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सेना होगी हाईटेक और अपने देश में बनेंगे हथियार, राजनाथ सबसे पहले करेंगे ये 6 काम




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देश के रक्षा क्षेत्र को लंबे वक्त से राजनाथ सिंह जैसे किसी कद्दावर नेता की जरूरत थी. इसकी वजह है कि रक्षा क्षेत्र को काफी समय से कुछ आधुनिकीकरण की जरूरत है ताकि उसके कामकाज में आने वाली कमियों को दूर किया जा सके. लंबे वक्त से रुके हुए संरचनात्मक सुधारों की दिशा में भी अनुभवी राजनाथ सिंह बदलाव ला सकते हैं. ऐसा ही एक सुधार है तीनों सेवाओं के प्रमुख की नियुक्ति और तीनों के एक साथ जुड़े कमांड्स की नियुक्तियां. राजनाथ सिंह जैसे अनुभवी और मजबूत नेता के रक्षा मंत्रालय संभालने से इस क्षेत्र में इन बदलावों के तुरंत आने की संभावना मजबूत हुई है-

भारत को बड़े रक्षा आयातक के टैग से दिलाएंगे मुक्ति

देश के नए रक्षा मंत्री के तौर पर राजनाथ सिंह के सामने करने को बहुत कुछ है. इन असंख्य चुनौतियों में उनके सामने चीन और पाकिस्तान के संयुक्त खतरे से निपटने की चुनौती तो होगी ही साथ ही भारत के कमजोर डिफेंस-इंडस्ट्रियल बेस को रणनीतिक रूप से मजबूत करने की चुनौती भी होगी ताकि भारत अभी भारत अभी दुनिया के सबसे बड़े हथियार आयातक की अपनी छवि से मुक्ति पा सके. भारत ने रक्षा उत्पादों के क्षेत्र में खुद को मजबूत किया है और आशा है कि अगले कुछ सालों में ज्यादातर दक्षिण एशियाई और विकासशील देशों में उसके हथियारों का प्रयोग बड़े स्तर पर देखने को मिलेगा.

रक्षा क्षेत्र में मैनेजमेंट के स्तर पर लाएंगे आमूलचूल बदलाव
हालांकि पीएम मोदी के नेतृत्व वाली पहली एनडीए सरकार ने रक्षा क्षेत्र में सुधारों के लिए कुछ जरूरी कदम उठाए थे लेकिन अगर एक सार्थक बदलाव रक्षा क्षेत्र में देखना है तो पूरे देश के डिफेंस मैनेजमेंट में आमूल-चूल बदलावों की जरूरत है. पिछले पांच सालों में रक्षा क्षेत्र का नेतृत्व पहले अरुण जेटली फिर मनोहर पर्रिकर और फिर निर्मला सीतारमन के हाथों में आते-जाते रहने से इस बड़े क्षेत्र में बदलाव उतने प्रभावकारी तरीके से लागू नहीं कराए जा सके.

रक्षा क्षेत्र बहुत बड़ा है और उसमें जोन को लेकर अधिकारियों की तनातनी और एक-दूसरे से प्रतिस्पर्धा करती लॉबियां बनी हुई हैं. राजनाथ सिंह के पास इन सारी ही परिस्थितियों से निपटने के लिए अच्छा-खासा अनुभव और राजनीतिक इच्छाशक्ति है. वे आसानी से अपने सुधारों को सुरक्षा की कैबिनेट कमेटी के जरिए नीचे तक पहुंचा सकते हैं.

शानदार साथियों का मिलेगा सहयोग
रक्षा से जुड़े हुए कई प्रस्ताव वित्त मंत्रालय में रुके हुए हैं. जिनपर एक अन्य तेजतर्रार मंत्री निर्मला सीतारमन जल्द ही फैसले लेंगी ऐसी आशा है. इसकी एक वजह उन्हें 20 महीने का रक्षा मंत्रालय का अनुभव होना भी रहेगा. सिंह को रक्षा सचिव संजय मित्रा और उनके गोवा के नेता जूनियर श्रीपद वाई नायक से भी इस मामले में मदद मिलेगी.

युद्ध की स्थिति में भारत के पास होंगे पर्याप्त हथियार
उनकी पहली प्राथमिकता 15 लाख सैनिकों को हथियारों की आपूर्ति करनी होगी. ताकि किसी युद्ध की स्थिति में उनके पास ठीक-ठाक समय तक डटे रहने के लिए पर्याप्त हथियार हों. फिर उन्हें भारतीय सेना के पास रणनीतिक रूप से जरूरी पनडुब्बियों, फाइटर प्लेन, हेलिकॉप्टर, माइनस्वीपर, आकाश में सुरक्षा, पैदल दस्तों के हथियारों और रात में लड़ाई की स्थिति में काम आने वाले हथियारों की पर्याप्त स्थिति रखना होगा. निश्चित तौर पर अच्छे सहयोगियों के साथ राजनाथ सिंह के लिए यह काम ज्यादा मुश्किल नहीं होगा.

DRDO भारत को रक्षा क्षेत्र में बनाएगा आत्मनिर्भर
राजनाथ सिंह को इन सबके अलावा DRDO पर विशेष ध्यान देना होगा साथ ही रक्षा क्षेत्र में प्राइवेट कंपनियों के सहयोग को उत्पादन बढ़ाने के काम में कैसे लाया जा सकता है यह सोचना होगा. मेक इन इंडिया का इस्तेमाल फाइटर जेट, हेलिकॉप्टर और दूसरे रक्षा उपकरण बनाने में कैसे हो सकता है. साथ ही पिछले पांच सालों में इन पर जो काम हुआ, उससे क्या सीखा जा सकता है यह सोचना होगा.

DRDO अपनी क्षमताओं का प्रदर्शन पहले भी कर चुका है. अगर राजनाथ सिंह DRDO में संरचनात्मक बदलाव लाने में और प्राइवेट पार्टनरशिप को मजबूत करने में सफल रहे तो DRDO भारत को रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने के मामले में जरूरी योगदान दे सकता है.

रक्षा साझेदारियों पर देना होगा विशेष ध्यान
इसके अलावा रणनीतिक साझेदारियों को भारत के रक्षा सहयोगियों के साथ और मजबूत कैसे किया जाएगा यह भी एक महत्वपूर्ण क्षेत्र होगा. इसमें चीन और पाकिस्तान के ख़तरों के खिलाफ भारत को इजरायल जैसे मजबूत रक्षा सहयोगियों के साथ अपनी साझेदारियां मजबूत करनी होंगीं.