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बिस्किट नहीं खा रहे लोग, पारले में 10 हजार लोगों की नौकरी पर संकट




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 देश की सबसे बड़ी बिस्किट बनाने वाली कंपनी पार्ले प्रोडक्ट्स अपने यहां से 8 से 10 हजार कर्मचारियों की छंटनी कर सकती है। कंपनी ने मंगलवार को कहा कि अगर खपत में इसी तरह से मंदी बनी रही तो कंपनी को कर्मचारियों को निकालना होगा। कंपनी ने कहा कि ये मंदी इस बात का इशारा है कि अर्थव्यवस्था पटरी पर नहीं चल रही है।पारले 
कंपनी ने जीएसटी घटाने की मांग की

कंपनी के कैटेगरी हेड मयंक शाह ने बताया, ‘हमने 100 रु प्रति किलो या उससे कम कीमत वाले बिस्किट पर जीएसटी घटाने की मांग की है। ये आमतौर पर 5 रु या कम के पैक में बिकते हैं। हालांकि, अगर सरकार ने हमारी मांग नहीं मानी तो हमें 8 से 10 हजार कर्मचारियों को निकालना पड़ेगा, सेल्फ घटने से हमें भारी नुकसान हो रहा है।’ बता दें कि पारले-जी, मोनैको और मैरी बिस्किट बनाने वाली पारले की सेल्स 10,000 करोड़ रुपये से ज्यादा होती है।

कारोबार 
सुस्त मांग से कंपनी का कारोबार प्रभावित

10 प्लांट चलाने वाली इस कंपनी में करीब एक लाख कर्मचारी काम करते हैं। पारले के पास 125 थर्ड पार्टी मैन्यूफैक्चरिंग यूनिट हैं। कंपनी की सेल्स का आधा से ज्यादा हिस्सा ग्रामीण बाजारों से आता है। जीएसटी लागू होने से पहले, 100 रु प्रति किलो वाले बिस्किट पर 12 पर्सेंट टैक्स लगाया जाता था। कंपनी को उम्मीद थी कि प्रीमियम बिस्किट के लिए 12 पर्सेंट और सस्ते बिस्किट के लिए 5 पर्सेंट का जीएसटी रेट तय किया जाएगा। हालांकि, सरकार ने दो साल पहले जब जीएसटी लागू किया तो सभी बिस्किटों को 18 फीसदी स्लैब में डाल दिया।

बिस्किट 
10 हजार कर्मचारियों की नौकरी पर संकट

देश की अन्य बड़ी बिस्किट और डेयरी प्रोडक्ट्स कंपनी ब्रिटानिया के मैनेजिंग डायरेक्टर वरुण बेरी ने पिछले दिनों कहा था कि उपभोक्ता 5 रु के बिस्किट पैकेट खरीदने में कतरा रहे हैं। उन्होंने कहा था कि वे 5 रु के भी प्रोडक्ट खरीदने से पहले दो बार सोच रहे हैं, जिससे वित्तीय समस्या की गंभीरता की पता चलता है। बेरी ने कहा था कि उनकी ग्रोथ केवल 6 फीसदी हुई, मार्केट ग्रोथ उनसे भी सुस्त है। बता दें कि नुस्ली वाडिया की कंपनी ब्रिटानिया का साल-दर-साल का शुद्ध लाभ जून तिमाही में 3.5 फीसदी घटकर 249 करोड़ रु रहा।