पिछले कुछ दिनों से लगातार ऐसी खबरें आ रही हैं कि कश्मीर में अतिरिक्त सुरक्षा बलों की तैनाती हो रही. सूत्रों के मुताबिक गृह मंत्रालय का मानना है कि ये अतिरिक्त तैनाती पिछले कुछ दिनों में उसे जो इनपुट मिले हैं उसके आधार पर की जा रही है. फिलहाल 100 अतिरिक्त कंपनियों को जो भेजा जा रहा है.
ये है घाटी में अर्धसैनिक बलों की तैनाती
नियमित व्यवस्था के तहत अमरनाथ यात्रा की सुरक्षा के लिए अर्धसैनिक बलों की 320 अतिरिक्त कंपनियां तैनात की गईं थीं, जिसके बाद अर्धसैनिक बलों की 100 कंपनियों को भेजा गया. एक कंपनी में करीब 100 जवान होते हैं. इसके अलावा घाटी के अलग अलग हिस्सों में अर्धसैनिक बलों की 450 कंपनियों की नियमित तैनाती रहती है. ये तैनाती राष्ट्रीय राष्ट्रीय रायफल, सेना और प्रदेश पुलिस की तैनाती से अलग है.
तमाम एजेंसियां जो कश्मीर में सुरक्षा के लिए तैनात हैं, वो लगातार हालात पर नजर बनाए हुए हैं. तीन प्रमुख मुद्दे हैं जिनके मद्देनजर समय-समय पर सुरक्षा का आकलन किया जाता है. इनमें घाटी के भीतर से पनप रहा आतंकवाद, पाकिस्तान से आतंकियों को मिल रही मदद और सुरक्षाबलों को निशाना बनाने की कोशिशें शामिल हैं. घाटी में सुरक्षा बलों की तैनाती इन्हीं के हालात को देखते हुए की जाती है. मौजूदा समय में भी इन्हीं वजहों से ये फैसला लिया गया है.
सूत्रों के मुताबिक नब्बे के दशक के बाद ऐसा पहली बार हुआ है कि अमरनाथ यात्रा के दौरान इतने ज्यादा अतिरिक्त सुरक्षाबलों को कश्मीर भेजा गया है, जहां तक पूरे साल के वक्त का सवाल है तो घाटी में इससे पहले इतने सुरक्षाबलों की तैनाती पुलवामा हमले के बाद और बालाकोट एयरस्ट्राइक से पहले की गई थी.
विपक्ष ने उठाए सवाल
सुरक्षाबलों की तैनाती और गृह मंत्रालय का रुख सामने आने के बाद कश्मीर से जुड़ी पार्टियों ने सरकार के फैसले पर एक बार फिर सवाल उठाए हैं. उन्होंने आने वाले दिनों में इस प्रकरण को संसद में भी उठाने की बात कही. वहीं नेशनल कॉन्फ्रेंस ने भी इस मुद्दे की खिलाफत की है और इस मसले पर पीएम से फारुख अब्दुल्ला और उमर अब्दुल्ला पीएम से मिल भी चुके हैं