स्टार महिला बैडमिंटन खिलाड़ी पीवी सिंधु और भारत के लिए स्विट्ज़रलैंड का बासेल शहर तब यादगार और एतिहासिक बन गया जब रविवार को सिंधु ने विश्व बैडमिंटन चैंपियनशिप का ख़िताब अपने नाम किया.
पांच फुट दस इंच की सिंधु ने अपनी कामयाबी से बैडमिंटन की दुनिया में अपने कद को आसमानी ऊंचाई दे दी.
उन्होंने फ़ाइनल मे जापान की नोज़ुमी ओकुहारा को 21-7,21-7 से मात दी. इस जीत के साथ उन्होंने नोज़ुमी के हाथों दो साल पहले फ़ाइनल में मिली हार का हिसाब भी चुका दिया.
टूर्नामेंट में दबदबा
इस टूर्नामेंट में वो शुरुआत से ही दबदबा बनाए रखने में कामयाब रहीं. सिंधु को पहले दौर में बाई मिली. दूसरे दौर में उन्होंने चीन ताइपे की पाई यू पो को 21-14, 21-15 से हराया.
तीसरे दौर में सिंधु ने नौवी वरीयता हासिल अमरीका की झांग बेईवेन को 21-14, 21-6 से मात दी.
लेकिन इसी बीच भारत की एक और स्टार बैडमिंटन खिलाड़ी साइना नेहवाल डेनमार्क की मिआ ब्लिचफैड से 21-15, 25-27, 12-21 से हार गई. तब इस चैंपिचनशिप में भारत के पदक जीतने की उम्मीदों को गहरा धक्का लगा.
लेकिन क्वार्टर फाइनल में सिंधु ने दूसरी वरीयता हासिल चीन ताइपे की ताई ज़ू यिंग को 12-21, 23-21, 21-19 से हराकर बड़ा उलटफेर किया और शान से सेमीफाइनल में जगह बनाई.
‘दिखाया बेमिसाल खेल’
सेमीफाइनल में भी सिंधु की कामयाबी का सिलसिला जारी रहा.
इस मैच में उन्होंने चौथी वरीयता हासिल चीन की चेन यू फेई को बेहद आसानी से 21-7, 21-14 से हराया.
लेकिन फाइनल ऐसा एकतरफा होगा ऐसा तो शायद सिंधु ने भी नही सोचा होगा. पांचवी वरीयता हासिल सिंधु के सामने जापान की तीसरी वरीयता हासिल नोज़ोमी ओकूहारा कही नहीं टिकीं.
फ़ाइनल में सिंधु के प्रदर्शन पर खेल पत्रकार राकेश राव कहते है, ” 33 साल के अपने खेल पत्रकार जीवन में मैने ऐसा नही देखा कि किसी एक खिलाड़ी ने इस अंदाज़ में विश्व चैंपियनशिप जीती हो.”
जीत का फॉर्मूला
दरअसल पीवी सिंधु ने अपनी पुरानी कमियों को ध्यान में रखकर और उससे उबरकर फाइनल खेला. सिंधु ने इस साल कोई ख़िताब भी नही जीता था, इसलिए उनसे उम्मीद भी कम थी. लेकिन जब उन्होंने दूसरी वरीयता हासिल ताई ज़ू यिंग को हराया तो उनका आत्मविश्वास बढ़ गया. और फाइनल में तो उन्होंने बहुत तेज़ गेम खेला. उन्होंने ओकूहारा को लम्बी रैली खेलने का मौक़ा ही नही दिया. इसके अलावा अपनी लंबाई का लाभ उठाते हुए सिंधु ने बेहद तेज़ स्मैश लगाकर ओकूहारा को हैरान और परेशान किए रखा. सिंधु ने अपने खेल से शानदार और दमदार जीत हासिल की.
पीवी सिंधु इससे पहले साल 2013 और 2014 में कांस्य पदक और साल 2017 और 2018 में रजत पदक जीत चुकी है. इस तरह विश्व चैंपियनशिप में उनके खाते में केवल स्वर्ण पदक की कमी थी जो अब पूरी हो गई है.