मुंगेली। करवा चौथ कार्तिक महीने में पूर्णिमा के चौथे दिन मनाया जाने वाला त्योहार है। करवा चौथ पर विवाहित महिलाएं अपने पति की सुरक्षा और लंबी उम्र के लिए सूर्योदय से चंद्रोदय तक उपवास रखती हैं। करवा चौथ का व्रत पारंपरिक रूप से रविवार को मनाया जगया।करवा चौथ की तैयारियां महिलाएं कुछ दिन पहले से ही शुरू कर देती हैं। शृंगार, गहने और पूजा के सामान की खरीदारी लगभग हफ्ते भर पहले से करने लगती हैं। व्रत का आरंभ महिलाएं सुबह स् स्नानादि के बाद व्रत का संकल्प लेती हैं। महिलाएं पति की लंबी उम्र के लिए निर्जला उपावास करती हैं। पहले हाथ में गंगाजल लेकर भगवान का ध्यान किया जाता है, फिर जल को किसी गमलेमें डाल देतें हैं। कई स्थानों पर इस दिन पीली मिट्टी से माता गौरी का चित्र बनाकर, लाल चुनरी, बिंदी, सुहाग सामग्री, रोली, चंदन, अक्षत, पुष्प व नैवेद्य अर्पित किया जाता है, लेकिन कई लोग माता की फोटो के सामने भी ये सारी वस्तुएं अर्पित करते हैं, फिर माता को आठ पूरियों की अठावरी और हलवे का भोग लगाया जाता है। इसके बाद दोपहर के समय करवा चौथ के व्रत की कथा सुनते हैं। रात को चंद्रोदय के समय चंद्रमा को अर्घ्य कर पति की लंबी उम्र की कामना करते हुए प्रार्थना करते हैं। इसके बाद एक छलनी लेकर चंद्र दर्शन किया जाता है और उसी छलनी से पति को देखते हैं। आखिर में पति के हाथों से जल ग्रहण कर व्रत खोला जाता है। बदले में पति उन्हें उपहारदेता है।