मुंबई: महाराष्ट्र की राजनीति में उबाल ला देने वाला एंटीलिया जिलेटिन कांड इतना बड़ा हो चुका है, कि उसका शुरुआती सिरा ही लोग भूल गए हैं. इस मामले में और फिर हिरेन मनसुख की हत्या मामले में गिरफ्तार सचिन वझे ने मुंबई पुलिस के पूर्व कमिश्नर परमबीर सिंह के उन आरोपों पर मुहर लगा दी है, जिसके मुताबिक सचिन वझे को हर महीने 100 करोड़ की वसूली का टारगेट मिला था, और ये टारगेट दिया था उस समय राज्य के गृहमंत्री रहे अनिल देशमुख ने. लेकिन इस मामले में अब सचिन वझे ने शरद पवार का भी नाम ले लिया है और कहा है कि अनिल देशमुख ने शरद पवार को मनाने के लिए 2 करोड़ की रकम मांगी थी. जिसे दे पाने से इनकार करने के बाद मुंबई के कॉरपोरेट्स को निशाना बनाने की तैयारी कर ली गई.
सचिन वझे ने खोले बड़े राज
सचिन वझे ने कोर्ट को दिए लेटर में लिखा है कि मैंने 6 जून 2020 को दोबारा ड्यूटी जॉइन की थी. मेरी ड्यूटी की ज्वॉइनिंग से शरद पवार खुश नहीं थे. ऐसे में शरद पवार ने मुझे दोबारा सस्पेंड करने के लिए कहा. ये बात मुझे खुद अनिल देशमुख ने बताई थी. उन्होंने मुझसे पवार साहब को मनाने के लिए 2 करोड़ रुपये मांगे थे. लेकिन इतनी बड़ी रकम देना मेरे लिए मुमकिन नहीं था. सचिन वझे ने लेटर में लिखा है कि अक्टूबर 2020 में अनिल देशमुख ने सह्याद्रि गेस्ट हाउस में उन्हें बुलाया. लेकिन उससे पहले ही जुलाई-अगस्त 2020 में अनिल परब उन्हें सरकारी बंगले पर बुला चुके थे. उसी सप्ताह डीसीपी पद को लेकर इंटरनल आर्डर भी दिए गए थे.
कॉरपोरेट्स से धन उगाही का था लक्ष्य
सचिन वझे ने पत्र में लिखा है कि मीटिंग के दौरान अनिल परब ने मुझसे कहा SBUT ( Saifee Burhani Upliftment Trust) कंप्लेंट पर ध्यान दो. जो कि एक प्रीलिमिनरी स्टेज पर थी. साथ ही मुझे बोला गया कि मैं SBUT के ट्रस्टी से इन्क्वायरी बंद करने के लिए सौदेबाजी करूं. और इसके लिए 50 करोड़ की रकम की डिमांड करूं. उन्होंने मुझे रकम के लिए शुरुआती बात करने के लिए भी कहा, लेकिन मैंने ऐसा करने से मना कर दिया क्योंकि मैं SBUT में से किसी को भी नही जानता हूं और इस इन्क्वायरी से भी मेरा कोई लेना देना नहीं था.