहा कि दोषियों को सभी कानूनी अवसर दिए जा रहे हैं। हम देश में इस तरह की चीजें नहीं होने दे सकते। लोगों का धैर्य खत्म हो रहा है। फैसले को यथाशीघ्र कार्यान्वित होते नजर आना चाहिए।
सदन में मौजूद केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने दोषियों की सजा में विलंब के लिए राज्य सरकार को दोषी ठहराया। इस पर आप सदस्यों ने आपत्ति जाहिर की।
गौरतलब है कि पैरामेडिकल की 23 वर्षीय छात्रा निर्भया के साथ 16 दिसंबर 2012 की रात एक निजी बस में उसके चालक सहित छह लोगों ने दुष्कर्म के बाद बेरहमी से उसे और उसके दोस्त को बुरी तरह पीटा था। बाद में दोनों को चलती बस से बाहर फेंक दिया गया था।
निर्भया को इलाज के लिए सिंगापुर ले जाया गया, लेकिन उसे बचाया नहीं जा सका। इस मामले को लेकर देशव्यापी विरोध प्रदर्शन हुए और कठोर कानून बनाने की मांग की गई थी। निर्भया मामले में लिप्त एक व्यक्ति ने जेल में आत्महत्या कर ली थी। एक अन्य दोषी नाबालिग था जिसे तीन साल की सजा दी गई और सजा पूरी करने के बाद उसे घर भेज दिया गया। शेष चार को अदालत ने दोषी ठहरा कर मौत की सजा सुनाई है।