भारत संघ के पूर्व प्रधान मंत्री, विकास पुरुष भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेई के भागीरथ प्रयास से आज से ठीक २३ वर्ष पूर्व ०१ नवंबर २००० को मध्य प्रदेश के दक्षिण-पूर्व के हिस्से को अलग कर देश के २६ वें राज्य छत्तीसगढ़ का निर्माण हुआ। आज जब छत्तीसगढ़ राज्य स्थापना दिवस की सालगिरह मना रहा है तब इन २३ सालों में प्रदेश के विकास यात्रा पर दृष्टिपात जरूरी है कि आखिर हमने अटल जी के छोटे राज्यों के निर्माण के साथ उसके विकास के संकल्पनाओं को कितना साकार किया।
छत्तीसगढ़ राज्य गठन के समय 16 जिले हुआ करते थे जो अब जिलों की संख्या 33 हो गई है जिसमे 2007 में 2, 2012 में 9, 2020 में 1, 2022 में 5 नए जिलों का गठन किया गया।
सर्वप्रथम शिक्षा के क्षेत्र में राज्य की उपलब्धि पर नजर डालें तो छत्तीसगढ़ में एक केंद्रीय विश्व विद्यालय सहित 16 विश्व विद्यालय है हैं जिसमें इंदिरा कला एवं संगीत यूनिवर्सिटी (1956), पंडित रविशंकर शुक्ल यूनिवर्सिटी (1964), गुरुघासीदास केंद्रीय यूनिवर्सिटी (1984) इंदिरा गांधी कृषि यूनिवर्सिटी (1987) में शुरू हुआ, पश्चात
12 विश्वविद्याल राज्य के गठन के बाद खुले हैं. इसमें हिदायतुल्लता राष्ट्रीय विधि यूनिवर्सिटी (2003) में पंडित सुंदर लाल शर्मा (मुक्त) यूनिवर्सिटी (2005) कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता यूनिवर्सिटी(2005) और छत्तीसगढ़ स्वामी विवेकानंद तकनीकी यूनिवर्सिटी (2005), शहीद महेंद्र कर्मा यूनिवर्सिटी (2008) संत गहिरागुरू (2008)और पंडित दीनदयाल उपाध्याय स्मृति, स्वास्थय विज्ञान एवं आयुष यूनिवर्सिटी (2008), अटल बिहारी वाजपेयी (2012), दाऊ श्री वासुदेव चंद्राकर कामधेनु यूनिवर्सिटी (2012), हेमचंद यादव यूनिवर्सिटी (2012), महात्मा गांधी उद्यानिकी और वानिकी विश्व विद्यालय (2020)और शहीद नंदकुमार पटेल यूनिवर्सिटी (2020)की स्थापना की गई।
इसके साथ वायु सेवा कनेक्टिविटी की दृष्टि से छत्तीसगढ़ में पहली बार रायपुर में स्वामी विवेकानंद एयरपोर्ट (2012) से हवाई सफर शुरू हुआ था इसके बाद बस्तर के जगदलपुर में मां दंतेश्वरी एयरपोर्ट के साथ बिलासपुर में बिलासा देवी केंवट एयरपोर्ट के साथ हवाई सेवा की शुरुवात हो चुकी है।
जहां तक राजनीति और प्रदेश के बागडोर की बात है, 23 साल में छत्तीसगढ़ में केवल 3 मुख्यमंत्री बने हैं. इसमें सबसे पहले अजीत प्रमोद जोगी राज्य के पहले मुख्यमंत्री के रूप में 1 नवंबर 2000 में शपथ लिए और 5 दिसंबर 2003 तक इनका कार्यकाल रहा पर साल 2003 दिन के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने राज्य में सरकार बनाई और मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह को बनाया गया. जिनका कार्यकाल 15 साल तक चला। इसके बाद 17 दिसंबर 2018 से अब तक भूपेश बघेल छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री हैं। इनमें सर्वथा शिक्षित अजीत जोगी ने सर्वाधिक शिक्षा के क्षेत्र में कीर्तिमान बनाया तो डा रमन ने उद्योग और व्यापार को बढ़ाने में भूमिका अदा की तो वहीं छत्तीसगढ़िया मुख्यमंत्री के रूप में छत्तीसगढ़ के मूल आजीविका के साधन खेती और किसानों पर अपना ध्यान केंद्रित किया और आज लोग पलायन को छोड़ खेतों में लौटने लगे हैं ।
फिर भी आज छत्तीसगढ़ के समग्र विकास की संभावनाओं को बात करें तो सर्वथा प्राकृतिक संभावनाओं से परिपूर्ण वन आच्छादित प्रदेश में पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं पर इस दिशा में कोई कार्य नहीं हुआ ही बल्कि उद्योग के नाम पर वनों को काटने से स्थानीय निवासी बहुत दुखी है। साथ ही स्थानीय युवाओं को रोजगार सुनिश्चित हो इस दृष्टि से व्यवसायिक शिक्षा पर बहुत काम होना बाकी है क्योंकि आज भी यहां की प्राकृतिक व वन संपदाओं का दोहन कर अन्यत्र परिवहन अबाध गति से जारी है जो प्रदेश के पर्यावरण पारिस्थितिकी को दुष्प्रभावित करने के साथ हमारे लोगों के रोजगार के संभावनाओं को क्षीण कर रही है।
वास्तव में क्षद्म छत्तीसगढ़िया वाद से परे मूल छत्तीसगढ़िया सोच के साथ प्रदेश में काम करने की जरूरत है तभी इस प्राकृतिक संपदा से भरपूर छत्तीसगढ़ राज्य का समुचित विकास संभव है जहां प्रचुर जल संसाधनों का खेती के लिए, पंजाब हरियाणा की तरह नहरों का जाल बिछा कर बारहों महीने खेत को पानी उपलब्ध हो । साथ ही कृषि उत्पाद आधारित शिक्षा, उद्योग तथा व्यापार की स्थापना से स्थानीय लोगों को रोजगार मिले।
आज स्थापना दिवस पर आने वाले सरकार से यही आशा की जा सकती है कि अटल जी के सपनों का राज्य छत्तीसगढ़ को समृद्ध बनाने कृषि व वन संपदा आधारित रोजगार मूलक कार्य को प्रोत्साहित करे। साथ ही आम जनों से यही उम्मीद है कि आसन्न विधानसभा चुनाव में तात्कालिक प्रलोभन से परे सुखी व समृद्धशाली राज्य की कामनाओं के साथ सचमुच छत्तीसगढ़िया माटी की सोच को आत्मसात करने वाले नेतृत्व का चयन सुनिश्चित करें।