रूस और यूक्रेन युद्ध के कारण पूरी दुनिया में गेहूं का संकट है। गेहूं की आपूर्ति बाधित हुई है। वहीं कुछ अरब देशों ने भी भारत से गेहूं मांगा है। भारत को गेहूं के सबसे बड़े खरीदार इंडोनेशिया और बांग्लादेश समेत 5 देशों से गेहूं के लिए आवेदन मिले हैं। इनके अलावा ओमान, संयुक्त अरब अमीरात और यमन जैसे खाड़ी देशों ने भी भारत से गेहूं मांगा है।
पैगंबर मोहम्मद पर टिप्पणी विवाद के बाद मुस्लिम देशों खासकर खाड़ी देशों ने आलोचना की थी। हालांकि नूपुर शर्मा के पार्टी से निलंबन पर उन्होंने संतोष भी जताया था। कई खाड़ी देशों से तो ऐसी भी खबरें आईं कि वहां भारतीय सामानों का बहिष्कार किया जा रहा है। इसी बीच विभिन्न कारणों से उपजे खाद्य संकट के बीच ऐसे पांच देशों ने भारत से गेहूं भेजने की रिक्वेस्ट की है, जहां भारत के खिलाफ विरोध प्रदर्शन हो रहे थे।
जरूरत और उपलब्धता का हो रहा मूल्यांकन
भारत ने 13 मई को गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था। ट्रक के ट्रक जो गेहूं से भरे हुए थे, वे बंदरगाहों पर खड़े हुए थे। हालांकि भारत ने इस प्रतिबंध में कुछ छूट दे दी थी। दरअसल, कीमतों को नियंत्रित करने के उद्देश्य से यह प्रतिबंध लगाया गया था। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक ‘गेहूं के निर्यात पर रोक लगाने के बाद भारत से इंडोनेशिया, बांग्लादेश, ओमान , संयुक्त अरब अमीरात और यमन ने गेहूं भेजने की रिक्वेस्ट की है। अब सरकार सरकार गेहूं की उनकी जरूरतों और घरेलू बाजार में इसकी उपलब्धता का मूल्यांकन कर रही है।’
गेहूं के संकट से जूझ रहा मिस्र
अफ्रीकी देश मिस्र ने भारत के साथ एक समझौते के तहत गेहूं मांगा था। इस समझौते के तहत वह अपने देश में भारत से 500,000 टन गेहूं मंगाएगा। इसके बदले में वह भारत को उर्वरक सहित अन्य उत्पाद भेजेगा। दरअसल, मिस्र गेहूं संकट से जूझ रहा है। यही कारण है कि वह भारत से गेहूं मंगाने के बारे में बातचीत कर रहा है। इसी बीच भारत में उर्वरक की कमी है, इस कारण इस डील से हमें भी उर्वरक मिल जाएगा।