Home समाचार आत्महत्या के मामले में छत्तीसगढ़ देश में पांचवें नंबर पर

आत्महत्या के मामले में छत्तीसगढ़ देश में पांचवें नंबर पर




IMG-20240704-WA0019
IMG-20220701-WA0004
WhatsApp-Image-2022-08-01-at-12.15.40-PM
1658178730682
WhatsApp-Image-2024-08-18-at-1.51.50-PM
WhatsApp-Image-2024-08-18-at-1.51.48-PM

 घरेलू हिंसा, नशे की लत, बच्चों की पढ़ाई का दबाव और प्रेम प्रसंग ने छत्तीसगढ़ को सर्वाधिक आत्महत्या के मामलों वाले राज्यों की टॉप फाइव सूची में शामिल कर दिया है। यदि आबादी के अनुपात में देखें तो छत्तीसगढ़ में आत्महत्या के आंकडे देश के औसत से भी अधिक हैं।

नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के अनुसार देश में महाराष्ट्र ऐसा राज्य है, जहां 13 प्रतिशत आत्महत्या के मामले दर्ज हैं, जो सबसे ज्यादा हैं। पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु 11.5 प्रतिशत के साथ दूसरे नंबर पर बने हुए हैं। चौथे स्थान पर तेलंगाना और मध्यप्रदेश 7.7 प्रतिशत के साथ बने हुए हैं। पांचवें क्रम में गुजरात और छत्तीसगढ़ 5.4 प्रतिशत के साथ हैं।

छत्तीसगढ़ में चार बच्चों के पिता ने गर्भवती पत्नी को दिया तीन तलाक, जुर्म दर्ज

शासन की जनजागरूकता की तैयारी

प्रदेश में आत्महत्या के मामले को रोकने के लिए शासन की पहल पर स्वास्थ्य विभाग नौ से 14 सितंबर तक जनजागरूकता के लिए विभिन्न् गतिविधियां और कार्यक्रम आयोजित करने की तैयारी कर रहा है। इनमें मनोरोगियों की पहचान एवं उपचार, जेल में मानसिक स्वास्थ्य के लिए शिविरों का आयोजन, जागरूकता चौपाल, और आत्महत्या की रोकथाम संबंधी वाद-विवाद स्पर्धा आदि शामिल है।

इनका कहना है

देश में पांच सर्वाधिक आत्महत्याओं वाले प्रदेशों में छत्तीसगढ़ भी शामिल है । यदि आबादी के हिसाब से आंकडे देखें तो प्रदेश में प्रति एक लाख में 27.7 लोग आत्महत्या करते हैं। यह आंकड़ा देश की औसत से भी ज्यादा है। दुर्ग-भिलाई नगर में यह आंकड़ा 34.9 जबकि भारत का आंकड़ा केवल 10.6 है । – डॉ. महेंद्र सिंह, उपसंचालक, राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम, रायपुर

नशा व सोशल मीडिया भी वजह

पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय की मनोवैज्ञानिक की प्रो. डॉ. प्रियंवदा श्रीवास्तव ने बताया कि आत्महत्या के सर्वाधिक मामले किशोर अवस्था के आ रहे हैं, लेकिन हाल की घटनाओं को देखें तो प्रौढ़ भी धैर्य खोकर आत्महत्या कर रहे हैं। इसका सबसे बड़ा कारण है प्रदेश में बढ़ती नशे की लत।

नशा जीने की इच्छाशक्ति को खत्म कर देता है। ऐसे लोगों में छोटी-छोटी बातों में आत्महत्या करने का विचार आने लगता है। सोशल मीडिया भी आत्महत्या की प्रमुख वजह बन रहा है। लोग पर्याप्त नींद नहीं लेते और लोगों के विचारों को देखकर तनाव ग्रस्त हो रहे हैं।