कान्हा तिवारी जांजगीर-चांपा, 1 जुलाई,जिले में पिछले तीन -चार वर्षों में पदस्थ कलेक्टरों द्वारा डीएम एफ मद में की गई गंभीर अनियमितताएं और भ्रष्टाचार की शिकायतें ईडी के पास है। ईडी बहुत ही जल्द इन शिकायतों पर कार्रवाई कर सकती है। ज्ञातव्य है कि जिले के जनप्रतिनिधियों द्वारा डीएम एफ मद में राशि के ब्यय में अनियमितता और भ्रष्टाचार की अनेक शिकायतें की गई है किन्तु इन शिकायतों पर अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो पाई है। ईडी की कार्रवाई की भनक मिलने से खनिज विभाग और प्रशासनिक अधिकारियों में हड़कंप मचा हुआ है। छत्तीसगढ़ में कोयला सहित अन्य घोटालों को लेकर प्रदेशभर में एक ओर जहां प्रवर्तन निदेशालय की ताबड़तोड़ कार्यवाही लगातार जारी है। कई लोग जेल की हवा खा रहे हैं वहीं दूसरी ओर जांजगीर-चांपा कलेक्टोरेट भी ईडी के रडार में आ गया है। बताया जा रहा है कि जांजगीर-चांपा जिले में भी डीएमएफ मद में व्यापक भ्रष्टाचार हुआ है, जिसकी शिकायत राज्य से लेकर केन्द्र तक पहुंच चुकी है। राज्य और केन्द्र सरकार ने इस मामले में अब तक सीधे तौर पर किसी भी उच्चाधिकारी के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं की है परन्तु ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) ने इस मामले में अब गंभीरता दिखाते हुए बारीकी से छानबीन प्रारंभ कर दी है। जांजगीर-चांपा जिले को कोरबा एवं रायगढ़ से बड़े पैमाने पर खनिज राजस्व की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही जिले में संचालित पावर प्लांट, डोलोमाइट खदान एवं क्रशर उद्योगों से भी बहुत अधिक राजस्व मिलता है जिसका उपयोग प्रभावित क्षेत्रों में विभिन्न मूलभूत विकास कार्यों में किए जाने का प्रावधान है। इसके लिए शासन ने जिला खनिज न्यास निधि (डीएमएफ) का गठन किया है। डी एम एफ मद में ब्यय संबंधी अनेक नियम-कायदे हैं।जिसका कड़ाई से पालन कर ही डीएमएफ की राशि की मंजूरी दी जाने का प्रावधान है परन्तु जांजगीर-चांपा जिले में आंख मूंदकर इस मद की राशि जारी कर दी जा रही है। सूत्रों के अनुसार, जिन कार्यों की वास्तविक लागत लाखों में है, उसके लिए डीएमएफ मद से करोड़ों खेल पिछले तीन-चार वर्षों से धड़ल्ले से जारी है। जिसकी शिकायत समय-समय पर होती रही है। परन्तु शासन स्तर से इस मामले में अब तक किसी के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं हुई है। तत्कालीन कलेक्टर यशवंत कुमार और जितेन्द्र कुमार शुक्ला ने अपने कार्यकाल के दौरान विभिन्न कार्यों के लिए इस मद से भारी-भरकम राशि की मंजूरी दी है, जिस पर लगातार सवाल उठते रहे हैं। हालांकि, कलेक्टर जितेन्द्र कुमार शुक्ला के कार्यकाल में इस मद से स्वीकृत करोड़ों के कार्यों में गड़बड़ी की पुख्ता शिकायत के बाद शासन स्तर से कई कार्यों की मंजूरी को रद्द कर दिया गया। परन्तु इस मामले में संलिप्त तत्कालीन कलेक्टर शुक्ला सहित अन्य जिम्मेदारों के खिलाफ अब तक किसी तरह की कोई कार्यवाही नहीं हुई है। इस बीच एक बड़ी खबर आ रही है कि इस पूरे मामले को लेकर ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) की टेढ़ी नज़र अब जांजगीर-चांपा कलेक्टोरेट को अपने रडार में ले लिया है। सूत्रों के अनुसार पिछले तीन-चार वर्षों के भीतर जिले में डीएमएफ मद से स्वीकृत तमाम कार्यों सहित उन कार्यों में खर्च की गई राशि की बारीकी से जांच-पड़ताल शुरू हो गई है। ऐसे में माना जा रहा है कि ईडी की की कार्रवाई बहुत जल्द ही जांजगीर-चांपा कलेक्टोरेट में हो सकती है।वर्तमान में डीएमएफ मद की राशि का उपयोग सोच-समझ कर किया जा रहा है। ताकि, मौजूदा अधिकारी किसी तरह ईडी के शिकंजे से बच जाएं। ईडी यदि इस मामले की बारीकी से छानबीन करके कार्यवाही करती है तो जिले में पदस्थ रहे तीन-चार कलेक्टर सहित कई प्रशासनिक अफसरों के काले कारनामे उजागर हो सकते हैं। ईडी के कब्जे में समस्त दस्तावेज-बताया जा रहा है कि ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) के कुछ वरिष्ठ अधिकारी पिछले दिनों यहां पहुंचे हुए थे, जिन्होंने जिला प्रशासन के जिम्मेदार अधिकारियों से डीएमएफ मद के संदर्भ में विस्तृत पूछताछ करते हुए डीएमएफ मद से संबंधित समस्त दस्तावेजों को अपने कब्जे में ले लिया है। ईडी के इस रूख से जिला प्रशासन के जिम्मेदार अधिकारियों में भय ब्याप्त है। सूत्रों की मानें तो प्रवर्तन निदेशालय की टीम बहुत जल्द ही जांजगीर-चांपा जिले में आकर डीएमएफ मद में हुए भ्रष्टाचार के मामले की बारीकी से जांच एवं कार्यवाही प्रारंभ करने वाली है। खनिज अधिकारी भी निशाने पर-ईडी की पैनी नजर जांजगीर के खनिज विभाग पर भी है। चूंकि, प्रभारी जिला खनिज अधिकारी आरके सोनी के तार कोरबा जिले से जुड़े हुए हैं, जहां ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) की जांच एवं कार्यवाही इन दिनों व्यापक पैमाने पर चल रही है। ऐसे में माना जा रहा है कि जांजगीर-चांपा जिले में खनिज विभाग के अधिकारियों पर ईडी सबसे पहले शिकंजा कस सकती है। यही वजह है कि प्रभारी जिला खनिज अधिकारी सहित अन्य कई अधिकारी बीच-बीच में अवकाश पर चले जा रहे हैं। सिर्फ इतना ही नहीं, ईडी का नाम सुनकर ही डीएमएफ शाखा के अधिकारी-कर्मचारियों की धड़कनें तेज हो गई हैं।