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भारत ने चीन से तनाव के बीच रूस को दिया भरोसा, कहा- S-400 मिसाइल समझौता रहेगा जारी, टेंशन न लें…




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इंडो पैसिफिक रीजन में अमेरिकी अवधारणा और खासतौर पर चीन की मोर्चेबंदी पर रूस की चिंताओं का समाधान करने के लिए भारत कूटनीतिक कवायद कर रहा है। दोनो देशों का संपर्क इस मुद्दे पर लगातार बना हुआ है। एस-400 समझौता जारी रहने का भरोसा देकर भारत ने रूस को स्पष्ट संकेत दिया कि भारत की नीति किसी दबाव में नहीं है, बल्कि भारत बहुध्रुवीय दुनिया के सिद्धांत पर अमल कर रहा है।

सूत्रों ने कहा कि भारत किसी दबाव में नहीं है। चीन के संदर्भ में भी भारत के फैसले अपने हितों के मद्देनजर हैं। भारत और रूस निकट सहयोगी देश हैं। हथियारों की जरूरत को पूरा करने के अलावा रूस ने रणनीतिक रूप से सभी वैश्विक मंचो पर भारत का साथ दिया है।

रूस ने पिछले दिनों क्वाड को चीन विरोधी मोर्चे के रूप में देखते हुए इसे अमेरिकी दबाव बताया था।

रूस समझ रहा भारत की जरूरतें:

सूत्रों ने कहा कि रूस को भारत ने अपना पक्ष बताया है और रूस भी भारत की जरूरतों को समझता है। भारत ने स्पष्ट किया कि वह किसी भी देश के खिलाफ मोर्चेबंदी में शामिल नहीं हो रहा है। विभिन्न मंचों पर भारत की भूमिका जिम्मेदारी भरी और संतुलित रही है। रूसी विदेश मंत्री के ताजा बयान को दोनों देशों के बीच बनी कूटनीतिक समझ का परिणाम बताया जा रहा है।

रूस की दोस्ती को लेकर भ्रम में नहीं रहें:

रूसी विदेश मंत्री ने कहा-मैं साफ कर देना चाहता हूं कि भारत के लोगों में इसे लेकर कोई भ्रम नहीं होना चाहिए कि हम भारत के दोस्त हैं। हम कोशिश कर रहे हैं कि भारत और चीन, जो कि हमारे अच्छे दोस्त और भाई हैं, दोनों एक दूसरे के साथ शांति से रहें, यही हमारी नीति है। हम इसे न केवल एससीओ और ब्रिक्स में बढ़ावा दे रहे हैं, बल्कि हम इस पर विशेष त्रिस्तरीय प्रारूप में भी काम कर रहे हैं। यह प्रारूप रिक (रूस, इंडिया, चाइना) है। यह 90 के दशक में अस्तित्व में आया और अब भी जारी है।

कहा-अमेरिकी नीति टकराव बढ़ाने वाली:

रूसी विदेश मंत्री ने कहा-मैंने अपने अच्छे दोस्त और भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर से इस पर बात की है, भारत में मैंने अपने सहकर्मियों से भी इसे लेकर बात की है। अमेरिका की इंडो पैसिफिक रणनीति समावेशी नहीं है। यह रणनीति टकराव को बढ़ाने वाली है। इंडो-पैसिफिक में ये आक्रामकता चिंता की बात है। ये आसियान देशों की केंद्रीय भूमिका को खारिज कर रहे हैं।

पहले भारत को बताया था मोहरा:

गौरतलब है कि रूसी विदेश मंत्री ने पिछले दिनों कहा था-पश्चिम एकध्रुवीय विश्व बहाल करना चाहता है, मगर रूस और चीन के उसका मातहत होने की संभावना कम है, लेकिन भारत अभी इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में तथाकथित क्वाड जैसी पश्चिमी देशों की चीन-विरोधी नीति का एक मोहरा बना हुआ है। इसके बाद से कई तरह के कयास लग रहे थे। एस 400 को लेकर भी अटकलें लगाई जा रही थीं।