करीब सवा करोड़ आबादी वाले जम्मू-कश्मीर (jammu and kashmir) और लद्दाख पर मोदी सरकार मेहरबान है. इसमें से आठ लाख परिवारों के बैंक अकाउंट में केंद्र सरकार ने चार-चार हजार रुपये भेज दिए हैं. यह पैसा आर्टिकल 370 (article 370) में संशोधन से पहले ही भेज दिया गया था. सरकार ने पैसा इसलिए भेजा है ताकि वहां के किसान बिना कर्ज लिए खेती-किसानी कर सकें. जल्द ही दो-दो हजार रुपये और भेजे जाएंगे. यह रकम प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि स्कीम (pm-kisan samman nidhi scheme) के तहत भेजी गई है. जानकारों का कहना है कि आर्टिकल 370 (Article 370) में संशोधन के बाद अब पैसा भेजने के काम में तेजी आएगी, क्योंकि वहां का शासन सीधे केंद्र से चल रहा है.
जम्मू-कश्मीर की करीब 80 फीसदी जनसंख्या कृषि पर निर्भर है. केसर की खेती तो सबसे ज्यादा मशहूर है. सेब के बागान हैं. इसके अलावा धान, मक्का, ज्वार, बाजरा, दलहन, कपास, तंबाकू, गेहूं व जौ भी पैदा किया जाता है. यहां बड़े पैमाने पर फूलों की खेती होती. लद्दाख में चने की खेती होती है. प्रधानमंत्री ने आर्टिकल 370 में संशोधन के बाद राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में कहा है कि सभी योजनाओं का लाभ जम्मू-कश्मीर के लोगों को मिलेगा. इस संदेश से पहले ही उनकी सरकार वहां के किसानों को काफी पैसा जारी कर चुकी है.
जम्मू-कश्मीर के विकास पर है प्रधानमंत्री मोदी का फोकस
सबसे ज्यादा फायदा बारामुला, कुपवाड़ा, बड़गाम, पुंछ और पुलवामा में हुआ है. अब राज्य के अन्य हिस्सों की तरह जम्मू-कश्मीर में भी किसान सम्मान निधि की तीसरी किस्त का पैसा भेजने की तैयारी हो रही है. कृषि मंत्रालय के अधिकारियों के मुताबिक 8 अगस्त तक केंद्र सरकार ने सबसे ज्यादा 77038 लोगों को कुपवाड़ा में लाभ पहुंचा है. बारामुला 75391 लाभार्थी किसानों के साथ दूसरे स्थान पर है. बड़गांव में 63392, जम्मू में 57095 और पुलवामा में 38592 लोगों के बैंक अकाउंट में चार-चार हजार रुपये भेजे गए हैं.
सबसे कम लाभ लेने वाले क्षेत्र
किसी भी जगह के किसान को पीएम-किसान सम्मान निधि का पैसा तब मिलता है जब वहां की राज्य सरकार उस क्षेत्र के किसानों का ब्योरा भेजे. जहां पर कम किसानों का ब्योरा भेजा गया वहां पर बहुत कम किसानों को फायदा हुआ. जैसे लेह-लद्दाख में सिर्फ 4878 और कागरिल में 7782 लोगों को ही अब तक पैसा मिल सका है. श्रीनगर में सबसे कम केवल 3935 किसान ही लाभान्वित हुए हैं.