प्रदेश में सत्ता परिवर्तन के साथ ही प्रशासनिक बदलाव की भी सुगबुगाहट तेज हो गई है। लंबे समय से लूप लाइन में बैठे अफसर शपथ ग्रहण का इंतजार कर रहे हैं।
रायपुर। छत्तीसगढ़ में भाजपा की धमाकेदार जीत के बाद दो-एक दिन में मुख्यमंत्री का चयन हो जाएगा। इसके बाद मंत्रिमंडल का शपथ ग्रहण होगा। फिर पुलिस और प्रशासन में बड़ी संख्या में उलटफेर होगी। सबसे अधिक चेंज पुलिस में होगा। पुलिस मुख्यालय समेत रेंज आईजी और जिलों के कप्तान बदले जाएंगे। उधर दो दर्जन से अधिक कलेक्टर भी बदल जाएंगे। मंत्रालय में सचिवों के प्रभार में भी काफी बदलाव किया जाएगा। जिन अधिकारियों को कांग्रेस सरकार में हांसिये पर रखा गया, उन्हें अच्छे विभाग दिए जाएंगे।
इन अधिकारियों को मिलेगा वेटेज
पुलिस में एडीजी एसआरपी कल्लूरी काफी प्रभावशील रहेंगे। बीजेपी शासन काल में कल्लूरी बस्तर आईजी की कमान संभाल चुके हैं। 94 बैच के आईपीएस कल्लूरी की अभी काफी लंबी सर्विस बाकी है। वे 2031 में रिटायर होंगे। याने अभी आठ साल उनकी सर्विस है।
98 बैच के आईपीएस अमित कुमार सीबीआई के डेपुटेशन से छत्तीसगढ़ लौट रहे हैं। वे रायपुर समेत कई जिलों के एसपी रह चुके हैं। बेहद बैलेंस अफसर माने जाने वाले अमित कुमार को पुलिस महकमे में बड़ी जिम्मेदारी सौंपी जाएंगी। चर्चा यह भी है कि अमित कुमार को खुफिया के साथ एसीबी की कमान सौंप दी जाए।
95 बैच के साफ-सुथरी छबि के आईपीएस प्रदीप गुप्ता की स्थिति भी ठीक-ठाक रहेगी। सरकार बदलने के बाद भी पीएचक्यू में उनकी स्थिति पर कोई फर्क नहीं आएगा। 94 बैच के आईपीएस हिमांशु गुप्ता का पोजिशन भी ठीक-ठाक रहेगा। 96 बैच के विवेकानंद के पास अभी नक्सल अभियान है। उनका भी यह विभाग बरकरार रह सकता है। कुल मिलाकर कांग्रेस सरकार में कल्लूरी हांसिये पर रहे लिहाजा नई सरकार में उनका प्रभाव ठीक रहेगा। हालांकि, भाजपा सरकार के 15 सालों में अफसरों से खास नाराजगी नहीं रहे। सो, सांकेतिक तौर पर सरकार कुछ दिन के लिए वर्तमान पोस्टेड अधिकारियों को बदलेगी मगर समझा जाता है, छह महीना, साल भर बाद जो अच्छे पारफार्मेस वाले अफसर हैं, उनकी वापसी हो सकती है।
आईएएस में सर्वाधिक नाम
कांग्रेस सरकार में ऐसे आईएएस अधिकारियों की संख्या खासी है, जो पूरे पांच साल किनारे रहे। इनमें राजेश टोप्पो, आर संगीता, पी दयानंद, चंद्रकांत वर्मा का नाम है। राजेश टोप्पो का पांच साल यूं ही निकल गया। तो तेज-तर्रार और दबंग आईएएस माने जाने वाले दयानंद का मंत्री जय सिंह से पंगा लेना भी काम नहीं आया। आईएएस लॉबी में समझा गया कि जय सिंह की नाराजगी से सरकार में उन्हें रिस्पांस मिल सकता है। मगर उन्हें सबसे अधिक प्रताड़ित किया गया।
2006 बैच के आईएएस दयानंद को सिर्फ आयुर्वेद विभाग का डायरेक्टर बनाया गया और उनसे जूनियर 2008 बैच के भीम सिंह पूरे हेल्थ विभाग के डायरेक्टर रहे। दयानंद समाज कल्याण विभाग के संचालक रहे और उन्हीं का बैचमेट उसी विभाग का सिकरेट्री। याने उनका बॉस। पिछले साल उन्हें सिकरेट्री का चार्ज दिया भी गया तो चिकित्सा शिक्षा विभाग का। यह चार्ज आमतौर पर हेल्थ के साथ ही रहता है। सो, दयानंद को बढ़ियां पोस्टिंग मिल सकती है। बीजेपी सरकार में वे कोरबा, बिलासपुर जैसे चार जिलों के कलेक्टर रह चुके हैं।
दयानंद के बाद आर संगीता दुर्ग में कलेक्टर रहते ऐसा घटनाक्रम हुआ कि नई सरकार बनने के बाद वे लगातार छुट्टियों में ही रहीं। उन्होंने ज्वाईन करने का साहस नहीं दिखाया। संगीता को अब मौका मिलेगा। सिकरेट्री लेवल पर आर प्रसन्ना की स्थिति भी इस सरकार में बहुत अच्छी नहीं रही। बार-बार उनका विभाग बदलता रहा। परराकाष्ठा तो यह हो गई कि हाई कोर्ट ने आईएएस को सिम्स का ओएसडी बनाने का आदेश दिया तो पूर्व सिकरेट्री हेल्थ रहे प्रसन्ना को सिम्स का ओएसडी बना दिया गया। जाहिर है, प्रसन्ना के लिए यह बड़ा झटका रहा होगा। आईएएस में निर्विवाद प्रमुख सचिव मनोज पिंगुआ की स्थिति में कोई फर्क नहीं आएगा।
2009 बैच के आईएएस अवनीश शरण बीजेपी के समय बलरामपुर के बाद कवर्धा के कलेक्टर रहे। मगर नई सरकार में कौशल विकास और तकनीकी शिक्षा, आईटीआई से उबर नहीं पाए। पांच साल उनका यूं ही निकल गया। चुनाव आयोग ने उन्हें संजीव झा की जगह बिलासपुर का कलेक्टर बनाया है। अत्यधिक संभावना है कि अवनीश अब बिलासपुर में ही कंटीन्यू करें। जूनियर अफसरों में गौरव सिंह को बढ़ियां जिला मिल सकता है। बीजेपी बैकग्राउंड के गौरव बालोद में संघ का कार्यक्रम कराने के कथित आरोप में महीने भर में हटा दिए गए थे। 2017 बैच के चंद्रकांत वर्मा कुर्मी हैं और माटी पुत्र भी…इसके बावजूद पता नहीं उनकी क्या खता रही कि उन्हें इधर-से-उधर पटका जाता रहा। इस साल उन्हें मेडिकल कारपोरेशन का चार्ज दिया गया। कलेक्टरी से हटाए गए आर वेंकट, अभीजीत सिंह, इंद्रजीत चंद्रवाल को भी ठीक-ठाक जिला मिलेगा।
बदलेंगे कलेक्टर, एसपी
जिलों में कलेक्टरों से अधिक एसपी बदलेंगे। रजनेश सिंह जैसे काबिल अफसर को कांग्रेस सरकार ने पांच साल खराब कर दिया। उनका सस्पेंशन समाप्त करने के बाद उन्हें नई सरकार कोई जिला दे सकती है। रजनेश पांच साल से सस्पेंशन समाप्त करने जिम्मेदार लोगों को चिरौरी करते रहे। मगर कहीं कोई सुनवाई नहीं हुई।
अजातशत्रु और शशिमोहन सिंह जैसे रिजल्ट देने वाले आईपीएस पांच साल से बस्तर में दिन काट रहे। उनकी धमाकेदार वापसी होगी। जानकारों का कहना है, बड़े जिलो के अधिकांश कलेक्टर, एसपी बदले जाएंगे। कलेक्टरों में कार्तिकेय गोयल और रजत बंसल को भी अच्छा जिला मिलता। मगर दोनों दिल्ली जाने वाले हैं। हालांकि, हो सकता है कि कुछ कलेक्टर कंटीन्यू कर जाएं।
कोरबा कलेक्टर सौरभ कुमार इस सरकार में रायपुर, बिलासपुर और कोरबा के कलेक्टर रहे। हालांकि, कोरबा वे बेमन से गए। सौरभ का पिछली सरकार से भी ट्यूनिंग काफी अच्छी रही है। लिहाजा, माना जाता है कि सौरभ का पोजिशन भी इस सरकार में ठीक-ठाक रहेगी। कलेक्टरों में आधे से अधिक इधर-से-उधर होंगे। और आधे करीब नए जाएंगे। नए वाले में 2013, 15, 16 और 17 बैच वाले ज्यादा होंगे। 2017 बैच के पांचों अवेटेड आईएएस को आने वाली लिस्ट में कलेक्टर बनने का अवसर मिल सकता है। क्योंकि, काफी दिनों से उनकी कलेक्टरी ड्यू है।