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कांग्रेसी महिला नेता ने अमित शाह को घेरा, लगा डाला ऐसा बड़ा आरोप




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ऑल इंडिया वुमन कांग्रेस की अध्यक्ष सुष्मिता देव ने कहा कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजंस (एनआरसी) पर गैर-जिम्मेदाराना बयान नहीं देना चाहिए। वे लोगों में भय पैदा कर रहे हैं। उन्हें ऐसे बयानों से बचना चाहिए। एनआरसी के प्रकाशित करने की अंतिम तिथि 31 अगस्त है।

नागपुर में प्रेस कॉन्फ्रेंस में सुष्मिता देव ने कहा, असम के लोग शांति प्रिय है। एनआरसी के प्रकाशन के बाद राज्य में कोई गड़बड़ी या हिंसा नहीं होगी। मैं अमित शाह से कहना चाहूंगी कि उन्होंने संसद में कहा था कि 40 लाख लोग जो एनआरसी से बाहर हैं, वे घुसपैठिए हैं और उन्हें बाहर निकालने की जरूरत है। ऐसा कहना ठीक नहीं है। एनआरसी के मसौदे में जगह नहीं पाने वाले 40 लाख लोगों में से लगभग 30 से 40% लोग अंतिम एनआरसी में शामिल होंगे। क्योंकि यह मामूली वर्तनी या लिपिकीय त्रुटियां थीं, जो उनके बहिष्कार का कारण बनीं।

इससे पहले गृह मंत्रालय ने लोगों का डर दूर करने के लिए ये स्पष्ट किया था कि अगर किसी व्यक्ति का नाम फाइनल लिस्ट में शामिल नहीं किया जाता है तो इसका मतलब ये नहीं कि वह विदेशी घोषित हो जाएगा। फॉरेनर्स एक्ट 1946 और फॉरेनर्स ट्रिब्यूनल ऑर्डर 1964 के मुताबिक, किसी भी व्यक्ति को विदेशी घोषित करने का अधिकार केवल फॉरेनर्स ट्रिब्यूनल के पास ही है।

एनआरसी का पहला ड्राफ्ट 30 जुलाई 2018 को प्रकाशित किया गया था। 3.29 करोड़ लोगों में से 2.9 करोड़ लोगों को लिस्ट में शामिल किया गया था। इस पर काफी विवाद भी हुआ। इसके बाद जून 2019 में प्रकाशित लिस्ट में से एक लाख और लोगों को बाहर कर दिया गया। अब 31 अगस्त को फाइनल लिस्ट पब्लिश होगी। एनआरसी की प्रक्रिया की निगरानी सुप्रीम कोर्ट कर रही है। इसका मकसद असम में अवैध अप्रवासियों की पहचान करना है। 2011 की जनगणना के अनुसार असम की कुल जनसंख्या 3.11 करोड़ से ज्यादा थी।