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गैरजिम्मेदारी की पराकाष्ठा, टाइम कीपर बना रहा करोड़ों की लागत की सड़क, जिम्मेदार अधिकारी नदारद, नागरिकों ने दी पीडब्ल्यूडी के अधिकारियों के पुतला दहन की चेतावनी




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रिपोर्टर कान्हा तिवारी

रतनपुर / बिलासपुर जिले की सड़कों के निर्माण में तय मानकों व गुणवत्ता का ख्याल नहीं रखा जा रहा। निर्माण में घटिया सामग्री लगा दी जा रही। तय अनुपात में गिट्टी, बालू व सीमेंट का मिश्रण नहीं किया जा रहा। निगरानी करने वाले पता नहीं कहां सोए रहते हैं। ठीकेदार अधिक मुनाफा कमाने व कमीशन के चक्कर में निर्माण कार्य की गुणवत्ता को ताक पर रख रहे हैं। गौरतलब है कि धर्म नगरी कहे जाने वाले रतनपुर मे पीडब्बूडी विभाग ने खंडोबा मंदिर के लेकर खुटाघाट तक सड़क निर्माण के लिए 18 करोड़ 36 लाख रुपए की मंजूरी दी गई है। रोड निर्माण की स्वीकृति आदेश 28 दिसंबर 2022 को जारी किया गया था। काम की शुरुआत तो हो गई। लेकिन यह काम टाइम कीपर की देखरेख में हो रहा है। लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों से साठ- गांठ कर ठेकेदार द्वारा गुणवत्ता विहीन कार्य को अंजाम दिया जा रहा है।

नई पुल का हुआ है टेंडर लेकिन पुरानी पुल की रिपेयरिंग की जा रही है, ठेकेदार से मिलीभगत कर भ्रष्टाचार को अंजाम दिया जा रहा है। मौके से इंजीनियर रहते हैं नदारद-

निर्माण कार्य के समय इंजीनियर कार्यस्थल से नदारत रहते हैं। यह सड़क टाइम कीपर के हवाले कर करोड़ों की लागत से बनाई जा रही है।इस गुणवत्ता विहीन निर्माण को लेकर कई सवाल खड़े हो रहे हैं। नगर वासियों में घटिया निर्माण को लेकर लोक निर्माण विभाग और रोड ठेकेदार के लिए भारी आक्रोश का माहौल व्याप्त है । नागरिकों ने चेतावनी दी है कि सड़क निर्माण कार्य पूरी तरह से गुणवत्ता युक्त होनी चाहिए। यदि इस तरह से लापरवाहीपूर्ण कार्य किया जाता है तो पीडब्ल्यूडी विभाग के अधिकारियों का पुतला दहन किया जाएगा।

शिकायत के बावजूद संज्ञान नहीं लेते अधिकारी

सड़क निर्माण के दौरान योजना से संबंधित शिलापट्ट नहीं लगाया जाता। अगर, लग भी जाता है तो उसपर योजना की विस्तृत जानकारी नहीं होती। विभागीय अधिकारी व ठीकेदार प्रस्तावित सड़क की लंबाई, चौड़ाई, मोटाई, निर्माण सामग्री के मिश्रण के अनुपात, अवधि आदि की जानकारी नहीं देते। यदि कोई निर्माण में गड़बड़ी की शिकायत करता भी है तो अधिकारी संज्ञान नहीं लेते। इसका परिणाम यह होता है कि सड़कें बनने के साथ ही टूटने लगती हैं और जनता को परेशानी झेलनी पड़ती है।