पंचकूला। 2007 के Samjhauta blast case में 12 साल बाद आज फैसला आ सकता है। मामले में असीमानंद समेत लोकेश शर्मा, कमल चौहान और राजिंद्र चौधरी आरोपी हैं और सभी फैसले के लिए एनआईए की विशेष अदालत पहुंच चुके हैं। इस घटना में 68 ट्रेन यात्री मारे गए थे और काफी संख्या में लोग घायल हो गए थे। मारे गए लोगों में अधिकतर पाकिस्तान के रहने वाले थे।
इस मामले की सुनवाई जज जगदीप सिंह कर रहे हैं। इस केस में बहस होने के बाद कोर्ट ने 6 मार्च को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। मामले में आठ आरोपितों में से एक की हत्या हो गई थी और तीन आरोपितों को पीओ घोषित कर दिया था।
एनआईए के वकील आरके हांडा ने बताया कि समझौता एक्सप्रेस ब्लाल्ट मामले में एनआइए और बचाव पक्ष के बीच फाइनल बहस पूरी हो गई है। 26 जुलाई 2010 को मामला एनआईए को सौंपा गया था। 26 जून 2011 को आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की गई थी। वकील पीके हांडा ने बताया आरोपियों पर आईपीसी की धारा (120 रीड विद 302) 120बी साजिश रचने के साथ 302 यानि की हत्या, 307 हत्या की कोशिश करना, और विस्फोटक पदार्थ, रेलवे को हुए नुकसान को लेकर कई धाराएं लगाई गई हैं। अगर इन धाराओं के तहत आरोपी दोषी करार दिए जाते हैं, तो कम से कम उम्रकैद की सजा हो सकती है।
आरके हांडा ने बताया कि एनआईए ने मामले में कुल 224 गवाहों को पेश किया, जबकि बचाव पक्ष ने कोई गवाह नहीं पेश किया। केवल अपने दस्तावेज और कई जजमेंट्स की कॉपी ही कोर्ट में पेश की। इस मामले में कोर्ट की ओर से पाकिस्तानी गवाहों को पेश होने के लिए कई बार मौका दिया गया, लेकिन वह एक बार भी कोर्ट में नहीं आए। वकील हांडा ने बताया कि मामले में अब तक सिर्फ आरोपी असीमानंद को ही ज़मानत मिली है, बाकि तीनों आरोपित जेल में हैं।
भारत-पाकिस्तान के बीच सप्ताह में दो दिन चलने वाली समझौता एक्सप्रेस में 18 फरवरी 2007 में बम धमाका हुआ था। ट्रेन दिल्ली से लाहौर जा रही थी। विस्फोट हरियाणा के पानीपत जिले में चांदनी बाग थाने के अंतर्गत सिवाह गांव के दीवाना स्टेशन के नजदीक हुआ था। हादसे में 68 लोगों की मौत हो गई थी। ब्लास्ट में 12 लोग घायल हो गए थे। धमाके में जान गंवाने वालों में अधिकतर पाकिस्तानी नागरिक थे। मारे गए 68 लोगों में 16 बच्चों समेत चार रेलवे कर्मी भी शामिल थे।