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4 जून को केरल नहीं पहुंचेगा मानसून, मौसम विभाग ने बताई यह नई तारीख




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मौसम विभाग ने इस साल देश में पांच दिन की देरी से मानसून के दस्तक देने की संभावना जताते हुये कहा है कि दक्षिण पश्चिम मानसून छह जून को केरल तट पर पहुंच सकता है. मौसम विभाग ने बुधवार को यह जानकारी दी. भारत में चार महीने के बारिश के मौसम की शुरुआत दक्षिण पश्चिम मानसून से होती है.

 यह मानसून भारत में हर साल सामान्यत: एक जून को केरल तट पर दस्तक देता है. दक्षिण पश्चिम मानसून के बारे में मौसम विभाग द्वारा जारी पूर्वानुमान के अनुसार इस साल मानसून पहुचंने में पांच दिन की देरी हो सकती है. विभाग ने हालांकि इसमें चार दिन अधिक या कम होने की संभावना से इंकार नहीं किया है.

यह मानसून भारत में हर साल सामान्यत: एक जून को केरल तट पर दस्तक देता है. दक्षिण पश्चिम मानसून के बारे में मौसम विभाग द्वारा जारी पूर्वानुमान के अनुसार इस साल मानसून पहुचंने में पांच दिन की देरी हो सकती है. विभाग ने हालांकि इसमें चार दिन अधिक या कम होने की संभावना से इंकार नहीं किया है.

 निजी क्षेत्र की मौसम एजेंसी ‘स्काईमेट’ ने भी मंगलवार को देश में चार दिन की देरी से चार जून को मानसून के पहुंचने का अनुमान जारी किया था. इसके एक दिन बाद मौसम विभाग ने दक्षिण पश्चिम मानसून की पूर्वानुमान रिपोर्ट जारी की है.

निजी क्षेत्र की मौसम एजेंसी ‘स्काईमेट’ ने भी मंगलवार को देश में चार दिन की देरी से चार जून को मानसून के पहुंचने का अनुमान जारी किया था. इसके एक दिन बाद मौसम विभाग ने दक्षिण पश्चिम मानसून की पूर्वानुमान रिपोर्ट जारी की है.

 विभाग के अनुसार दक्षिण पश्चिम मानसून के लिये अंडमान सागर और निकोबार द्वीप के दक्षिणी इलाकों तथा बंगाल की खाड़ी के दक्षिण पूर्वी क्षेत्र में 18 से 19 मई के बीच आगे बढ़ने की अनुकूल परिस्थितियां बरकरार हैं.

विभाग के अनुसार दक्षिण पश्चिम मानसून के लिये अंडमान सागर और निकोबार द्वीप के दक्षिणी इलाकों तथा बंगाल की खाड़ी के दक्षिण पूर्वी क्षेत्र में 18 से 19 मई के बीच आगे बढ़ने की अनुकूल परिस्थितियां बरकरार हैं.

 विभाग के अनुसार अगर पूवार्नुमान के मुताबिक मानसून इस साल भी देरी से आता है, तो 2014 के बाद मानसून के विलंबित होने का यह तीसरा साल होगा. इससे पहले 2015 में पांच जून और 2016 में आठ जून को मानसून ने केरल तट पर दस्तक दी थी.<br />यह जरूरी नहीं है कि मानसून के देर से आने से बारिश की मात्रा पर कोई प्रभाव पड़े.

विभाग के अनुसार अगर पूवार्नुमान के मुताबिक मानसून इस साल भी देरी से आता है, तो 2014 के बाद मानसून के विलंबित होने का यह तीसरा साल होगा. इससे पहले 2015 में पांच जून और 2016 में आठ जून को मानसून ने केरल तट पर दस्तक दी थी.<br />यह जरूरी नहीं है कि मानसून के देर से आने से बारिश की मात्रा पर कोई प्रभाव पड़े.

 साल 2018 में मानसून, नियत समय से तीन दिन पहले, 29 मई को केरल तट पर आ गया था. इसके बावजूद देश में सामान्य से कम बारिश दर्ज की गयी थी. इसी तरह 2017 में 30 मई को मानसून की दस्तक के बाद भी बारिश की मात्रा औसत स्तर की 95 प्रतिशत ही रही थी. 

साल 2018 में मानसून, नियत समय से तीन दिन पहले, 29 मई को केरल तट पर आ गया था. इसके बावजूद देश में सामान्य से कम बारिश दर्ज की गयी थी. इसी तरह 2017 में 30 मई को मानसून की दस्तक के बाद भी बारिश की मात्रा औसत स्तर की 95 प्रतिशत ही रही थी. 

 विभाग ने अप्रैल में जारी पूर्वानुमान में दक्षिण पश्चिम मानसून में लगभग सामान्य बारिश होने का अनुमान व्यक्त करते हुये इसके 96 प्रतिशत तक रहने की संभावना जतायी थी जबकि स्काईमेट ने इसके सामान्य से कम 93 प्रतिशत रहने का अनुमान व्यक्त किया है.

विभाग ने अप्रैल में जारी पूर्वानुमान में दक्षिण पश्चिम मानसून में लगभग सामान्य बारिश होने का अनुमान व्यक्त करते हुये इसके 96 प्रतिशत तक रहने की संभावना जतायी थी जबकि स्काईमेट ने इसके सामान्य से कम 93 प्रतिशत रहने का अनुमान व्यक्त किया है.