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यूपी में हेडमास्टर की भर्ती हुई UPSC और PCS परीक्षा पास करने से भी कठिन…




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उत्तर प्रदेश के अशासकीय सहायता प्राप्त (एडेड) जूनियर हाईस्कूलों में प्रधानाध्यापक पद पर चयन अफसर बनने से भी कठिन है। संघ लोक सेवा आयोग की सिविल सेवा परीक्षा हो या उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग की पीसीएस भर्ती, स्नातक अर्हताधारी अभ्यर्थी का चयन प्रारंभिक व मुख्य परीक्षा के बाद इंटरव्यू के आधार पर हो जाता है। लेकिन एडेड जूनियर हाईस्कूलों में प्रधानाध्यापक पद पर भर्ती के लिए स्नातक के बाद प्रशिक्षण (बीएड, डीएलएड या अन्य समकक्ष डिग्री) करना पड़ता है। इसके बाद उच्च प्राथमिक स्तर की टीईटी और फिर 2.30 घंटे की लिखित परीक्षा का प्रावधान किया गया है। इसके बाद एक घंटे का एक अतिरिक्त पेपर भी देना होगा जिसमें विद्यालय प्रबंधन से संबंधित प्रश्न पूछे जाएंगे।

पहले बीएड, डीएलएड या अन्य समकक्ष डिग्रीधारी और उच्च प्राथमिक स्तर की टीईटी पास अभ्यर्थियों की नियुक्ति स्कूल प्रबंधक बीएसए की अनुमति से कर लेते थे। इस प्रकार होने वाली नियुक्तियों में बड़े पैमाने पर रुपयों का लेनदेन चलता था। यही कारण है कि 2017 में सरकार बदलने के बाद इन स्कूलों में भर्ती प्रक्रिया बदलने का निर्णय लिया गया। गौरतलब है कि एडेड जूनियर हाईस्कूलों में 1894 पदों पर शुरू होने जा रही भर्ती में 390 पद प्रधानाध्यापक के हैं।

देशभर में सबसे कठिन है यूपी में शिक्षक बनना
यूपी में शिक्षक बनना पूरे देश में सबसे कठिन काम है। शिक्षक भर्ती की अर्हता राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) तय करता है। एनसीटीई ने शिक्षक बनने के लिए बीएड, डीएलएड आदि के अलावा टीईटी को अनिवार्य माना है। वहीं यूपी में टीईटी के बाद एक और लिखित परीक्षा देनी होती है। अन्य राज्यों में डीएलएड 12वीं के बाद ही होता है जबकि यूपी में डीएलएड में दाखिले की योग्यता स्नातक है।