Home छत्तीसगढ़ Chhattisgarh : जकांछ में मची सियासी भगदड़, कांग्रेस के साथ ही भाजपा...

Chhattisgarh : जकांछ में मची सियासी भगदड़, कांग्रेस के साथ ही भाजपा ने भी खेला दांव




IMG-20240704-WA0019
IMG-20220701-WA0004
WhatsApp-Image-2022-08-01-at-12.15.40-PM
1658178730682
WhatsApp-Image-2024-08-18-at-1.51.50-PM
WhatsApp-Image-2024-08-18-at-1.51.48-PM

बिलासपुर। विधानसभा चुनाव के बाद से ही जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ में सियासी भगदड़ की स्थिति बनी हुई है। पार्टी छोड़कर कांग्रेस में जाने वालों की लंबी कतार लगी हुई है। विधानसभा चुनाव बाद से जो सिलसिला चल पड़ा है वह थमने का नाम ही नहीं ले रहा है। कांग्रेसी रणनीतिकारों के जवाब में भाजपा ने भी अब अपना दांव खेलना शुरू कर दिया है। जकांछ में तोड़फोड़ की कोशिशें और भी तेज हो गई हैं।

गुरुवार 18 अप्रैल को जकांछ में एक बार फिर तोड़फोड़ हुई। तखतपुर में भाजपाध्यक्ष अमित शाह की सभा थी। उनकी मौजूदगी में जकांछ के राजेश सोनी और अजय देवांगन के साथ बड़ी संख्या में जकांछ के पदाधिकारी व कार्यकर्ताओं ने भाजपा प्रवेश किया। अमित शाह ने केसरिया गमछा पहनाकर उनके प्रवेश की औपचारिक घोषणा की । विधानसभा चुनाव के बाद यह पहला अवसर है जब भाजपाई रणनीतिकारों ने जकांछ प्रमुख अजीत जोगी के घर में सेंध लगाई हो।

इसे संयोग ही कहा जाएगा कि जिस वक्त तखतपुर में जकांछ के कार्यकर्ता भाजपा में प्रवेश कर रहे थे उसी वक्त लिम्हा में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की मौजूदगी में जोगी के बेहद करीबी व सिपहसालार अनिल टाह ने घर वापसी की । उनके अलावा दर्जनों कार्यकर्ताओं ने भी कांग्रेस प्रवेश किया । विधानसभा चुनाव से ठीक पहले जकांछ सुप्रीमो अजीत जोगी ने बसपा के साथ चुनावी गठबंधन कर सबको चौंका दिया था। कांग्रेेस के रणनीतिकारों को जोगी ने एक तरह से झटका दे दिया था।

तब ऐसा माना जा रहा था कि बसपा जकांछ के बीच गठबंधन के बाद तीसरी ताकत का जोर बढ़ेगा। प्रदेश की राजनीति में अहम भूमिका की संभावनाओं के चलते कांगे्रस से नाराज एक बड़ा धड़ा तब जकांछ में शामिल हो गया था। जकांछ का कुनबा विधानसभा चुनाव तक बढ़ता ही गया । तब इस बात की संभावना भी बनने लगी थी कि प्रदेश की राजनीति में एक बड़ा उलटफेर होगा और चुनाव परिणाम के बाद जकांछ बसपा बड़ी भूमिका में नजर आने लगेगा।

प्रदेश में चली कांग्रेस के पक्ष में लहर ने बसपा व जकांछ के रणनीतिकारों की तमाम अटकलों व संभावनाओं पर पानी फेर दिया। या यूं कहें कि प्रदेश की जनता ने क्षेत्रीय दलों की स्वीकार्यता को सिरे से खारिज कर दिया।

पांच साल बाद विधानसभा का चुनाव होगा। जाहिर है जकांछ में रहते प्रदेश की राजनीति में कोई अच्छी संभावना अब नहीं बची है। मौके के हिसाब से राजनीति करने वाले पदाधिकारी व कार्यकर्ताओं में पार्टी छोड़ने की होड़ सी मच गई है। लोकसभा चुनाव में माहौल बनाने कांग्रेसी रणनीतिकार भी बिना सोचे समझे जकांछ में तोड़फोड़ करने में ज्यादा भरोसा जताते हुए पार्टी का दरवाजा खोल दिया है।

मैदानी कार्यकर्ताओं में बढ़ने लगी नाराजगी

जकांछ से कांग्रेस प्रवेश करने वाले पदाधिकारी व कार्यकर्ताओं की बढ़ती भीड़ से कांग्रेस के मैदानी कार्यकर्ता और दिग्गज नेताओं में नाराजगी पनपने लगी है। दबी जुबान से ये कहते भी सुने जा रहे हैं कि मौका परस्तों पर हर हाल में लगाम लगना चाहिए। मौका के हिसाब से राजनीति करने वाले एक बार फिर सत्ता का लाभ लेने जोगी को छोड़कर कांग्रेस में आ रहे हैं। जकांछ से कांग्रेस प्रवेश करने वालों को मैदानी कार्यकर्ता स्वीकार नहीं कर पा रहे हैं।

– कुछ लोगों के लिए कितना भी कर लो,दुनिया से लड़ लो, कम होता है। सत्ता की सुगंध उन्हें खींच ही ले जाती है। जब वे 1999 में हमारा साथ छोड़ चुके थे। पापा मुख्यमंत्री बने तो फिर वे 2003 में वापस आ गए । हम सत्ता से कोसों दूर हैं। ऐसे लोग जितना दूर रहें उतना अच्छा है। कांग्रेस प्रवेश मुबारक। – अमित जोगी, प्रदेश अध्यक्ष, जकांछ छग