Home समाचार बच्चों की उम्र घटा रहा प्रदूषण,1 साल में ली 12 लाख भारतीयों...

बच्चों की उम्र घटा रहा प्रदूषण,1 साल में ली 12 लाख भारतीयों की जान




IMG-20240704-WA0019
IMG-20220701-WA0004
WhatsApp-Image-2022-08-01-at-12.15.40-PM
1658178730682
WhatsApp-Image-2024-08-18-at-1.51.50-PM
WhatsApp-Image-2024-08-18-at-1.51.48-PM

देश में एयर पॉल्यूशन सबसे ज्यादा लोगों को मौत की नींद सुला रहा है. 2017 में इनडोर और आउटडोर पॉल्यूशन से भारत में 12 लाख लोगों की मौत हो गई. पॉल्यूशन पर एक नई ग्लोबल स्टडी ‘स्टेट ऑफ ग्लोबल एयर 2019’ की रिपोर्ट यह बात कही गई है. रिपोर्ट के मुताबिक दक्षिण एशिया दुनिया का सबसे प्रदूषित इलाका है.

दक्षिण एशिया में प्रदूषण की मार सबसे ज्यादा

“State of Global Air 2019” रिपोर्ट के मुताबिक मौजूदा प्रदूषण का मौजूदा लेवल बना रहा तो यह औसत दक्षिण एशियाई बच्चे की जिंदगी ढाई साल तक घटा देगा. इसमें कहा गया है कि भारत में वायु प्रदूषण से मौतों की संख्या स्मोकिंग से होने वाली मौतों से ज्यादा है. देश में यह तीसरा बड़ा हेल्थ रिस्क है.रिपोर्ट में कहा गया है कि लंबे वक्त तक आउटडोर और इनडोर पॉल्यूशन के संपर्क में रहने से 2017 में स्ट्रोक, डाइबिटीज, हार्ट अटैक, फेफड़े के कैंसर और इससे जुड़ी दूसरी बीमारियों से 50 लाख लोगों की मौत हुई है.

पहली बार टाइप टु डाइबिटीज पॉल्यूशन हेल्थ रिस्क में शामिल

पहली बार, टाइप टु डाइबिटीज को भी एयर पॉल्यूशन के बड़े हेल्थ रिस्क में शामिल किया गया है. दक्षिण एशिया के देशों- बांग्लादेश, भारत, नेपाल और पाकिस्तान में 15 लाख लोगों की मौत एयर पॉल्यूशन से पैदा वजहों से हुई है.

स्टडी के मुताबिक दुनिया भर में सड़क हादसों, मलेरिया, कुपोषण, शराब और शारीरिक निष्क्रियता की तुलना में वायु प्रदूषण से ज्यादा लोग मरते हैं.मौजूदा प्रदूषण स्तर के दौरान अगर कोई बच्चा पैदा होता है तो वह अपनी उम्र पूरी करने से 20 महीने पहले मर सकता है. 2017 में दुनिया भर की आधी आबादी यानी 3.9 अरब लोग घरेलू एयर पॉल्यूशन के शिकार थे.

स्टडी के मुताबिक घरों में इस्तेमाल होने वाले ठोस ईंधन, कंस्ट्रक्शन से पैदा होने वाली धूल, कोयले से चलने वाले बिजली प्लांट, ईंध भट्ठों, वाहन यातायात, डीजल से चलने वाले उपकरण वायु प्रदूषण के अहम स्त्रोत हैं.