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छत्तीसगढ़ /नोटिस की मियाद पूरी, नहीं दिया वाशरी संचालकों ने जवाब, जांच अभी भी जारी




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एसीबी समूह की कोल वाशरियों पर शनिवार को की गई छापामार कार्रवाई में प्रशासन की ओर से कहा गया था कि संचालकों को नोटिस दी गई है। जिसका जवाब उन्हें तीन दिन में देना है। उपसंचालक खनिज एनएल सोनकर ने कहा है कि हमारे पास अब तक कोई जवाब नहीं आया है। अभी भी हम जांच कर रहे हैं। 


राजनैतिक रूप से प्रभावशाली एसीबी समूह की कोलवाशरियों पर शनिवार को रायपुर से खनिज विभाग के केन्द्रीय उड़नदस्ते, प्रशासन व विभिन्न विभागों के तकरीबन 100 अधिकारी-कर्मचारियों के दल ने कार्रवाई की। एसईसीएल दीपका के एक कांटाघर में वाशरी से जुड़ा आदमी मौजूद था। जबकि एसईसीएल कर्मी नदारद। कांटाघर से ही खदान से कोयला लेकर आने वाले वाहन वजन कराकर निकलते हैं। बाद में एसीबी समूह की वाशरियों में 6 लाख 84 हजार टन उसके निर्धारित भंडारण क्षमता से अधिक होने की जानकारी अधिकारिक तौर पर दी गई।

प्रशासन की ओर से की गई कार्रवाई को जनसंपर्क विभाग ने बकायदा विज्ञप्ति जारी कर बताया। वहीं यह भी कि वाशरी संचालकों से तीन दिन के अंदर जवाब देने के लिए कहा गया है। यह मियाद मंगलवार को पूरी हो गई। खनिज उपसंचालक एनएल सोनकर ने मंगलवार शाम कहा कि अब तक वाशरी संचालकों का जवाब नहीं मिला है। उन्होंंने यह भी कहा कि जहां तक नोटिस की मियाद की बात है उसके जवाब के लिए तीन से 15 दिन तक की समय-सीमा अलग-अलग मामलों में है। इधर पर्यावरण संरक्षण मंडल व औद्योगिक स्वास्थ्य एवं सुरक्षा द्वारा की गई जांच पर आगे क्या कार्रवाई की गई है, इसका खुलासा नहीं हुआ है।

 इस सारे घटनाक्रम से यह चर्चा शुरू हो गई है कि जिस बड़े पैमाने पर कार्रवाई करने की बात खुद प्रशासन की ओर से कही गई थी। अब उसमें कहीं न कहीं लीपापोती की शुरूआत हो गई है। अन्य समूह की इंडस कोलवाशरी के तो स्थापना व संचालन से जुड़े सभी पेपर मांगे गए थे। वहीं कनबेरी की स्वास्तिक वाशरी को भी पूरी तरह से सीलबंद किया गया है। लीलागर नदी के बहाव को अवैध बंधान बनाकर रोकना ही गंभीर मामला है। इसमें भी कहा जा रहा है कि जांच अभी जारी है। जानकार सूत्रों का कहना है कि यदि जांच सही दिशा में की जाएगी तो कोयला अफरा-तफरी का बड़ा मामला सामने आ सकता है।

कुछ इसे बदली राजनैतिक परिस्थितियों में कॉरपोरेट वार से भी जोड़कर देख रहे हैं तो कुछ इसे प्रदेश में बदली सत्ता के साथ कदमताल न करने का खामियाजा भी मान रहे हैं। बहरहाल इन सभी बातों का जवाब तो अब प्रशासन जो कदम उठाएगा उसी से साफ होगा। एक सवाल कार्रवाई को लेकर यह भी खड़ा हो रहा है कि कोयला के रोड ट्रांसपोर्ट को ही जांच के दायरे में लिया गया है। जबकि महज 10 प्रतिशत कोल परिवहन ही सड़क से होता है। बाकी का सारा कोल परिवहन रेलवे से होता है। रेल साइडिंग की और जांच दल ने निगाह भी नहीं डाली है।

कांटाबाबू निलंबित नाेटिस भेज जवाब मांगा : इस कार्रवाई के दौरान एसईसीएल दीपका के कांटा घर क्रमांक 16 में पदस्थ कृपाल सिंह कंवर ड्यूटी पर न होकर वहां वाशरी का कर्मचारी किशन प्रजापति मौजूद था। उसे प्रबंधन ने मंगलवार को निलंबित कर दिया है। उसे इस संबंध में कारण बताओ नोटिस जारी कर तीन दिनाें के अंदर जवाब देने कहा है।