कान्हा तिवारी बिलासपुर। छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव नजदीक आते ही बिलासपुर जिले की अलग अलग विधानसभा सीटों पर पैराशूट नेता अब तैयार हैं, खासकर कोटा और बेलतरा इलाके में। और ये लोग अपनी माया जाल फैलाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे। लगातार सोशल मीडिया पर पोस्ट का जलवा बिखेरने में कोई कमी नहीं छोड़ा जा रहा। यही वजह है कि जमीनी स्तर पर काम करने वाले जनप्रतिनिधियों के बीच पैराशूट नेताओं को देखकर पार्टी से भरोसा उठ रहा है।कयास यह भी लगाए जा रहे हैं कि वरिष्ठों को इस बार दावेदारी के लिए मौका मिलने की बात भी सामने आ रही है लेकिन यह किसी एक पार्टी की बात नहीं है कई पार्टियां इस तरह से अब सोशल मीडिया में सक्रिय नजर आ रहे हैं। और बड़े नेताओं तक सोशल मीडिया के जरिए अपनी सक्रियता बढ़ाने की कोशिश में लगे हैं। जबकि जमीनी स्तर पर लोग इन्हें जानते तक नहीं, ना ही इन का चेहरा देखे हैं इसके बाद भी ऐसे लोग अपनी दावेदारी के लिए डंका पीटने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे।खासकर कोटा और बेलसरा विधानसभा मे यह स्थिति देखने को मिल रही है। इन विधानसभा क्षेत्रों में अपने स्वार्थ सिद्धि के लिए गिरगिट नुमा छुटभैए नेता जीतने वाले दल में बहुत ही धुर्तता से प्रवेश कर रहे हैं।इससे पार्टी के कर्मठ पुराने कार्यकर्ताओं में रोष व्याप्त है। उनका मानना है कि ऐसे छुटभैए नेताओं के प्रवेश से पार्टी को नुक्सान होगा।आम मतदाताओं में पार्टी की छवि धुमिल होगी। प्रतिबद्ध पार्टी कार्यकर्ताओं ने ऐसे स्वार्थी लोगों से दूर रहने की हिदायत दी है।सबसे खराब बात है कि अब माफियाओं की राजनीतिक दलों में घुसपैठ शुरू हो गई है। और उन्होंने अपनी सक्रियता बढ़ा दी है। जिसके चलते पार्टी के लोग ही उनका विरोध करते हुए नजर आते हैं। लेकिन स्पष्ट रूप से कोई नाम नहीं बता रहा ताकि पार्टी की बदनामी ना हो । आने वाले समय में यदि यही हाल रहा तो दो की लड़ाई में तीसरा बाजी मार जाएगा।ब्रिटेन के पूर्व मंत्री विंस्टन चर्चिल ने शायद ठीक ही कहा था, “राजनीति, जंग से भी ज़्यादा ख़तरनाक है…जंग में आपको एक ही बार मारा जा सकता है। राजनीति में कई दफ़ा।”