रतनपुर- ऐतिहासिक नगरी रतनपुर में बैकुंठ चतुर्दशी पर आयोजित होने वाले दीप महोत्सव की शुरुआत सन् 2009 में सवालाख बातियों की दिव्य ज्योति बाबा वृद्धेश्वर नाथ को समर्पित कर श्रीमती सुधा श्रीवास्तव ने किया था तब से लगातार इस परंपरा को नगर वासियों ने उत्साह के साथ स्वस्फूर्त मनाना प्रारंभ किया ।। बाबू प्यारेलाल गुप्त सृजन पीठ एवं बुढ़ा महादेव दीपदान समिति ने बाद में इसे दिव्यता प्रदान करते हुए नगर में इसे एक नई पहचान दी।। धार्मिक एवं सामाजिक आयोजनों में सक्रिय सहभागिता निभाने वाली श्रीमती सुधा श्रीवास्तव को इस अभूतपूर्व योगदान के लिए दीपमाता सम्मान से सम्मानित भी किया गया था। 85 वर्षिय सुधा श्रीवास्तव अपने सात्विक आहार एवं अनुशासित जीवनचर्या के कारण जीवनभर निरोगी रही। उच्च कुल मे जन्मी एवं उच्च शिक्षित सुधा जी ने विभिन्न परंपराओं को जीवनभर जीवंतता प्रदान कर समाज के लिए एक नई इबारत लिख गई। नगर के इतिहास कार एवं लेखक ब्रजेश श्रीवास्तव एवं सरस्वती शिशु मंदिर रतनपुर के प्राचार्य मुकेश श्रीवास्तव की आप माताजी रही।उनके देहावसान पर आयोजित श़ोकसभा में वक्ताओं में डाॅ. सुनील जायसवाल, बालकृष्ण मिश्रा, पंढरीनाथ मंदिर के व्यवस्थापक आनंद नगरकर, सुरेश सोनी, दिनेश पांडेय, शुकदेव कश्यप एवं महंत तारकेश्वर पुरी जी महराज ने, संबोधित करते हुए समाज को दिये गये उनके अतुलनीय योगदान की सराहना करते हुए उनके निधन को हिंदू परंपराओं एवं नगर के लिए अपूर्णीय क्षति बताया।