कवर्धा. ब्लॉक मुख्यालय बोड़ला से करीब 50 किमी दूर ग्राम पंचायत भूरसीपकरी के आश्रित गांव साजाटोला में डायरिया फैली है। यहां उल्टी-दस्त के 34 मरीज मिले हैं। इनमें 1 की स्थिति गंभीर बताई जा रही है। खास बात ये है कि मरीजों को लेने के लिए एंबुलेंस भेजी गई थी, लेकिन पक्की सड़क न हाेने से गांव तक नहीं पहुंच सकी।
एंबुलेंस मेन रोड तक ही सीमित रह गई। स्वास्थ्य टीम पैदल गांव पहुंची। मरीजों का चेकअप किया। उल्टी-दस्त के गंभीर मरीजों को रेफर करना था। एंबुलेंस नहीं आ सकी तो बॉटल चढ़े मरीज को खाट पर ढोकर परिजन 2 किलोमीटर चलकर मेन रोड तक पहुंचे। यहां एंबुलेंस से उन्हें प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र दलदली ले जाया गया। यहां डायरिया पीड़ित दशिया पति बिहारी बैगा (27), भक्तू पिता लालजू बैगा (32), हीराबाई पति राजेश यादव (36), रतिराम पिता लालजू बैगा (14) और जान्हिया पति मंगल सिंह बैगा (38) का इलाज जारी है।
पीएचसी के प्रभारी अपनी टीम के साथ गांव में पहुंचे
पहुंचविहीन ग्राम साजाटोला तक एंबुलेंस नहीं पहुंच सकी। यहां एकमात्र बाइक एंबुलेंस संचालित है। डायरिया फैलने की सूचना से स्वास्थ्य महकमे में हड़कंप मच गया। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र दलदली के प्रभारी व एएमओ राजेश हरदाहा, आएचओ कांशीराम बघेल, ऋतु वर्मा, वार्ड ब्वॉय अश्वनी टंडन ने गांव पहुंचकर कैंप लगाया। मरीजों की जांच कर उन्हें दवाएं बांटी।
38 गांव पहुंचविहीन, बारिश में नहीं पहुंच पाती एंबुलेंस
कबीरधाम जिले के 38 गांव अब भी पहुंचविहीन हैं। यहां बरसात में एंबुलेंस तक नहीं पहुंच पाती है। ये हम नहीं, प्रशासन की रिपोर्ट कह रही है। पहुंचविहीन इन 38 गांवों में 21 गांव बोड़ला ब्लॉक के और 12 गांव पंडरिया ब्लॉक के हैं। महामारी संभावित गांव 25 है। इन गांवों में कांबेक्ट टीम की तैनाती की गई है। स्वास्थ्य विभाग की ओर से 223 कांबेक्ट टीम बनाए हैं। हर टीम में 5 सदस्य शामिल है।
जिन गांवों में गाड़ी नहीं जा रही, वहां घोड़े की पीठ पर लादकर पहुंचा रहे दवाएं
पहुंचविहीन गांव में गाड़ियां नहीं जा पा रही है, वहां घोड़े की पीठ पर लादकर दवाएं पहुंचाई जा रही है। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र चिल्फी की टीम मंगलवार को ग्राम खिरसाही पहुंची। शिविर लगाकर 20 लोगों का मलेरिया टेस्ट किया। हालांकि सभी निगेटिव पाए गए। वहीं सर्दी-जुकाम व बुखार के मरीजों का इलाज कर उन्हें दवाएं बांटी गई।
डेंगुरजाम में उल्टी-दस्त से बच्चे की मौत, कई बीमार
ग्राम पंचायत अमनिया के आश्रित गांव डेंगुरजाम में भी डायरिया फैली है। गुरुवार को यहां उल्टी-दस्त से बुधलाल पिता गुठलू बैगा (2 साल) की मौत हो गई। अब भी कई लोग बीमार हैं। बच्चे के मौत की खबर से स्वास्थ्य विभाग ने शुक्रवार को गांव पहुंचकर कैंप लगाया। सीएमएचओ डॉ. एसके तिवारी भी गांव पहुंचे थे। वे बताते हैं कि ग्रामीणों के खान-पान सही न होने से उल्टी-दस्त के शिकार हुए।
झिरिया का पानी पीते हैं, वहीं शौच के लिए जाते हैं
डेंगुरजाम में जहां उल्टी-दस्त से बच्चे की मौत हुई, वहां शुद्ध पानी का संकट है। गांव में हैंडपंप नहीं है। गांव से कुछ दूरी पर झिरिया खोदे हैं, जिसका पानी ग्रामीण पीने के लिए उपयोग करते हैं। वहीं शौच करने जाते हैं। दूषित पानी के सेवन से ही ग्रामीणों को उल्टी-दस्त हुई। यदि अभी नहीं संभले, तो संक्रामक बीमारियां फैलने का खतरा है। से लेकर किसी भी स्तर पर एहतियात नहीं बरता जा रहा है।
मिट्टी के शौचालय, वो भी उपयोग के लायक नहीं
करीब 250 आबादी वाले इस गांव में स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) के जरिए शौचालय बनाए गए हैं। ये शौचालय ईंट व सीमेंट के गारे से नहीं, बल्कि मिट्टी के बने हैं। भ्रष्टाचार के ये शौचालय टूट-फूट गए हैं, जो उपयोग के लायक नहीं है। खुले में शौच जाते हैं।