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कुलपति डॉ. चंदेल द्वारा कृषि महाविद्यालय एवं कृषि विज्ञान केन्द्र भाटापारा का मुआयना




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कृषि महाविद्यालय एवं कृषि विज्ञान केन्द्र के काम-काज की समीक्षा की
नवनिर्मित सोयाबीन प्रसंस्करण इकाई का उद्घाटन भी किया

इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. गिरीश चंदेल ने विश्वविद्यालय के अंतर्गत संचालित दाऊ कल्याण सिंह कृषि महाविद्यालय एवं अनुसंधान केन्द्र, भाटापारा का भ्रमण किया। इस अवसर पर उन्होंने महाविद्यालय के प्राध्यापकों, वैज्ञानिकों एवं छात्र-छात्राओं से चर्चा की एवं बहुमूल्य सुझाव दिये। डॉ. चंदेल ने इस अवसर पर भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद द्वारा विश्वविद्यालय के अंतर्गत संचालित महाविद्यालयों को दी जाने वाली अधिमान्यता के सम्बंध में समीक्षा बैठक की। उन्होंने भ्रमण के दौरान महाविद्यालय के बोरसी फार्म के प्रक्षेत्र में स्थापित हाईटेक नर्सरी इकाई का अवलोकन किया एवं वहां किये जा रहे अनुसंधान कार्याें की सराहना की। उन्होंने बोरसी फार्म के प्रक्षेत्र में रूद्राक्ष का पौधा भी लगाया। भ्रमण के दौरान विश्वविद्यालय के निदेशक विस्तार सेवाएं डॉ. पी.के. चन्द्राकर, महाविद्यालय के अधिष्ठाता डॉ. राजेन्द्र लाकपाले तथा महाविद्यालय के प्राध्यापक एवं वैज्ञानिकगण उपस्थित थे।

    कुलपति डॉ. गिरीश चंदेल के भाटापारा प्रवास के दौरान कृषि विज्ञान केन्द्र भाटापारा, मुंगेली एवं बिलासपुर के वैज्ञानिकों की सलाहकार समिति की बैठक का आयोजन कृषि विज्ञान केन्द्र भाटापारा में किया गया। बैठक के दौरान कुलपति डॉ. गिरीश चंदेल ने कृषि विज्ञान केन्द्रों के काम-काज को सुदृढ़ करने के लिए आवश्यक सुझाव दिये एवं वरिष्ठ वैज्ञानिकों को कार्ययोजना बनाने के लिए आव्हान किया। उन्होंने कृषि विज्ञान केन्द्र के माध्यम से छोटे और सीमांत किसानों की आय बढ़ाने के लिए कृषि की नवीन तकनीकों को बढ़ावा देने हेतु निर्देशित किया। डॉ. चंदेल ने किसानों की आय को दोगुनी करने के लिए कृषि विज्ञान केन्द्रों को खाद्य प्रसंस्करण, मूल्यसंवर्धन एवं निर्मित उत्पादों के विपणन हेतु किसानों को आवश्यक बाजार उपलब्ध कराने पर जोर दिया। इस अवसर पर डॉ. चंदेल ने कृषि विज्ञान केन्द्र भाटापारा में नवनिर्मित सोयाबीन प्रसंस्करण इकाई का उद्घाटन किया गया। उन्होंने कृषि विज्ञान केन्द्रों द्वारा किये जा रहे कार्यों की सराहना की और कृषि विज्ञान केन्द्रोें को महिला स्व-सहायता समूहों एवं किसान उत्पादक संगठन के लिए इन्क्यूबेशन सेन्टर के रूप में कार्य करने की सलाह दी। इस अवसर पर कृषि विज्ञान केन्द्रों के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं विषय वस्तु विशेषज्ञ उपस्थित थे।