आज भी दुनिया में कई ऐसी चीजे मौजुद है जो इतिहासकारों के लिए एक पहेली बनी हुई है। आज हम आपको एक ऐसी चीज के बारे में बताने जा रहे है जो वैज्ञानिकों के लिए एक पहेली बनी हुई है। जानकारी के लिए बता दें कि हम बात कर रहे है दिल्ली के कुतुबमीनार की इसके परिसर में एक लोहे की स्तम्भ बनी है।
इसकी सबसे खास बात है कि लोहे की बनी होने के बाद भी आज तक इस पर जंग नहीं लगा है। बता दें कि 1600 साल पुराना ये स्तम्भ 98 प्रतिशत लोहे से निर्मित हो रखा है। लेकिन इसके बावजुद भी इसमें जंग नहीं लगा है। बता दें कि कुमारगुप्त ने अपने पिता चनद्रगुफ्त विक्रमादित्य की याद मे इसका निर्माण करवाया था।
413 ईसवी यानि कि आज से लगभग 1604 साल पहले इसका निर्माण किया गया था। इसकी ऊंचाई 7.21 मीटर है औऱ ये जमीन में 3 फुट 8 इंच नीचे गड़ा हुआ है। इसका वजन 6000 किलों से भी ज्यादा है। आज के इतिहासकारों के लिए एक पहेली से कम नहीं है। क्योंकि लोहे की स्तम्भ में इतने सालों के बाद भी जंग का कोई नामों निशान नहीं है।
ये किसी रहस्य से कम नहीं है।इसके राज का पता लगाने के लिए 1998 में आईआईटी कानपुर के प्रोफेसर डॉ. आर. सुब्रह्म्ण्यम ने एक शौध किया था।
रिसर्च में सामने आया था कि इसको बनाते समय पिघले हुए कच्चे लोहे में फास्फोरस का इस्तेमाल किया गया था। यहीं कारण है कि इसमें आज भी जंग नहीं लगता है.