एक आम धारणा है कि दिल्ली और मुंबई जैसे महानगरों में बिहार और यूपी के लोग भरे पड़े हैं. दिल्ली-मुंबई के बाशिंदे अक्सर इसे लेकर ताना भी कसते हैं. महानगरों में प्रवासी बिहारियों के लिए कई बार स्थितियां मुश्किल भी हो जाती हैं. कभी मुंबई में रेहड़ी-पटरी पर बैठने वाले प्रवासी बिहारियों को पीटा जाता है, तो कभी दिल्ली में उन्हें गंदगी और बिगड़ती कानून व्यवस्था का जिम्मेदार ठहरा दिया जाता है. लेकिन क्या सच में ऐसा है? क्या दिल्ली और मुंबई जैसे महानगरों में बिहार के ज्यादा लोग हैं? इन शहरों के प्रवासी लोगों की क्या स्थिति है?
मुंबई में बिहार से ज्यादा मध्य प्रदेश के प्रवासी
इस बारे में सरकार ने कुछ आंकड़े जारी किए हैं. इन आंकड़ों के बाद मुंबई और दिल्ली वाले कम से कम बिहारी प्रवासियों को कोसना बंद कर देंगे. 2011 में हुई जनगणना के आधार पर बड़े शहरों और राज्यों के प्रवासी लोगों के आंकड़े जारी हुए हैं. इसके मुताबिक मुंबई में रह रहे बाहरी लोगों में बिहार से ज्यादा मध्य प्रदेश से आए लोगों की संख्या है. यानी बिहार से ज्यादा मध्य प्रदेश के लोगों ने अपने यहां से पलायन कर मुंबई में ठिकाना तलाशा है. लेकिन मुंबई में घुसे बाहरी लोग के नाम पर बिहार बदनाम है.
एक और चौंकाने वाला आंकड़ा गुजरात से है. आम धारणा ये भी है कि गुजरात में बिहारियों की तादाद ज्यादा है. लेकिन असलियत कुछ और ही है. गुजरात में रहने वाले प्रवासियों में राजस्थान के रहने वाले सबसे ज्यादा हैं. यहां तक कि बिहारियों की तुलना में प्रवासी राजस्थानी दोगुने हैं. ये आंकड़े दिलचस्प हैं. इसके पहले यकीन करना मुश्किल हो सकता था कि गुजरात में सबसे ज्यादा राजस्थान के लोग प्रवासी के तौर पर रह रहे हैं.
महाराष्ट्र में रहने वाले प्रवासियों में यूपी के लोगों की संख्या अच्छी खासी है. महाराष्ट्र में कुल 5.74 करोड़ प्रवासी हैं, इसमें 27.55 लाख लोगों ने अपना पिछला निवास यूपी का बताया है. महाराष्ट्र में रहने वाले बिहारियों की संख्या 5.68 लाख है. वहीं महाराष्ट्र के ही किसी एक हिस्से से आकर दूसरी जगह बसने वालों की संख्या भी 4.79 करोड़ है.
जनगणना पर जारी रिपोर्ट में उन लोगों को प्रवासी माना गया है, जिन्होंने काम-धंधा, शादी-विवाह या किसी और वजह से अपना जन्मस्थान छोड़ दिया हो. 1961 की जनगणना से पहले प्रवासियों के आंकड़ों पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया गया. बाद की जनगणना में इस पर फोकस रखा गया. 2011 की जनगणना में इसे विस्तार से समझा गया. हालांकि आंकड़े मिलने में काफी देरी हुई है.
10 वर्षों में 30 फीसदी बढ़ गए प्रवासी
2011 की जनगणना में कुल 45.58 करोड़ लोगों को प्रवासी माना गया. इसके पहले 2001 की जनगणना में इनकी संख्या 31.45 करोड़ थी. 10 साल में प्रवासियों की संख्या में 30 फीसदी का इजाफा दर्ज किया गया. 2001 से तुलना करने पर दस वर्षों में 5.43 करोड़ लोग (करीब 12 फीसदी) रोजगार या किसी दूसरी वजह से एक राज्य से निकलकर दूसरे राज्य में गए. वहीं इस दौरान एक राज्य के ही किसी एक हिस्से से दूसरे इलाके में जाकर प्रवास करने वाले लोगों की संख्या 39.57 करोड़ रही.
यूपी भी ढो रहा है प्रवासियों का बोझ
उत्तर प्रदेश को लेकर कुछ दिलचस्प जानकारी निकलकर सामने आई है. मसलन यूपी के लोग सबसे ज्यादा देश के दूसरे हिस्सों में जाकर काम-धंधा करते हैं. हालांकि राज्य खुद करीब 5.65 करोड़ प्रवासियों का बोझ वहन कर रहा है. इसमें 5.20 करोड़ प्रवासी राज्य के ही एक हिस्से से दूसरे इलाके में जाकर बसे हैं. जबकि 40.62 लाख दूसरे राज्यों के हैं. यूपी में रहने वाले बिहारियों की संख्या 10.73 लाख है.
पंजाब में प्रवासियों की संख्या 1.37 करोड़ है. हालांकि इसमें दूसरे राज्यों से आने वाले लोगों की संख्या सिर्फ 24.88 लाख है. इसमें 6.50 लाख लोगों ने अपना पिछला निवास यूपी बताया है, जबकि 3.53 लाख लोगों ने बिहार.
गुजरात में प्रवासियों की संख्या 2.69 करोड़ है. इसमें 39.16 लाख (करीब 42 फीसदी) प्रवासी दूसरे राज्यों से आए हैं. इसमें यूपी से आने वाले लोगों की संख्या 9.29 लाख है, जबकि राजस्थान से 7.47 लोग आकर यहां बसे हैं.