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कुंभ मेले में बिजली घोटाला, हाई कोर्ट ने राज्‍य सरकार और पीडीए से मांगा जवाब




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प्रयागराज। कुंभ मेले के दौरान झूसी में बने शास्त्री पुल से अंदावा तक विद्युतीकरण कार्य कराया गया था। लेकिन चौंकाने वाली बात यह है कि विद्युतीकरण हुआ ही नहीं और ठेका लेने वाली कंपनी को भुगतान कर दिया गया है। इस मामले में संबंधित कंपनी के ऊपर मुकदमा दर्ज किया गया है। जबकि इसकी जांच के लिए अब इलाहाबाद हाईकोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की गई है। मामले की गंभीरता को देखते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कंपनी, प्रयागराज डेवलपमेंट अथॉरिटी व राज्य सरकार से जवाब मांगा है। इस याचिका पर अगली सुनवाई 10 जुलाई को होगी और उसके पहले ही सभी पक्षों को अपना जवाब दाखिल करना है।

क्या है मामला

इलाहाबाद हाईकोर्ट में दाखिल याचिका में बताया गया है कि कुंभ मेले के दौरान विद्युतीकरण के लिए टेंडर जारी किया गया था। इस दौरान प्रयागराज डेवलपमेंट अथॉरिटी के अधिशासी अभियंता अवनींद्र कुमार सिंह की मिलीभगत से मेसर्स अनू वेन्चर्स को विद्युतीकरण का ठेका दिया गया। यह कंपनी गाजियाबाद के प्रताप बिहार की है और कुंभ में कार्य करने के लिए यह ऑथराइज्ड की गई थी। आश्चर्यजनक बात यह है कि कंपनी के पास काम करने का कोई एक्सपीरियंस नहीं था। उसके बावजूद उसके लिये अनुभव प्रमाण पत्र फर्जी तरीके से बनवाया गया। कंपनी के नाम नगर पालिका परिषद अयोध्या में कार्य का फर्जी प्रमाणपत्र दिखाकर जालसाजी की गई और विद्युतीकरण का काम ना करने के बावजूद भी मिलीभगत से भुगतान कर दिया गया। सरकार को करोड़ों रुपए की चपत लगाई गई और मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया था। लेकिन, अब मामला खुलने के बाद इसमें कार्यवाही का दौर शुरू हुआ है।

10 जुलाई को अगली सुनवाई कुंभ मेले में विद्युतीकरण के नाम पर हुए घोटाले के खुलासे के लिए अधिवक्ता अरुण मिश्रा ने याचिका दाखिल की है और उन्होंने इस पूरे मामले की जांच के लिए स्वतंत्र कमेटी गठित करने व विजिलेंस टीम से जांच कराने का आग्रह किया है। याचिका पर जस्टिस रामसूरत मौर्य तथा जस्टिस पीयूष अग्रवाल की खंडपीठ ने सुनवाई की है और सभी पक्षों को नोटिस जारी करते हुए 10 जुलाई तक अपना जवाब दाखिल करने को कहा है। याचिका पर अगली सुनवाई 10 जुलाई को होगी।

दर्ज हुआ है मुकदमा

कुंभ के दौरान विकास कार्यों में घोटालों को लेकर पिछले 4 महीने से लगातार छोटे बड़े मामले सामने आ रहे हैं। मेला प्राधिकरण द्वारा कार्रवाई के दिये कई बड़े कदम उठाए गए हैं। जिनमें करोड़ों के भुगतान पर रोक लगाने के साथ कई जांच भी चल रही है। उसी क्रम में इस विद्युतीकरण के मामले में धांधली का मामला भी खुला था। तब खुद को बचाने के लिए कानूनी कार्यवाही का क्रम भी शुरू किया गया था। 22 फरवरी 2019 को अनू वेन्चर्स के खिलाफ गबन व षड्यंत्र के आरोप में सिविल लाइंस थाने में एफआईआर दर्ज कराई गई है। लेकिन, इस मामले में मुकदमा दर्ज कराने की खानापूर्ति के बाद कोई कार्यवाही नहीं की गई। जबकि इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दाखिल करने वाले अधिवक्ता ने 16 मार्च को घोटाले की जांच के लिए एक मांग पत्र भी भेजा था। लेकिन, पूरे मामले को रफा-दफा करने के लिए खेल चल रहा था। अब मामला इलाहाबाद हाईकोर्ट पहुंच चुका है और हाईकोर्ट ने इस पूरे प्रकरण में सभी पक्षों से जवाब दाखिल करने को कहा है।