सावन माह भगवान भोलेनाथ का सबसे प्रिय महीना होता है। इस माह में सोमवार व्रत रखते हुए भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करने पर सभी तरह की मनोकामनाएं जल्द पूरी होती हैं। सोलह सोमवार व्रत रखने सभी तरह की इच्छाएं भगवान भोलेनाथ अवश्य ही पूरी करते हैं।
सावन का दूसरा सोमवार कब?
25 जुलाई को सावन महीने का दूसरा सोमवार है। इस सावन सोमवार पर भी कई तरह के शुभ योग बनेगा। ऐसे में भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा उपासना करने का विशेष लाभ प्राप्त होगा।
सावन में जरूर जाप करें शिव मंत्र
सावन सोमवार का व्रत रखते हुए इन मंत्रों का जाप अवश्य करें। शिव मंत्र का जाप करने से हर तरह की इच्छाएं जरूर पूरी होती हैं।
1 ॐ नमः शिवाय।
2 नमो नीलकण्ठा
य।
3 ॐ पार्वतीपतये नमः।
4 ॐ ह्रीं ह्रौं नमः शिवाय।
5 ॐ नमो भगवते दक्षिणामूर्त्तये मह्यं मेधा प्रयच्छ स्वाहा।
6 ऊर्ध्व भू फट्।
7 इं क्षं मं औं अं।
8 प्रौं ह्रीं ठः।
सावन सोमवार पर बेलपत्र चढ़ाने के नियम
भगवान शिव को बेलपत्र बहुत ही प्रिय होता है। इसी कारण से शिव आराधना में बेलपत्र को जरूर अर्पित किया जाता है। शास्त्रों में बेलपत्र को चढ़ाने के कुछ नियम भी बताए गए हैं। जिनका पालन करने पर भगवान शिव की पूजा सफल मानी जाती है।
- भगवान शिव को हमेशा उल्टा बेलपत्र यानी चिकनी सतह की तरफ वाला वाला भाग स्पर्श कराते हुए ही बेलपत्र चढ़ाएं।
- बेलपत्र को हमेशा अनामिका,अंगूठे और मध्यमा अंगुली की मदद से चढ़ाएं एवं मध्य वाली पत्ती को पकड़कर शिवजी को अर्पित करें।
- शिव जी को कभी भी सिर्फ बिल्वपत्र अर्पण नहीं करें,बेलपत्र के साथ जल की धारा जरूर चढ़ाएं।
- बेलपत्र की तीन पत्तियां ही भगवान शिव को चढ़ती है। कटी-फटी पत्तियां कभी न चढ़ाएं।
- कुछ तिथियों को बेलपत्र तोड़ना वर्जित होता है। जैसे कि चतुर्थी,अष्टमी,नवमी,चतुर्दशी और अमावस्या को,संक्रांति के समय और सोमवार को बेल पत्र नहीं तोड़ना चाहिए। ऐसे में पूजा से एक दिन पूर्व ही बेल पत्र तोड़कर रख लिया जाता है।
- बेलपत्र कभी अशुद्ध नहीं होता। पहले से चढ़ाया हुआ बेलपत्र भी फिर से धोकर चढ़ाया जा सकता है।
सावन में भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए इस दिन जरूर करें आराधना
14 जुलाई से सावन का पवित्र महीना आरंभ है और यह 12 अगस्त तक रहेगा। आज सावन सोमवार का पहला व्रत है। इस पूरे सावन माह में कुल मिलाकर 4 सोमवार आएंगे। सावन सोमवार में शिव आराधना का विशेष महत्व होता है। सावन का महीना शिव उपासना के लिए सबसे अच्छा समय माना गया है। ऐसी मान्यता है कि सावन के महीने में शिव उपासना से भगवान शिव जल्दी प्रसन्न होते हैं। वैसे भी कहा जाता है कि सभी देवी-देवताओं में भगवान शिव की पूजा करना सबसे आसान होता है। भोले भंडारी को सच्चे मन से चढ़ाया गया मात्र एक लोटा जल की काफी होता है। सावन के पवित्र महीने में महादेव को प्रसन्न करने के लिए तीन प्रकार से व्रत रखे जाते हैं।
– सावन सोमवार का व्रत: सोमवार का दिन शिव आराधना के लिए खास माना जाता है। ऐसे में सावन के पवित्र महीने में आने वाले सोमवार का महत्व काफी बढ़ जाता है। शिवजी की विशेष कृपा पाने के लिए सावन सोमवार का व्रत रखा जाता है।
– 16 सोमवार का व्रत: शिव आराधना के लिए सबसे अच्छा और पवित्र महीना सावन का होता है। ऐसे में जो भक्त अपनी मनोकामना को प्राप्त करने के लिए व्रत रखना चाहता है उसे सोलह सोमवार का व्रत आरंभ करने के लिए यह समय बहुत ही शुभ होता है।
– प्रदोष व्रत: भगवान शिव और माता पार्वती का आशीर्वाद पाने के लिए सावन के महीने में पड़ने वाले प्रदोष व्रत काफी महत्वपूर्ण होते हैं।
सावन सोलह सोमवार व्रत का महत्व
सावन का महीना भगवान शिव की कृपा पाने के लिए सबसे अच्छा महीना माना जाता है। सावन के महीने में सोलह सोमवार व्रत का विशेष महत्व होता है। सावन सोमवार के साथ 16 सोमवार का व्रत करने का संकल्प लिया जाता है। सुहागिन महिलाएं और अविवाहित कन्याएं भगवान शिव और माता पार्वती की विशेष कृपा पाने के लिए सोलह सोमवार का व्रत रखती हैं। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार देवी पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए सोलह सोमवार का व्रत रखा था। मां पार्वती के 16 सोमवार का व्रत और कठिन तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने मां पार्वती को पत्नी के रूप में स्वीकार किया था। इस कारण से 16 सोमवार व्रत का विशेष महत्व होता है।
सावन सोमवार पूजा सामग्री
भगवान भोलेनाथ मात्र एक लोटा जल अर्पित करने पर ही जल्द प्रसन्न हो जाते हैं। लेकिन सावन के सोमवार के दिन उन्हें कई तरह की पूजा सामग्रियां भेंट की जाती हैं। सावन माह में सोमवार पूजा के लिए फूल, पंच फल पंच मेवा, रत्न, सोना, चांदी, दक्षिणा, पूजा के बर्तन, कुशासन, दही, शुद्ध देशी घी, शहद, गंगाजल, पवित्र जल, पंच रस, इत्र, गंध रोली, मौली जनेऊ, पंच मिष्ठान्न, बिल्वपत्र, धतूरा, भांग, बेर, आम्र मंजरी, मंदार पुष्प, गाय का कच्चा दूध, कपूर, धूप, दीप, रूई, मलयागिरी, चंदन, शिव व मां पार्वती की श्रृंगार सामग्री लें।
सावन सोमवार शुभ योग
आज सावन महीने के पहले सोमवार के दिन बहुत ही अच्छा शुभ संयोग बना हुआ है। चंद्रमा पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र में है। इसके अलावा शोभन और रवियोग भी बना हुआ है। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार इस योग में भगवान शिव की पूजा-आराधना करने पर विशेष फल की प्राप्ति होती है।
विवाहित महिलाओं के लिए सावन सोमवार का विशेष महत्व
भगवान शिव और माता पार्वती को एक आदर्श पति-पत्नी के रूप में पूजा जाता है। इसी कारण से शादीशुदा महिलाएं अपने परिवार की सुख-समृद्धि और लंबी आयु के लिए सावन सोमवार का व्रत करती हैं। सावन सोमवार पर महिलाएं जल्दी सुबह उठकर स्नान करती हैं फिर श्रृंगार करती हैं। इसके बाद अपने घर के पास बने शिव मंदिर में जाकर व्रत का संकल्प लेते हुए भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा-आराधना करती हैं। पूजा के बाद भगवान शिव और मां पार्वती से सुहाग का आशीर्वाद मांगती हैं।
सावन सोमवार पूजा विधि
आज सावन का पहला सोमवार व्रत रखा जा रहा है। सावन का महीना भगवान शिव को बहुत ही प्रिय होता है। सावन सोमवार के दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा-आराधना करने से सभी तरह की मनोकामना जल्द पूरी हो जा जाती है। सावन सोमवार के दिन शिव कृपा का लाभ पाने के लिए सुबह जल्दी उठना चाहिए। फिर इसके बाद व्रत का संकल्प लेते हुए शिव मंदिर में जाएं और वहां पर सबसे पहले भगवान गणेश की पूजा करें फिर इसके बाद भगवान शिव को जल से अभिषेक करें। शिवलिंग पर जल अर्पित करने के बाद बेल पत्र,मदार के फूल और धतूरा चढ़ाएं। इसके बाद शिवलिंग का श्रृंगार करते हुए दीप जलाकर आरती करें।
सावन व्रत में जरूर करें शिव चालीसा का पाठ
सावन का महीना भगवान शिव की आराधना का होता है। ऐसी मान्यता है कि सावन के महीने में शिव उपासना करने पर भगवान भोलेनाथ जल्दी प्रसन्न होते हैं। सावन के महीने में भगवान शिव का जलाभिषेक का विशेष महत्व है लेकिन इसके साथ साथ सावन सोमवार के दिन व्रत रखते हुए शिव चालीसा का पाठ करना भी बहुत लाभकारी होता है। इस कारण से भोलेनाथ की पूजा-उपासना में शिव चालीसा का पाठ जरूर करें।
शिव चालीसा:
॥ दोहा ॥
जय गणेश गिरिजा सुवन,मंगल मूल सुजान।
कहत अयोध्यादास तुम,देहु अभय वरदान॥
॥ चौपाई ॥
जय गिरिजा पति दीन दयाला।सदा करत सन्तन प्रतिपाला॥
भाल चन्द्रमा सोहत नीके।कानन कुण्डल नागफनी के॥
अंग गौर शिर गंग बहाये।मुण्डमाल तन क्षार लगाए॥
वस्त्र खाल बाघम्बर सोहे।छवि को देखि नाग मन मोहे॥
मैना मातु की हवे दुलारी।बाम अंग सोहत छवि न्यारी॥
कर त्रिशूल सोहत छवि भारी।करत सदा शत्रुन क्षयकारी॥
नन्दि गणेश सोहै तहँ कैसे।सागर मध्य कमल हैं जैसे॥
कार्तिक श्याम और गणराऊ।या छवि को कहि जात न काऊ॥
देवन जबहीं जाय पुकारा।तब ही दुख प्रभु आप निवारा॥
किया उपद्रव तारक भारी।देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी॥
तुरत षडानन आप पठायउ।लवनिमेष महँ मारि गिरायउ॥
आप जलंधर असुर संहारा।सुयश तुम्हार विदित संसारा॥
त्रिपुरासुर सन युद्ध मचाई।सबहिं कृपा कर लीन बचाई॥
किया तपहिं भागीरथ भारी।पुरब प्रतिज्ञा तासु पुरारी॥
दानिन महँ तुम सम कोउ नाहीं।सेवक स्तुति करत सदाहीं॥
वेद माहि महिमा तुम गाई।अकथ अनादि भेद नहिं पाई॥
प्रकटी उदधि मंथन में ज्वाला।जरत सुरासुर भए विहाला॥
कीन्ही दया तहं करी सहाई।नीलकण्ठ तब नाम कहाई॥
पूजन रामचन्द्र जब कीन्हा।जीत के लंक विभीषण दीन्हा॥
सहस कमल में हो रहे धारी।कीन्ह परीक्षा तबहिं पुरारी॥
एक कमल प्रभु राखेउ जोई।कमल नयन पूजन चहं सोई॥
कठिन भक्ति देखी प्रभु शंकर।भए प्रसन्न दिए इच्छित वर॥
जय जय जय अनन्त अविनाशी।करत कृपा सब के घटवासी॥
दुष्ट सकल नित मोहि सतावै।भ्रमत रहौं मोहि चैन न आवै॥
त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो।येहि अवसर मोहि आन उबारो॥
लै त्रिशूल शत्रुन को मारो।संकट ते मोहि आन उबारो॥
मात-पिता भ्राता सब होई।संकट में पूछत नहिं कोई॥
स्वामी एक है आस तुम्हारी।आय हरहु मम संकट भारी॥
धन निर्धन को देत सदा हीं।जो कोई जांचे सो फल पाहीं॥
अस्तुति केहि विधि करैं तुम्हारी।क्षमहु नाथ अब चूक हमारी॥
शंकर हो संकट के नाशन।मंगल कारण विघ्न विनाशन॥
योगी यति मुनि ध्यान लगावैं।शारद नारद शीश नवावैं॥
नमो नमो जय नमः शिवाय।सुर ब्रह्मादिक पार न पाय॥
जो यह पाठ करे मन लाई।ता पर होत है शम्भु सहाई॥
ॠनियां जो कोई हो अधिकारी।पाठ करे सो पावन हारी॥
पुत्र होन कर इच्छा जोई।निश्चय शिव प्रसाद तेहि होई॥
पण्डित त्रयोदशी को लावे।ध्यान पूर्वक होम करावे॥
त्रयोदशी व्रत करै हमेशा।ताके तन नहीं रहै कलेशा॥
धूप दीप नैवेद्य चढ़ावे।शंकर सम्मुख पाठ सुनावे॥
जन्म जन्म के पाप नसावे।अन्त धाम शिवपुर में पावे॥
कहैं अयोध्यादास आस तुम्हारी।जानि सकल दुःख हरहु हमारी॥
॥ दोहा ॥
नित्त नेम उठि प्रातः ही,पाठ करो चालीसा।
तुम मेरी मनोकामना,पूर्ण करो जगदीश॥
मगसिर छठि हेमन्त ॠतु,संवत चौसठ जान।
स्तुति चालीसा शिवहि,पूर्ण कीन कल्याण॥
सावन सोमवार पर शिव मंत्र जप के नियम
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सावन सोमवार के दिन व्रत, पूजा और मंत्रों का जाप करना बहुत ही शुभ फलदायी होता है। सावन सोमवार के दिन जब भी शिवलिंग पर जलाभिषेक करें तब शिव मंत्रों का उच्चारण अवश्य करें लेकिन इस बात का ध्यान रखें कि मंत्रों के जाप बहुत ही सावधानी से करें। ॐ नमः शिवाय बहुत चमत्कारी मंत्र है, इस मंत्र का जप पूरे भक्ति-भाव और शुद्धता के साथ निर्मल भाव से करना चाहिए। इस मंत्र का जाप कम से कम 108 बार हर दिन रुद्राक्ष की माला से करना चाहिए,क्योंकि रुद्राक्ष भगवान शिव को अति प्रिय है। जप हमेशा पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके करना चाहिए। शिव के ‘ॐ नम: शिवाय’ मंत्र का जाप कहीं भी और किसी भी समय किया जाता है। लेकिन यदि आप बिल्व वृक्ष के नीचे,पवित्र नदी के किनारे या शिव मंदिर में इस मंत्र का जप करेंगे तो उसका फल सबसे उत्तम प्राप्त होगा। इस मंत्र का जाप करने से धन की प्राप्ति, संतान की प्राप्ति और शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है एवं इस मंत्र के जाप से सभी कष्ट और दुःख दूर हो जाते हैं।
कब-कब है सावन सोमवार व्रत
आज सावन महीने का पहला सोमवार व्रत है। सुबह से ही सभी शिव मंदिरों में शिव भक्तों की भारी भीड़ एकत्रित है। इस वर्ष सावन महीने में कुल मिलाकर चार सोमवार व्रत आएंगे।
सावन का पहला सोमवार- 18 जुलाई
सावन का दूसरा व्रत सोमवार- 25 जुलाई
सोमवार सावन का तीसरा व्रत सोमवार- 01 अगस्त
सोमवार सावन का चौथा व्रत सोमवार- 08 अगस्त
वन सोमवार पूजा विधि
पूरे सावन महीने में पड़ने वाले सभी सोमवार का विशेष महत्व होता है। इस दिन विशेष रूप से भोलेनाथ का जलाभिषेक किया जाता है और विधि विधान के साथ पूजा-अर्चना की जाती है। आइए जानते हैं सावन सोमवार पूजा की पूरी विधि…
- सोलह सोमवार व्रत का पालन करना बहुत आसान है। शुद्ध मन और भक्ति के साथ 16 सोमवार तक व्रत का पालन करने का संकल्प लेना चाहिए।
- ब्रह्ममुहूर्त में उठकर स्नानादि से निवृत्त होकर व्रत का संकल्प लें और पूजा की सामग्री एकत्रित करें।
- व्रत का संकल्प लेने के लिए हाथ में पान का पत्ता, सुपारी, जल, अक्षत और कुछ सिक्के लेकर शिव जी का इस मंत्र से आह्वान करें- ॐ शिवशंकरमीशानं द्वादशार्द्धं त्रिलोचनम्। उमासहितं देवं शिवं आवाहयाम्यहम्॥
- भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए 16 सोमवार का पूजन प्रदोषकाल में किया जाता है।
- यदि आप घर में शिवलिंग पूजन कर रहे हैं तो शिवलिंग को तांबे के पात्र में रखें और गंगाजल में गाय का दूध मिलकर अभिषेक करें।
- भगवान भोलेनाथ को ॐ नमः शिवाय जाप के साथ पंचामृत अर्पित करें।
- फिर भगवान भोलेनाथ को सफेद चंदन लगाएं।
- उपरोक्त दी गईं सोलह सोमवार की पूजन सामग्री भोलेनाथ और माता पार्वती को अर्पित करें।
- धूप, दीप लगाकर सोमवार व्रत की कथा पढ़ें।
- सोलह सोमवार व्रत में भगवान भोलेनाथ को पंजीरी या चूरमे का भोग लगाएं।
सावन का पवित्र महीना चल रहा है और आज सावन सोमवार का पहला व्रत है। हिंदू धर्म में सावन माह का विशेष महत्व होता है। सावन सोमवार पर व्रत और शिव-पार्वती पूजा का विशेष महत्व होता है। इस दिन खाततौर पर सुहागिन और अविवाहित कन्याएं व्रत रखते हुए भगवान भोलेनाथ और माता पार्वती की विशेष रूप से पूजा-आराधना करती हैं। मान्यता है सावन सोमवार का व्रत रखने और इस दिन शिव उपासना करने पर सभी तरह की मनोकामनाएं जल्द से जल्द पूरी हो जाती है। सावन का यह महीना 12 अगस्त तक चलेगा।