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शिवलिंग और ज्योतिर्लिंग में क्या है अंतर, क्या आप जानते है, पढ़ें पूरी ख़बर




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दुनिया के हर कोने में भगवान शिव के भक्तगण बहुत ही देखने को मिलते हैं। सावन के महीने में भोलेनाथ की आराधना करने से व्यक्ति को पुण्य की प्राप्ति होती हैं। इसके साथ ही व्यक्ति को मनचाहा वरदान मिलता है। कहते हैं कि सावन के पूरे माह में शिवलिंग की पूजा करने से सारे पाप धूल जाते हैं। तो वहीं अगर हम बात करें ज्योतिर्लिंग के पूजन के बारे में तो उसकी पूजा से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है। लेकिन क्या किसी ने ज्योतिर्लिंग और शिवलिंग के बारे में ये जानने की कोशिश की है कि उनमें क्या फर्क है। बहुत से लोग ऐसे भी हैं जो ज्योतिर्लिंग और शिवलिंग को एक समान ही मानते हैं। लेकिन हम बता दें कि इन दोनों में बहुत ही अंतर होता है। ऐसे में अगर आप भी नहीं जानते इनके अंतर के बारे में तो आइए जाने विस्तार से।

शिवपुराण में एक कथा है, जिसके अनुसार एक बार सृष्टिकर्ता ब्रह्मा और जगतपालक विष्णु में विवाद हुआ कि उनमें श्रेष्ठ कौन है? तब उन दोनों का भ्रम समाप्त करने के लिए शिव एक महान ज्योति स्तंभ के रूप में प्रकट हुए, जिसकी थाह ये दोनों देव नहीं पा सके। इसी को ज्योतिर्लिंग कहा जाता है। वहीं जूसरी ओर लिंग का अर्थ होता है प्रतीक, यानि शिव के ज्योति रूप में प्रकट होने और सृष्टि के निर्माण का प्रतीक। ज्योतिर्लिंग सदैव स्वयंभू होते हैं जबकि शिवलिंग मानव द्वारा स्थापित और स्वयंभू दोनों हो सकते हैं।

हिंदू धर्मग्रंथों में शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों का उल्लेख मिलता है। जहां-जहां ये शिव ज्योतिर्लिंग स्थापित हैं, आज वहां भव्य शिव मंदिर बने हुए हैं। चलिए जानते हैं उनके बारे में।

सोमेश्वर या सोमनाथ : यह प्रथम ज्योतिर्लिंग माना जाता है, जो गुजरात के सौराष्ट्र प्रदेश में स्थित है। इसे प्रभास तीर्थ भी कहते हैं।

श्रीशैलम मल्लिकार्जुन : यह आन्ध्र प्रदेश के कृष्णा जिले में श्रीशैल नामक पर्वत पर स्थित है। इसे दक्षिण का कैलाश भी माना गया है।

महाकालेश्वर : यह मध्य प्रदेश के उज्जैन में स्थित है। इसे प्राचीनकाल में अवन्तिका या अवंती कहा जाता था।

ओंकारेश्वर : यह ज्योतिर्लिंग भी मध्य प्रदेश में है। राज्य के मालवा क्षेत्र में स्थित यह ज्योतिर्लिंग नर्मदा नदी के तट पर स्थित है।

केदारेश्वर : यह शिव ज्योतिर्लिंग उत्तराखंड में हिमालय की चोटी पर विराजमान श्री केदारनाथजी या केदारेश्वर के नाम से विख्यात है। श्री केदार पर्वत शिखर से पूर्व में अलकनन्दा नदी के किनारे भगवान बद्रीनाथ का मन्दिर है।

भीमाशंकर : महाराष्ट्र में स्थित है यह ज्योतिर्लिंग भीमा नदी के किनारे सहयाद्रि पर्वत पर हैं। भीमा नदी इसी पर्वत से निकलती है।

विश्वेश्वर : वाराणसी या काशी में विराजमान भूतभावन भगवान श्री विश्वनाथ या विश्वेश्वर महादेव को सातवां ज्योतिर्लिंग माना गया है।

त्र्यम्बकेश्वर : भगवान शिव का यह आठवां ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र के नासिक जिले में ब्रह्मगिरि के पास गोदावरी नदी के किनारे स्थापित है।

वैद्यनाथ महादेव : इसे बैजनाथ भी कहते हैं। यं नौवां ज्योतिर्लिंग है, जो झारखण्ड राज्य देवघर में स्थापित है। इस स्थान को चिताभूमि भी कहा गया है।

नागेश्वर महादेव : भगवान शिव का यह दसवां ज्योतिर्लिंग बड़ौदा क्षेत्र में गोमती द्वारका के समीप है। इस स्थान को दारूकावन भी कहा जाता है। इस ज्योतिर्लिंग लेकर कुछ विवाद भी है। अनेक लोग दक्षिण हैदराबाद के औढ़ा ग्राम में स्थित शिवलिंग का नागेश्वर ज्योतिर्लिंग मानते हैं।

रामेश्वरम : श्री रामेश्वर एकादशवें ज्योतिर्लिंग है. इस तीर्थ को सेतुबन्ध तीर्थ कहा गया है। यह तमिलनाडु में समुद्र के किनारे स्थपित है।

घुष्मेश्वर : इस द्वादशवें ज्योतिर्लिंग को घृष्णेश्वर या घुसृणेश्वर के नाम से भे जाना जाता है। यह महाराष्ट्र राज्य में दौलताबाद से लगभग 18 किलोमीटर दूर बेरूलठ गांव के पास स्थित है।